ग्लोबल फंड की नई रणनीति: एड्स, टीबी, मलेरिया से लड़ने के लिए सबसे गरीब देशों पर होगा ज़्यादा खर्च
ग्लोबल फंड अब सबसे गरीब देशों पर ज़्यादा खर्च करेगा।


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दुनियाभर में एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों से लड़ने वाला ग्लोबल फंड अब अपनी ज़्यादातर मदद सबसे गरीब देशों पर खर्च करेगा। दरअसल, कई दानदाता सरकारों द्वारा आर्थिक सहायता में कटौती के बाद यह फैसला लिया गया है। ग्लोबल फंड ने चेतावनी दी है कि इस वजह से दुनिया भर में स्वास्थ्य असमानताएँ बढ़ सकती हैं।
क्या है नया फैसला?
ग्लोबल फंड, जो एड्स, टीबी और मलेरिया से निपटने के लिए काम करता है, 2027 से 2029 तक के अपने कार्यों के लिए 18 अरब डॉलर जुटाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन कई दानदाता सरकारें, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल है, अब अपनी आर्थिक सहायता कम कर रही हैं, जिससे फंड जुटाना मुश्किल हो गया है। इसी को देखते हुए ग्लोबल फंड ने अब अपनी रणनीति बदल दी है और सबसे गरीब देशों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। फंड पहले ही कुछ देशों को चेतावनी दे चुका है कि 2025-2026 के लिए उनके मौजूदा अनुदान में कटौती की जा सकती है।
सहायता कटौती की चुनौती
ग्लोबल फंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पीटर सैंड्स ने बताया कि वे अपने संसाधनों को सबसे गरीब देशों की ओर अधिक केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम उन जगहों को लेकर विशेष रूप से चिंतित हैं जहाँ वास्तव में कोई और विकल्प नहीं है।" सैंड्स ने गृहयुद्ध से जूझ रहे सूडान जैसे देशों का उदाहरण दिया, जहाँ ढाई साल के संघर्ष के बाद मानवीय संकट गहरा गया है।
घरेलू फंडिंग का अभाव
पीटर सैंड्स ने बताया कि कुछ कम आय वाले देशों ने हाल के वर्षों में संक्रामक बीमारियों से निपटने में काफी प्रगति की है और कई देश अब अंतरराष्ट्रीय कटौती का सामना करने के लिए घरेलू फंडिंग जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देशों के पास यह विकल्प ही नहीं है। सैंड्स ने कहा, "दुनिया के कुछ हिस्से गरीबी, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और बीमारी के बुरे संयोजन से पीड़ित हैं, और यह सोचना कि हम उन हिस्सों को उनके हाल पर छोड़ सकते हैं, नैतिक रूप से गलत है।"
7 करोड़ लोगों की जान बचाई
लंदन में पत्रकारों से बात करते हुए सैंड्स ने ग्लोबल फंड की 2025 की परिणाम रिपोर्ट जारी होने से पहले ये बातें कहीं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को तीनों जानलेवा बीमारियों को रोकने या उनका इलाज करने के उपकरण मिले। रिपोर्ट के अनुसार, 2002 से अब तक ग्लोबल फंड के प्रयासों से 7 करोड़ लोगों की जान बचाई गई है।
भविष्य पर फंडिंग का खतरा
सैंड्स ने चेतावनी दी कि अगर फंडिंग सूख जाती है, तो भविष्य की प्रगति खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि इस साल ग्लोबल फंड को देशों को यह चेतावनी देनी पड़ी है कि उनके मौजूदा अनुदान में औसतन 11% की कटौती हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि दानदाता 2024-2026 के काम के लिए शुरुआत में वादा की गई पूरी राशि देंगे या नहीं। सैंड्स के मुताबिक, फिलहाल करीब 1.4 अरब डॉलर का अंतर है।