स्विमिंग पूल में हो सकते हैं अनगिनत कीटाणु, विशेषज्ञ ने बताए बीमारियों से बचने के 10 खास उपाय
स्विमिंग पूल में कीटाणुओं से बचें: विशेषज्ञ ने बताए 10 उपाय।


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गर्मियों के दिनों में स्विमिंग पूल में डुबकी लगाना बेहद सुकून भरा लगता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस क्रिस्टल जैसे नीले पानी में आप तैरते हैं, वह असल में कितना साफ होता है? एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने सार्वजनिक पूलों में मौजूद कीटाणुओं और उनसे होने वाले जोखिमों के बारे में अहम जानकारी दी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
प्रतिरक्षा वैज्ञानिक और संक्रामक रोग विशेषज्ञ लीसा कुचारा बताती हैं कि सार्वजनिक जगहों पर कीटाणु कैसे फैलते हैं और उन्हें कैसे रोका जा सकता है। वह "द इंफेक्शन्स ऑफ लेजर" नाम से एक कोर्स भी पढ़ाती हैं, जिसमें मनोरंजक गतिविधियों से जुड़े जोखिमों और उनसे बचाव पर चर्चा की जाती है। उनका कहना है कि सार्वजनिक पूल और वाटर पार्क में तैरने से त्वचा संबंधी मामूली परेशानियों से लेकर पेट संबंधी गंभीर संक्रमणों तक, कई तरह के जोखिम हो सकते हैं।
सीडीसी की रिपोर्ट ने चौंकाया
अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) हर साल सार्वजनिक पूलों और वाटर पार्क में कीटाणुओं के संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों के बारे में चेतावनी जारी करता है। सीडीसी की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2019 के बीच पूरे अमेरिका में 200 से ज़्यादा ऐसे मामलों का पता चला, जिनसे 3,600 से अधिक लोग प्रभावित हुए। इनमें त्वचा संक्रमण, श्वसन संबंधी समस्याएं, कान के संक्रमण और पेट की बीमारियां शामिल थीं।
क्लोरीन की गंध का सच
अक्सर लोग मानते हैं कि क्लोरीन की तेज़ गंध का मतलब है कि पूल का पानी बहुत साफ है। लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि यह एक गलत धारणा है। असल में, यह गंध क्लोरीन और पानी में मौजूद पसीने, मूत्र, तेल और त्वचा कोशिकाओं जैसे पदार्थों के मिलने से बने रसायनों (क्लोरमाइन) के कारण आती है। एक साफ पूल में क्लोरीन की तेज़ गंध नहीं आनी चाहिए। यह गंध वास्तव में इस बात का संकेत हो सकती है कि पानी दूषित है और उससे बचना चाहिए।
पानी में छिपे खतरनाक कीटाणु
भले ही पूल का पानी क्लोरीन से सही ढंग से साफ किया गया हो, लेकिन कुछ रोगाणु कई मिनटों से लेकर दिनों तक जीवित रह सकते हैं।
- क्रिप्टोस्पोरिडियम: यह एक सूक्ष्मजीवी परजीवी है जो पानी वाले दस्त का कारण बनता है। इसकी बाहरी परत इतनी मजबूत होती है कि यह क्लोरीन वाले पानी में भी 10 दिनों तक जीवित रह सकता है। यह मल से फैलता है और इसकी थोड़ी सी मात्रा भी कई लोगों को बीमार कर सकती है।
- स्यूडोमोनास एरुगिनोसा: यह एक बैक्टीरिया है जो हॉट टब रैश और "स्विमर के कान" (कान का संक्रमण) का कारण बनता है।
- नोरोवायरस और एडेनोवायरस: ये वायरस भी पूल के पानी में लंबे समय तक रहकर बीमारी पैदा कर सकते हैं।
कैसे करें बचाव? विशेषज्ञ ने बताए 10 खास उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ आसान सावधानियां अपनाकर पूल से जुड़े ज़्यादातर जोखिमों को कम किया जा सकता है।
- पूल में जाने से पहले नहाएं: कम से कम एक मिनट तक नहाने से शरीर की गंदगी और तेल निकल जाता है, जिससे क्लोरीन की असरदारता बनी रहती है।
- बीमार होने पर पूल से बचें: अगर आप बीमार हैं, खासकर दस्त या कोई खुला घाव है, तो पूल में न जाएं।
- मुंह में पानी जाने से रोकें: कीटाणुओं को शरीर में जाने से रोकने के लिए मुंह में पानी जाने से बचें।
- दस्त होने पर न तैरें: दस्त होने पर तैरने से कीटाणु तेजी से फैल सकते हैं।
- क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस होने पर सावधानी: अगर आपको क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस का निदान हुआ है, तो दस्त बंद होने के दो हफ्ते बाद ही पूल में वापस जाएं।
- नियमित ब्रेक लें: बच्चों और बड़ों दोनों के लिए, नियमित रूप से बाथरूम ब्रेक लेने से पूल में दुर्घटनाएं नहीं होतीं।
- बच्चों के डायपर जांचें: हर घंटे डायपर जांचें और उन्हें पूल से दूर बदलें ताकि मल से पानी दूषित न हो।
- कानों को सुखाएं: तैरने के बाद अपने कानों को अच्छी तरह सुखाएं ताकि "स्विमर के कान" जैसे संक्रमण से बचा जा सके।
- खुले घाव पर पट्टी: खुले घाव के साथ तैरने से बचें या उसे वाटरप्रूफ पट्टी से पूरी तरह ढक लें।
- तैरने के बाद नहाएं: अपनी त्वचा से कीटाणुओं को हटाने के लिए तैरने के बाद ज़रूर नहाएं।
इन आसान सावधानियों को अपनाकर आप गर्मियों में पूल का मज़ा बिना किसी चिंता के ले सकते हैं।