भारत में बढ़ा कोलेस्ट्रॉल का खतरा: क्यों डिस्लिपिडेमिया है अगली बड़ी स्वास्थ्य चुनौती?

भारत में कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ा, डिस्लिपिडेमिया बन रही चुनौती।

Published · By Tarun · Category: Health & Science
भारत में बढ़ा कोलेस्ट्रॉल का खतरा: क्यों डिस्लिपिडेमिया है अगली बड़ी स्वास्थ्य चुनौती?
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भारत में लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण कई गैर-संक्रामक बीमारियाँ (NCDs) तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और डिस्लिपिडेमिया जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। डिस्लिपिडेमिया, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर असामान्य हो जाता है, अब देश के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनकर उभर रहा है।

क्या है डिस्लिपिडेमिया?

कोलेस्ट्रॉल एक वसा जैसा पदार्थ है जो हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है। यह शरीर में लिपोप्रोटीन नामक छोटे पैकेजों में घूमता है। ये लिपोप्रोटीन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:

  • एलडीएल (LDL): इसे 'खराब कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है। यह धमनियों (आर्टरीज) में कोलेस्ट्रॉल के जमाव का कारण बनता है, जिससे पट्टिकाएं (प्लाक) बनती हैं। ये पट्टिकाएं धमनियों को ब्लॉक कर सकती हैं, जिससे अंततः दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।
  • एचडीएल (HDL): इसे 'अच्छा कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों से कोलेस्ट्रॉल को वापस लिवर तक ले जाता है, जहाँ से लिवर इसे रक्त से हटा देता है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • ट्राइग्लिसराइड्स: यह भी एक प्रकार की वसा है जो शरीर में ऊर्जा के लिए जमा होती है। जब आप अपनी ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी (विशेषकर चीनी और वसा) का सेवन करते हैं, तो इनका स्तर बढ़ जाता है। उच्च ट्राइग्लिसराइड्स धमनियों को कठोर या मोटा कर सकते हैं, जिससे स्ट्रोक, दिल के दौरे और अग्नाशयशोथ (पैनक्रिएटाइटिस) का खतरा बढ़ जाता है।

भारत में डिस्लिपिडेमिया की alarming स्थिति

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च–इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने चिंताजनक आंकड़े पेश किए हैं। इस अध्ययन में भारत के 31 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरी और ग्रामीण इलाकों से 20 वर्ष और उससे अधिक उम्र के कुल 1,13,043 लोगों (जिनमें से 79,506 ग्रामीण क्षेत्रों से और 33,537 शहरी क्षेत्रों से थे) को शामिल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि इनमें से 81.2% लोगों में डिस्लिपिडेमिया मौजूद था।

यह एक बहुत ही चिंताजनक स्थिति है, जहाँ 20 साल के युवा भी अभी से असामान्य लिपिड प्रोफाइल दिखा रहे हैं। इससे उनके जीवन में बाद में हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा काफी बढ़ जाता है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे देश के लिए एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन सकता है।

भारतीयों को ज़्यादा खतरा क्यों?

दक्षिण एशियाई आबादी, और भारतीय विशेष रूप से, डिस्लिपिडेमिया और मधुमेह जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके कई कारण हैं:

  • आनुवंशिक जोखिम: भारतीयों में आनुवंशिक रूप से इन बीमारियों का खतरा अधिक होता है।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी: आजकल के व्यस्त जीवन में शारीरिक श्रम और व्यायाम की कमी एक बड़ी समस्या है।
  • खराब खान-पान की आदतें: अनुचित और असंतुलित आहार भी इसका एक प्रमुख कारण है।
  • कम एचडीएल स्तर: भारतीय आबादी में 'अच्छा कोलेस्ट्रॉल' (एचडीएल) का स्तर कम होने की प्रवृत्ति होती है, जिससे हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है।

डॉक्टरों के अनुसार, जिन मरीजों को समय से पहले हृदय रोग होता है, उनमें उच्च एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) की तुलना में कम एचडीएल तीन गुना अधिक आम है। इसलिए, एलडीएल के स्तर को कम करना और एचडीएल के स्तर को बढ़ाना हृदय को बीमारियों से बचाने के लिए बेहद ज़रूरी है।

डिस्लिपिडेमिया की जांच और नियंत्रण

डिस्लिपिडेमिया का पता लगाने के लिए, तीनों प्रकार के लिपिड (एलडीएल, एचडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स) की जांच की जाती है। यदि एलडीएल 100 मिलीग्राम/डीएल से अधिक, ट्राइग्लिसराइड्स 150 मिलीग्राम/डीएल से अधिक और पुरुषों में एचडीएल 40 मिलीग्राम/डीएल से कम या महिलाओं में 50 मिलीग्राम/डीएल से कम है, तो इसका मतलब है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर उच्च है जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

नियंत्रण के उपाय:

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका अच्छी जीवनशैली और सक्रियता है:

  • आहार: डिस्लिपिडेमिया और उच्च एलडीएल वाले लोगों को संतृप्त वसा का सेवन कुल कैलोरी का 7% से कम और कोलेस्ट्रॉल का सेवन 200 मिलीग्राम/दिन से कम रखना चाहिए। आहार में जई (ओट्स), इसबगोल (साइलियम), फल और सब्जियां जैसे अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए। यह 'खराब कोलेस्ट्रॉल' को कम करने में मदद करता है। चावल, पूरी, नान, सफेद ब्रेड और तले हुए भारतीय खाद्य पदार्थ ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ा सकते हैं।
  • वजन प्रबंधन: मोटापा डिस्लिपिडेमिया से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। लिपिड के स्तर को कम करने के लिए वजन नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी है।
  • व्यायाम: रोजाना कम से कम 45 मिनट, हफ्ते में पांच दिन शारीरिक व्यायाम करना बेहद आवश्यक है।
  • दवाएं: जो लोग जीवनशैली में बदलाव, जैसे आहार और व्यायाम से अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, उनके लिए प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं। इनका सेवन डॉक्टर की सलाह पर सख्ती से करना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि अनुशासन के साथ जीवनशैली में बदलाव करके हम राष्ट्रीय स्तर पर इस बढ़ते स्वास्थ्य संकट को टाल सकते हैं।

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