अल्जाइमर का पता लगाना होगा आसान: ब्रिटेन में ब्लड टेस्ट का बड़ा ट्रायल शुरू
ब्रिटेन में अल्जाइमर के लिए नए ब्लड टेस्ट का ट्रायल शुरू।


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क्या है खबर?
ब्रिटेन में अल्जाइमर रोग की पहचान के तरीके में क्रांति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर के लिए एक नए ब्लड टेस्ट (रक्त परीक्षण) का ट्रायल शुरू करने की घोषणा की है। उम्मीद है कि यह टेस्ट इस बीमारी के निदान को और अधिक सटीक तथा आसान बना देगा।
सटीक निदान का लक्ष्य
इस ट्रायल का मुख्य उद्देश्य अल्जाइमर के निदान की सटीकता को मौजूदा 70% से बढ़ाकर 90% से भी अधिक करना है। डॉक्टरों का कहना है कि अल्जाइमर, जो डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, में शुरुआती निदान बेहद महत्वपूर्ण है। जितनी जल्दी उपचार शुरू होता है, उसके प्रभावी होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
कैसे काम करता है यह टेस्ट?
अल्जाइमर रोग का संबंध दिमाग में एमाइलॉइड और टाऊ नामक दो प्रमुख प्रोटीन के असामान्य रूप से जमा होने से है। यह नया ब्लड टेस्ट p-tau217 नामक प्रोटीन को मापता है। इस प्रोटीन को दिमाग में इन दोनों 'खतरनाक' प्रोटीन की उपस्थिति का एक प्रभावी बायोमार्कर माना जाता है।
ट्रायल में 1,100 लोग शामिल
यह ट्रायल ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) में इस टेस्ट की प्रभावशीलता का आकलन करेगा। इसके लिए लगभग 20 मेमोरी क्लीनिकों के माध्यम से लगभग 1,100 लोगों को भर्ती किया जाएगा। वैज्ञानिक यह जांचना चाहते हैं कि जब किसी व्यक्ति में याददाश्त संबंधी समस्याएं पहली बार सामने आती हैं, तो यह टेस्ट निदान और उपचार में कितनी मदद कर सकता है।
कम आक्रामक और सटीक
विशेषज्ञों का मानना है कि प्लाज़्मा p-tau217 जैसे ब्लड टेस्ट एमाइलॉइड और टाऊ की उपस्थिति का पता उतनी ही सटीकता से लगा सकते हैं, जितनी वर्तमान में इस्तेमाल होने वाले अधिक आक्रामक तरीके, जैसे पीईटी स्कैन और लम्बर पंक्चर। ब्लड टेस्ट का कम आक्रामक होना मरीजों के लिए बड़ी राहत साबित होगा।
भविष्य के उपचारों के लिए महत्वपूर्ण
UCL के डिमेंशिया रिसर्च सेंटर में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर और इस ट्रायल के सह-प्रमुख, जोनाथन स्कॉट ने उम्मीद जताई कि यह ट्रायल डिमेंशिया के निदान के तरीके में क्रांति लाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में शुरुआती निदान और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा, क्योंकि उपचारों की एक नई पीढ़ी सामने आ रही है जो याददाश्त और सोचने की क्षमता में गिरावट को धीमा कर सकती है। स्कॉट ने यह भी कहा कि "समय पर निदान यह सुनिश्चित करने की कुंजी होगा कि ये नई दवाएं उन लोगों तक पहुंचें जिन्हें उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।"
एक बड़े शोध परियोजना का हिस्सा
यह ट्रायल 'ब्लड बायोमार्कर चैलेंज' नामक एक बहु-मिलियन पाउंड के शोध परियोजना का हिस्सा है, जिसे यूके अल्जाइमर चैरिटीज़ का समर्थन प्राप्त है। इस परियोजना का उद्देश्य अल्जाइमर के निदान के लिए ब्लड टेस्ट के उपयोग में महत्वपूर्ण सफलता हासिल करना है।