तेलंगाना में 452 पक्षी प्रजातियां हुईं दर्ज, पर्यावरण की सेहत के अहम संकेत मिले

तेलंगाना में 452 पक्षी प्रजातियां दर्ज, पर्यावरण की सेहत के अहम संकेत।

Published · By Bhanu · Category: Environment & Climate
तेलंगाना में 452 पक्षी प्रजातियां हुईं दर्ज, पर्यावरण की सेहत के अहम संकेत मिले
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क्या हुआ?

तेलंगाना में पक्षियों की 452 प्रजातियां दर्ज की गई हैं। एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है, जो पर्यावरण की सेहत के बारे में अहम संकेत देती है। यह बताता है कि हमारे आसपास की हवा, पानी और अन्य प्राकृतिक तत्वों की गुणवत्ता कैसी है।

अध्ययन में क्या सामने आया?

यह जानकारी 'ए चेकलिस्ट ऑफ एविफौना ऑफ तेलंगाना, इंडिया' (A checklist of avifauna of Telangana, India) नामक अध्ययन में दी गई है। यह अध्ययन शनिवार, 26 जुलाई, 2025 को 'द जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा' (The Journal of Threatened Taxa) में प्रकाशित हुआ था। इस अध्ययन को उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद में जूलॉजी के प्रोफेसर चेल्मेला श्रीनिवासुलु और हैदराबाद बर्डिंग पाल्स के सह-संस्थापक श्रीराम रेड्डी ने मिलकर किया है। इसमें कुल 24 ऑर्डर्स और 82 परिवारों से संबंधित 452 पक्षी प्रजातियों को शामिल किया गया है।

गंभीर स्थिति में गिद्ध

तेलंगाना के सिरपुर-कागजनगर के पास बेज्जूर में स्थित पलारथी गुट्टा की चट्टानी दरारें कभी भारतीय गिद्धों (Gyps Indicus) के प्रजनन का मुख्य स्थल थीं। इन गिद्धों को 'इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर' (IUCN) की खतरे में पड़ी प्रजातियों की रेड लिस्ट में 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' (Critically Endangered) श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, प्राकृतिक कारणों से घोंसले बनाने वाली इन जगहों के नष्ट होने के बाद से उनका प्रजनन बंद हो गया है। रियल एस्टेट के लिए भूमि के उपयोग में बदलाव और उनके विशिष्ट आवासों के खराब होने से इन प्रजातियों की स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

पर्यावरण की सेहत के सूचक हैं पक्षी

इस अध्ययन के एक लेखक और हैदराबाद के एक अनुभवी पक्षी-निरीक्षक ने बताया कि पक्षियों की विविधता, उनकी मौजूदगी या अनुपस्थिति, हमारे आसपास के पर्यावरण की गुणवत्ता और उसमें होने वाले बदलावों को साफ तौर पर दर्शाती है।

पानी की गुणवत्ता का संकेत: किंगफिशर

श्रीनिवासुलु ने अपनी बात को समझाते हुए Pied Kingfisher का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, 'ये पक्षी जलीय आवासों के पास रहते हैं। उन्हें मछलियां दिखनी चाहिए। वे ऐसे ही इलाकों में रहते हैं। अगर पानी में खरपतवार बहुत बढ़ जाए, तो ये पक्षी वहां से चले जाते हैं। अगर किसी जगह पर Pied Kingfisher अब नहीं दिख रहा है, तो इसका मतलब है कि उस जल स्रोत में बदलाव आ गए हैं।'

पक्षी हमें क्या बताते हैं?

'ए चेकलिस्ट ऑफ बर्ड्स ऑफ आंध्र प्रदेश' (A checklist of birds of Andhra Pradesh) के लेखकों में से एक रहे आशीश पिट्टी ने कहा, 'अगर जलीय पक्षी अपने आवासों से गायब हो रहे हैं, तो कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं: क्या पानी खराब है? क्या हम वही पानी पी रहे हैं? क्या आसपास के वातावरण में बदलाव हो रहे हैं?' उन्होंने आगे कहा, "जानवर और पक्षी बोलते नहीं हैं, लेकिन वे उस पर्यावरण (हवा, पानी और अन्य तत्व) की स्थिति का संकेत देते हैं जिसमें हम रहते हैं। अगर प्रवासी पक्षियों की संख्या लगातार घट रही है, तो इसका मतलब है कि जिन जगहों पर वे पहले आते थे, वहां बदलाव आ गए हैं।"

पक्षी प्रजातियों का वर्गीकरण

नवीनतम सूची में दर्ज की गई 452 प्रजातियों में से अधिकांश (339 प्रजातियां, 75.5%) सामान्य श्रेणी में पाई गईं, इसके बाद असामान्य (78 प्रजातियां, 17.37%) और दुर्लभ (35 प्रजातियां, 7.79%) श्रेणी में शामिल हैं।

दुर्लभ प्रजातियों का महत्व

दुर्लभ प्रजातियों के बारे में लेखकों ने बताया कि ये प्रजातियां अक्सर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और आवास की विशिष्टता के महत्वपूर्ण संकेतक के रूप में काम करती हैं। ये क्षेत्र की जैव विविधता के महत्व के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करती हैं।

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