गर्भाशय ग्रीवा पेसरी: क्या है यह डिवाइस और गर्भावस्था में क्यों होता है इसका इस्तेमाल?
गर्भाशय ग्रीवा पेसरी: गर्भावस्था में उपयोग और सुरक्षा पर विशेषज्ञ राय।


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गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय ग्रीवा पेसरी (Cervical Pessary) के इस्तेमाल से जुड़ा एक हालिया मामला चर्चा में आया है। इस मामले में डिलीवरी के दौरान कुछ जटिलताएं सामने आईं, जिससे नवजात शिशु को गंभीर चोटें आईं। इस घटना के बाद इस डिवाइस के उपयोग को लेकर सवाल उठे हैं, लेकिन साथ ही इसके चिकित्सीय महत्व को भी करीब से देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि यह क्या है, कब इस्तेमाल किया जाता है और विशेषज्ञ इसके बारे में क्या कहते हैं।
क्या है प्रीटर्म बर्थ और भारत की स्थिति?
प्रीटर्म बर्थ, यानी गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले बच्चे का जन्म, दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। यह शिशु मृत्यु दर और बच्चों में लंबे समय तक रहने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का एक मुख्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 3.6 मिलियन बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक संख्या है। समय से पहले पैदा होने वाले इन बच्चों में से हर साल 3,00,000 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है।
क्या है गर्भाशय ग्रीवा पेसरी?
गर्भाशय ग्रीवा पेसरी एक चिकित्सा उपकरण है, जो आमतौर पर सिलिकॉन की एक रिंग होती है। इसे गर्भवती महिला के गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय के निचले हिस्से) के चारों ओर लगाया जाता है ताकि समय से पहले प्रसव को रोका जा सके। इसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी महिला की गर्भाशय ग्रीवा छोटी हो या उसमें कमजोरी (cervical insufficiency) हो, जिससे गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। गर्भाशय ग्रीवा एक अवरोधक के रूप में काम करती है जो बच्चे को गर्भाशय के अंदर सुरक्षित रखती है। अगर यह समय से पहले छोटी हो जाती है, तो समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है। पेसरी गर्भाशय ग्रीवा को सहारा देकर और उसके कोण को बदलकर गर्भाशय से पड़ने वाले सीधे दबाव को कम करने में मदद करती है।
पेसरी कैसे काम करती है?
पेसरी का मुख्य उद्देश्य गर्भाशय ग्रीवा को सहारा देना है, जिससे उसे समय से पहले खुलने से रोका जा सके। यह एक गैर-सर्जिकल और उलटने वाली (reversible) प्रक्रिया है। कुछ अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में इसकी प्रभावकारिता अलग-अलग देखी गई है, लेकिन कई अध्ययनों से पता चला है कि यह उच्च जोखिम वाली महिलाओं में 34 या 37 सप्ताह से पहले होने वाले स्वतः समय से पहले प्रसव (spontaneous preterm delivery) को कम करने में मदद करती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से उन गर्भवती महिलाओं में स्वतः समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए किया जाता है जो उच्च जोखिम में होती हैं, खासकर वे जिनकी गर्भाशय ग्रीवा दूसरी तिमाही में छोटी पाई जाती है।
सर्जिकल सिलाई से कैसे अलग?
चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. ए. जयश्री गजराज बताती हैं कि गर्भाशय ग्रीवा पेसरी दशकों से उपयोग में है, हालांकि हाल के वर्षों में गर्भाशय ग्रीवा की कमजोरी को प्रबंधित करने के लिए एक गैर-सर्जिकल विकल्प के रूप में इसका चलन बढ़ा है। गर्भाशय ग्रीवा सिलाई (cervical cerclage) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें समय से पहले प्रसव या गर्भपात को रोकने के लिए गर्भाशय ग्रीवा के चारों ओर एक टांका लगाया जाता है। इसके विपरीत, पेसरी एक गैर-इनवेसिव, हटाने योग्य उपकरण है, जिसे अक्सर बिना अस्पताल में भर्ती हुए ही लगाया जा सकता है। डॉ. गजराज कहती हैं, "पहले, हमें गर्भाशय ग्रीवा पर टांके लगाने पर निर्भर रहना पड़ता था, जिसमें एनेस्थीसिया और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती थी। पेसरी, जो एक नरम सिलिकॉन रिंग है, वैसा ही सहारा देती है और इसे आसानी से बिना अस्पताल में भर्ती हुए लगाया जा सकता है।"
किसे दी जाती है पेसरी और कब तक रहती है?
WHO और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स (FIGO) के अनुसार, गर्भाशय ग्रीवा पेसरी कुछ विशेष मामलों में, जैसे कि जिन महिलाओं की एक ही गर्भावस्था हो और गर्भाशय ग्रीवा छोटी हो, समय से पहले प्रसव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि इसका उपयोग हर मामले में अलग-अलग होता है, लेकिन इसे आमतौर पर 36-37 सप्ताह तक रखा जाता है, जब तक कि इसे पहले हटाने की आवश्यकता न हो। डॉ. गजराज इस बात पर जोर देती हैं कि यह डिवाइस समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए है, जैसा कि वैश्विक परीक्षणों और यूके स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (NICE) और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निकायों के नैदानिक दिशानिर्देशों द्वारा समर्थित है। आमतौर पर, ऐसी महिलाएं इसकी उम्मीदवार होती हैं जिनकी एक ही गर्भावस्था हो और मध्य-गर्भावस्था में गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई 25 मिमी या उससे कम हो, खासकर यदि पहले स्वतः समय से पहले प्रसव का इतिहास रहा हो या सर्जिकल सिलाई के लिए कोई विपरीत संकेत हों।
कितनी सुरक्षित है पेसरी?
ज्यादातर अध्ययनों में पेसरी के उपयोग से न्यूनतम जोखिम बताया गया है। इसका सबसे आम दुष्प्रभाव योनि स्राव में वृद्धि है, जो आमतौर पर संक्रमण का संकेत नहीं होता है। पीएलओएस (PLOS) में प्रकाशित एक अध्ययन में, 166 महिलाओं पर किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 42% को स्राव में वृद्धि का अनुभव हुआ, 14% को बेचैनी हुई और 35% के लिए इसे हटाना थोड़ा दर्दनाक था; फिर भी 75% से अधिक ने महसूस किया कि यह उपचार उनकी अपेक्षाओं से बेहतर था और उचित नैदानिक सहायता के साथ उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। उचित फॉलो-अप और समय पर हटाने (आमतौर पर लगभग 37 सप्ताह या आवश्यकतानुसार पहले) पर पेसरी के उपयोग से संक्रमण, गर्भपात, या भ्रूण को नुकसान बढ़ने का कोई ठोस सबूत नहीं है। WHO इस बात पर जोर देता है कि सुरक्षा बनाए रखने के लिए सही प्लेसमेंट और निगरानी महत्वपूर्ण है।
हालिया विवाद पर विशेषज्ञों की राय
एक कानूनी मामले के बाद हाल ही में गर्भाशय ग्रीवा पेसरी के उपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ी थीं, जिसमें इसे समय से पहले प्रसव का कारण बताया गया था। इस पर डॉ. गजराज अधिक सूचित समझ रखने का आग्रह करती हैं। वह बताती हैं, "उस मामले में, पेसरी को गर्भाशय ग्रीवा की कमजोरी के लिए एक निवारक उपाय के रूप में लगाया गया था, ताकि समय से पहले प्रसव से बचा जा सके, फिर भी बाद में इसे इसका कारण बताया गया।"
क्या कहती हैं रिसर्च?
अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गोया एट अल. (Goya et al.) और एक अन्य इतालवी केंद्र द्वारा किए गए रैंडमाइज्ड परीक्षणों से पता चला कि उच्च जोखिम वाली एकल गर्भधारण वाली महिलाओं में, पेसरी ने 34 सप्ताह से पहले समय से पहले प्रसव को लगभग आधा कर दिया (जैसे 7.3% बनाम 15.3%) और 37 सप्ताह से पहले स्वतः प्रसव दर को कम किया (22% बनाम 59%)। मेटा-विश्लेषणों से जुड़वां गर्भधारण में भी सावधानीपूर्वक उपयोग करने पर लाभ दिखा है, हालांकि एकल गर्भावस्था के परिणाम अधिक परिवर्तनशील हैं। कॉक्रैन रिव्यू ने अधिक बड़े पैमाने पर परीक्षणों और दीर्घकालिक फॉलो-अप की आवश्यकता बताई है।
भारत में पेसरी का उपयोग
भारत में पेसरी की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने वाले कोई बड़े नैदानिक परीक्षण अभी तक प्रकाशित नहीं हुए हैं। हालांकि, चिकित्सक सुझाव देते हैं कि यह विशेष रूप से उन सीमित संसाधनों वाले स्थानों में उपयोगी हो सकता है जहां गर्भाशय ग्रीवा सिलाई संभव नहीं है या अल्ट्रासाउंड फॉलो-अप चुनौतीपूर्ण है, बशर्ते उचित चयन और प्लेसमेंट के लिए बुनियादी प्रशिक्षण उपलब्ध हो। भारत के कई हिस्सों में, अल्ट्रासाउंड और गर्भाशय ग्रीवा सिलाई जैसे सर्जिकल विकल्प सीमित हो सकते हैं। अराबीन (Arabin) जैसे गर्भाशय ग्रीवा पेसरी अधिकृत भागीदारों के माध्यम से उपलब्ध हैं, जिसमें स्थानीय अभ्यास के अनुरूप प्रशिक्षण और उपयोग दिशानिर्देश शामिल हैं। इसके अलावा, पेसरी को लगाना और हटाना बिना अस्पताल में भर्ती हुए ही किया जा सकता है और इसके लिए एनेस्थीसिया या सर्जिकल थिएटर की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे यह सामुदायिक स्तर की देखभाल के लिए उपयुक्त हो जाता है।
डॉ. गजराज इस बात पर जोर देती हैं कि यद्यपि गर्भाशय ग्रीवा पेसरी कुछ चुने हुए मामलों में एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, इसका उपयोग उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत सावधानीपूर्वक मूल्यांकन, सहमति और निगरानी के साथ किया जाना चाहिए।