सावधान! हफ्ते में 3 बार फ्रेंच फ्राइज़ खाने से 20% बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा
फ्रेंच फ्राइज़ खाने से डायबिटीज का खतरा 20% बढ़ सकता है।


bhanu@chugal.com
अगर आप फ्रेंच फ्राइज़ खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपको चौंका सकती है। एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि हफ्ते में सिर्फ तीन बार फ्रेंच फ्राइज़ का सेवन करने से डायबिटीज (मधुमेह) होने का खतरा 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यह अध्ययन ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
क्या कहता है नया अध्ययन
इस अध्ययन के अनुसार, जहाँ हफ्ते में तीन बार उबले, बेक्ड या मैश्ड आलू खाने से मधुमेह (डायबिटीज) का जोखिम 5% तक बढ़ सकता है, वहीं इतनी ही मात्रा में फ्रेंच फ्राइज़ का सेवन करने से यह जोखिम 20% तक बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आलू को तैयार करने का तरीका डायबिटीज के जोखिम को काफी हद तक प्रभावित करता है।
खाने की आदतों में बदलाव से फायदा
शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर आप हफ्ते में तीन बार आलू की जगह साबुत अनाज का सेवन करते हैं, तो डायबिटीज का खतरा 8% तक कम हो सकता है। इसी तरह, फ्रेंच फ्राइज़ की जगह साबुत अनाज खाने से यह जोखिम 19% तक घट जाता है। अध्ययन में यह भी बताया गया कि आलू की जगह सफेद चावल खाने से मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।
आखिर क्यों होता है ऐसा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, आलू में फाइबर, विटामिन सी और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, लेकिन इनमें स्टार्च की मात्रा भी अधिक होती है। इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) भी काफी उच्च होता है, जो रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को तेजी से बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जब आलू को तला जाता है, खासकर फ्रेंच फ्राइज़ बनाने के लिए, तो इसमें वसा (फैट) और कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे इसका नकारात्मक प्रभाव और बढ़ जाता है।
शोध का आधार
यह अध्ययन हार्वर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों सहित कई संस्थानों के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है। इसके लिए दो लाख से अधिक लोगों के प्रश्नावली के जवाबों का विश्लेषण किया गया। ये सभी प्रतिभागी अध्ययन की शुरुआत में डायबिटीज, हृदय रोग या कैंसर से मुक्त थे। करीब 40 वर्षों की निगरानी अवधि के दौरान, लगभग 22,300 प्रतिभागियों को मधुमेह विकसित हुआ। इस शोध के लिए अमेरिका के 'नर्सेज हेल्थ स्टडी' (1984-2020), 'नर्सेज हेल्थ स्टडी II' (1991-2021) और 'हेल्थ प्रोफेशनल्स फॉलो-अप स्टडी' (1986-2018) जैसे बड़े डेटाबेस का इस्तेमाल किया गया।
यह शोध इस बात पर जोर देता है कि सिर्फ आलू खाना नहीं, बल्कि उसे किस तरह से तैयार किया जाता है, यह भी हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।