वैश्विक वैक्सीन भंडार ने 23 साल में लाखों जानें बचाईं: नया अध्ययन
वैश्विक वैक्सीन भंडार ने 23 साल में लाखों जानें बचाईं: अध्ययन


bhanu@chugal.com
एक नए अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 से अब तक वैश्विक वैक्सीन भंडारों ने दुनिया भर में 58 लाख से अधिक संक्रमणों और 3.27 लाख से अधिक मौतों को टालने में मदद की है। 'गावी, द वैक्सीन एलायंस' जैसे कार्यक्रमों द्वारा समर्थित ये भंडार, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महामारी के प्रकोप से निपटने में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।
क्या कहती है नई स्टडी?
'ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ग्लोबल हेल्थ' में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, वैश्विक वैक्सीन भंडार ने बीमारियों के बड़े प्रकोपों से निपटने में अहम भूमिका निभाई है। इसने लगभग 32 अरब डॉलर का आर्थिक लाभ भी पहुँचाया है। अध्ययन से पता चलता है कि ये वैक्सीन कार्यक्रम हैजा, इबोला और खसरा जैसी बीमारियों के बड़े प्रकोपों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच का काम करते हैं।
महामारी से बचाव में अहम भूमिका
बर्नेट इंस्टीट्यूट के पीएचडी उम्मीदवार और प्रमुख लेखक डोमिनिक डेलपोर्ट ने बताया, "नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों वाली बीमारियों के लिए, जनसंख्या में उच्च स्तर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखना बड़े प्रकोपों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।" उन्होंने आगे कहा, "लेकिन जब प्रकोप होते हैं, तो त्वरित वैक्सीन प्रतिक्रिया आमतौर पर जोखिम वाली आबादी के लिए सबसे बड़ा सुरक्षात्मक प्रभाव प्रदान करती है - और प्रतिक्रिया जितनी तेज़ होती है, प्रभाव उतना ही अधिक होता है।"
रूटीन टीकाकरण में कमी चिंता का विषय
अध्ययन में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि नियमित टीकाकरण में गिरावट आ रही है, और अमेरिकी विदेशी सहायता में कटौती भी इसे प्रभावित कर रही है। 'द लैंसेट' पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने इस गिरावट के लिए लगातार असमानताओं, कोविड-19 महामारी के कारण आने वाली चुनौतियों, और वैक्सीन को लेकर गलत सूचना व हिचकिचाहट को जिम्मेदार ठहराया है। इन सभी कारकों से वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है।
कौन सी बीमारियाँ और देश शामिल?
शोधकर्ताओं ने 2000 से 2023 के बीच निम्न और मध्यम आय वाले 49 देशों में हुए 210 प्रकोपों का विश्लेषण किया। इन प्रकोपों में हैजा, इबोला, खसरा, मेनिनजाइटिस और पीत ज्वर जैसी बीमारियां शामिल थीं।
सुरक्षा कवच के रूप में वैक्सीन भंडार
बर्नेट इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर और मॉडलिंग व बायोस्टैटिस्टिक्स के प्रमुख निक स्कॉट ने बताया कि नियमित वैक्सीन कवरेज में वैश्विक गिरावट वैक्सीन भंडारों के मूल्य को एक बड़ी महामारी से बचाव के लिए बीमा के रूप में रेखांकित करती है। स्कॉट ने कहा, "वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट और यूएसएआईडी तथा गावी जैसे संगठनों के लिए फंडिंग में कटौती सहित कई कारकों के कारण नियमित वैक्सीन कवरेज में गिरावट आ रही है, और कई जगहों पर कोविड-19 व्यवधानों के कारण कवरेज में जो कमी आई है, उसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है।"
आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि महामारी प्रतिक्रिया टीकाकरण कार्यक्रमों से प्रकोप छोटे हुए हैं। उदाहरण के लिए, खसरे के उन प्रकोपों का प्रतिशत जिनमें 100,000 से अधिक मामले थे, 41% से घटकर 8% हो गया। बड़े प्रकोपों से स्वास्थ्य और आर्थिक परिणाम बदतर होते हैं, जिनमें अक्सर यात्रा में बाधाएं और स्कूल व व्यापार बंद करना शामिल होता है। अध्ययन के लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि ये कार्यक्रम वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के प्रकोपों के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।