5 महीने के शिशु को नई जिंदगी: एमजीएम हेल्थकेयर ने किया दुर्लभ लिवर ट्रांसप्लांट

एमजीएम हेल्थकेयर ने 5 महीने के शिशु का दुर्लभ लिवर ट्रांसप्लांट किया।

Published · By Bhanu · Category: Health & Science
5 महीने के शिशु को नई जिंदगी: एमजीएम हेल्थकेयर ने किया दुर्लभ लिवर ट्रांसप्लांट
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क्या हुआ?

चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल ने एक बेहद दुर्लभ और जटिल लिवर प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया है। यह सर्जरी कृष्णागिरी के 5 महीने के एक शिशु पर की गई, जो 'क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम टाइप 1' नामक एक आनुवंशिक लिवर विकार से पीड़ित था। जन्म के समय शिशु का वजन सिर्फ 8 किलोग्राम था। 10 घंटे चली इस जटिल प्रक्रिया के 14 दिन बाद शिशु को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जिससे उसके माता-पिता और डॉक्टरों में खुशी की लहर है।

दुर्लभ बीमारी 'क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम'

'क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम टाइप 1' एक अत्यंत दुर्लभ बीमारी है, जो लगभग दस लाख बच्चों में से किसी एक को प्रभावित करती है। इस बीमारी में शिशु का लिवर बिलीरुबिन नामक पदार्थ को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता। इससे गंभीर पीलिया, तंत्रिका संबंधी क्षति (न्यूरोलॉजिकल डैमेज), लिवर सिरोसिस और अंततः लिवर फेलियर जैसी गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इस बीमारी में आमतौर पर बिलीरुबिन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सामान्य फोटोथेरेपी भी कारगर नहीं होती, जिससे लिवर प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपचार का विकल्प बचता है।

जटिल सर्जरी और तैयारी

यह सर्जरी 'मोनोसेगमेंटल लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांटेशन' का एक अनूठा उदाहरण था। डॉक्टरों ने बच्चे की मां के लिवर से 150-180 ग्राम का एक बहुत छोटा ग्राफ्ट (अंग का टुकड़ा) तैयार किया। यह ग्राफ्ट बच्चे के छोटे पेट में आसानी से फिट हो सके, इसके लिए महत्वपूर्ण रक्त वाहिकाओं और पित्त नलिकाओं को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया गया। अस्पताल के अनुसार, डॉक्टरों ने अत्याधुनिक 3डी प्लानिंग की मदद से ग्राफ्ट को सटीक रूप से कम किया, जिससे यह बच्चे के आकार और शरीर रचना के अनुकूल बन सका।

इलाज करने वाली टीम

इस जटिल सर्जरी का नेतृत्व लिवर रोग, प्रत्यारोपण और एचपीबी सर्जरी संस्थान के वरिष्ठ सलाहकार और निदेशक डॉ. त्यागराजन श्रीनिवासन ने किया। उनके साथ डॉ. श्रीकांत थुम्माला और डॉ. एल. साउंडरा राजन भी शामिल थे। सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया (बेहोशी) और गहन चिकित्सा दल का नेतृत्व डॉ. दिनेश बाबू और डॉ. निवाश चंद्रशेखरन ने किया।

डॉक्टर ने क्या कहा?

डॉ. श्रीनिवासन ने इस सफलता पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "इतने छोटे शिशु में जीवित दाता लिवर प्रत्यारोपण करना एक बड़ी चुनौती थी।" उन्होंने आगे बताया, "धमनी की आपूर्ति का सावधानीपूर्वक पुनर्निर्माण, ग्राफ्ट को ट्रिम करने में सटीकता और न्यूनतम रक्तस्राव इस सर्जरी की सफलता की कुंजी थे।" डॉ. श्रीनिवासन ने कहा, "यह हमारी टीम के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है, और एक युवा जीवन को दूसरा मौका देना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।"

आगे की देखभाल

अस्पताल ने बताया कि सफल प्रत्यारोपण के बावजूद, बच्चे को जीवन भर नियमित फॉलो-अप (चिकित्सा निगरानी) और इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी (अंग अस्वीकृति को रोकने वाली दवाएं) की आवश्यकता होगी। यह देखभाल उसके नए लिवर के ठीक से काम करने और किसी भी तरह की जटिलता से बचने के लिए महत्वपूर्ण होगी।

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