डोनाल्ड ट्रंप को हुई 'क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी' क्या है?

डोनाल्ड ट्रंप को हुई 'क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी' के लक्षण, कारण और इलाज जानें।

Published · By Tarun · Category: Health & Science
डोनाल्ड ट्रंप को हुई 'क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी' क्या है?
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क्या है मामला?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 'क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी' (CVI) नामक बीमारी का पता चला है। व्हाइट हाउस ने गुरुवार, 17 जुलाई 2025 को इस बात की घोषणा की थी। ट्रंप के पैरों में सूजन आने के बाद उनके डॉक्टर ने जांच की थी, जिसके बाद इस बीमारी की पुष्टि हुई। व्हाइट हाउस ने यह भी बताया कि जांच में किसी भी गंभीर स्थिति, जैसे डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) या आर्टेरियल डिजीज, के कोई संकेत नहीं मिले हैं। यह भी कहा गया कि हृदय गति रुकने, किडनी की समस्या या किसी अन्य प्रणालीगत बीमारी के भी कोई लक्षण नहीं पाए गए।

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी (CVI) क्या है?

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी (CVI) एक नस संबंधी बीमारी है। यह तब होती है जब शरीर की नसें ठीक से काम नहीं कर पातीं या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। दुनिया भर में लाखों लोग इस तरह की नस संबंधी बीमारियों से प्रभावित हैं।

नसें शरीर के विभिन्न हिस्सों से रक्त को हृदय तक वापस ले जाने का काम करती हैं। नसों के भीतर छोटे-छोटे वाल्व (कपाट) होते हैं जो रक्त को केवल एक ही दिशा में बहने देते हैं। यदि ये वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो रक्त पीछे की ओर बह सकता है या दोनों दिशाओं में जा सकता है। क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी में, पैरों की नसें क्षतिग्रस्त वाल्वों के कारण रक्त को ठीक से हृदय तक वापस नहीं ले जा पातीं। इसके कारण रक्त पैरों में जमा होने लगता है, जिससे सूजन और अन्य समस्याएं होती हैं।

CVI के कारण और जोखिम कारक

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी के कई जोखिम कारक हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • उम्र: 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक देखी जाती है।
  • अधिक वजन: मोटापा नसों पर दबाव डालता है।
  • पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में किसी को यह बीमारी रही है, तो जोखिम बढ़ जाता है।
  • व्यायाम की कमी: शारीरिक गतिविधि की कमी रक्त संचार को प्रभावित करती है।
  • धूम्रपान: यह नसों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • पैर में चोट: पुरानी चोटें नसों को कमजोर कर सकती हैं।
  • लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना: इससे पैरों की नसों में रक्तचाप बढ़ सकता है।
  • गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान नसों पर दबाव बढ़ता है।
  • जन्मजात वाल्व दोष: कुछ लोगों में जन्म से ही वाल्व में खराबी हो सकती है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) भी CVI का एक सामान्य कारण है। DVT एक प्रकार का रक्त का थक्का होता है जो शरीर की गहरी नस में बनता है। ये थक्के पैर की नसों में वाल्वों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे CVI हो सकता है। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप के मामले में, व्हाइट हाउस ने बताया कि डीप वेन थ्रॉम्बोसिस जैसी कोई गंभीर स्थिति नहीं पाई गई।

CVI के लक्षण

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी के कई लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पैरों या टखनों में सूजन (ओएडेमा)।
  • चलने पर दर्द होना, जो आराम करने पर ठीक हो जाता है।
  • पैरों में कसाव या भारीपन महसूस होना।
  • पैरों में जलन, खुजली या झुनझुनी महसूस होना।
  • टखनों के पास की त्वचा का भूरा और मोटा दिखना।
  • त्वचा का पपड़ीदार होना।
  • रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (पैरों में बेचैनी)।
  • पैरों में ऐंठन (क्रैम्प्स)।
  • वैरिकोज वेन्स (मोटी, मुड़ी हुई नसें)।
  • पैरों में अल्सर या खुले घाव।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी लक्षण एक साथ दिखाई नहीं देते। लक्षणों की गंभीरता बीमारी की प्रगति पर निर्भर करती है।

इलाज न कराने पर क्या होता है?

यदि क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी का इलाज न किया जाए, तो यह दर्द, ऐंठन और सूजन का कारण बन सकती है। अनुपचारित रहने पर, नसों में दबाव बढ़ सकता है, जिससे छोटी रक्त वाहिकाएं (केशिकाएं) फट सकती हैं। इससे त्वचा का रंग बदल सकता है और ऊतकों को भी नुकसान हो सकता है।

पैरों के अल्सर भी एक गंभीर समस्या हैं। कभी-कभी CVI के कारण होने वाले अल्सर का इलाज करना मुश्किल हो सकता है। यदि ये अल्सर संक्रमित हो जाते हैं, तो संक्रमण आसपास के ऊतकों में फैल सकता है, जिससे जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

CVI का इलाज

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी का इलाज व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य और स्थिति की गंभीरता सहित कई कारकों पर निर्भर करता है। उपचार का मुख्य लक्ष्य पैरों की नसों में रक्त प्रवाह में सुधार करना है।

  • जीवनशैली में बदलाव: इसमें व्यायाम शामिल हो सकता है, जैसे पैदल चलना और पैरों व टखनों के लिए व्यायाम। व्यायाम रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है। पैरों को हृदय के स्तर से ऊपर उठाना (एलिवेशन) भी अनुशंसित किया जा सकता है, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ सकता है और सूजन कम हो सकती है।
  • कंप्रेशन थेरेपी: इसमें विभिन्न प्रकार की पट्टियां या मोज़े (कंप्रेशन स्टॉकिंग्स) शामिल होते हैं, जिनका उद्देश्य पैरों की सूजन को कम करना है।
  • दवाएं: रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने और अल्सर के इलाज के लिए दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।
  • गैर-सर्जिकल प्रक्रियाएं:
    • एंडोवेनस लेजर एब्लेशन या रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन: इस प्रक्रिया में, एक कैथेटर का उपयोग प्रभावित नस को गर्मी से निशाना बनाने के लिए किया जाता है, या तो लेजर या उच्च-आवृत्ति रेडियो तरंगों से। यह क्षतिग्रस्त नस को बंद करने में मदद करता है।
    • स्क्लेरोथेरेपी: इस प्रक्रिया में, रोगग्रस्त नस में एक रसायन का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाती है और रक्त का संचार नहीं कर पाती।
  • सर्जरी: गंभीर मामलों में सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।

किसी भी संकेत या लक्षण के मामले में सही निदान और उपचार प्राप्त करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

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