भारत को मिली पहली स्वदेशी मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन
भारत को मिली पहली स्वदेशी मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन


tarun@chugal.com
भारत ने अपनी पहली पूरी तरह से स्वदेशी मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन के निर्माण और बाजार में लाने के लिए कई भारतीय उद्योग भागीदारों के साथ करार किया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और उसके साझेदारों द्वारा विकसित यह वैक्सीन देश में मलेरिया से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
क्या है यह नई वैक्सीन?
आईसीएम्आर (ICMR) के अनुसार, यह नई वैक्सीन परजीवी को व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश करने से पहले ही निशाना बनाती है, जिससे मलेरिया के संचरण को रोका जा सकता है। परिषद ने बताया कि यह वैक्सीन किफायती, स्थिर और बड़े पैमाने पर बनाई जा सकने वाली है। इसकी एक और महत्वपूर्ण खासियत यह है कि यह कमरे के सामान्य तापमान पर भी 9 महीने से अधिक समय तक प्रभावी रहती है।
किन कंपनियों को मिला उत्पादन का लाइसेंस?
इस महत्वपूर्ण वैक्सीन के उत्पादन और व्यावसायिक उपयोग के लिए पांच प्रमुख भारतीय कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है। इनमें इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड, टेकइन्वेंशन लाइफकेयर प्राइवेट लिमिटेड, पैनेसिया बायोटेक लिमिटेड, बायोलॉजिकल ई लिमिटेड और ज़ायडस लाइफसाइंसेज शामिल हैं। ये कंपनियां अब इस स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण करेंगी।
कैसे हुआ वैक्सीन का विकास?
आईसीएम्आर (ICMR) ने इस वैक्सीन के लिए "प्रौद्योगिकी हस्तांतरण" के लिए योग्य संगठनों, कंपनियों और निर्माताओं से रुचि की अभिव्यक्ति (EoI) आमंत्रित की थी। इस वैक्सीन का नाम "रिकॉम्बिनेंट काइमेरिक मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन (AdFalciVax) अगेंस्ट प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम" है, जिसका उद्देश्य मनुष्यों में प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम संक्रमण को रोकना और इसके सामुदायिक संचरण को कम करना है।
इस तकनीक के विकास में आईसीएम्आर-रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, भुवनेश्वर (ICMR-RMRCBB) ने अहम भूमिका निभाई है। उनके पास लैक्टोकोकस लैक्टिस में इस पुनर्संयोजक काइमेरिक मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन के उत्पादन की प्रक्रिया का तकनीकी ज्ञान है। इस तकनीक का प्री-क्लिनिकल सत्यापन आईसीएम्आर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (ICMR-NIMR) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII), नई दिल्ली के सहयोग से किया गया था।
भारत में मलेरिया की स्थिति
भारत में मलेरिया अभी भी एक गंभीर जन स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। देश में वैश्विक मलेरिया के मामलों का 1.4% और वैश्विक मलेरिया से होने वाली मौतों का 0.9% हिस्सा है। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में रिपोर्ट किए गए कुल मामलों में से 66% भारत से आते हैं।
भारत की लगभग 95% आबादी मलेरिया-प्रवण क्षेत्रों में रहती है। देश में रिपोर्ट किए गए मलेरिया के 80% मामले उन इलाकों तक सीमित हैं जहाँ आबादी का 20% हिस्सा जनजातीय, पहाड़ी, दुर्गम और पहुंच से बाहर के क्षेत्रों में रहता है। यह स्वदेशी वैक्सीन इन चुनौती भरे क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।