कूनो नेशनल पार्क में भारत में जन्मा पहला चीता 'मुखी' अब वयस्क होने को तैयार

भारत में जन्मा पहला चीता 'मुखी' अब वयस्क होने को तैयार है।

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
कूनो नेशनल पार्क में भारत में जन्मा पहला चीता 'मुखी' अब वयस्क होने को तैयार
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मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। भारत में जन्मा पहला चीता 'मुखी' अब जल्द ही वयस्क होने वाला है। यह 'प्रोजेक्ट चीता' के तीन साल के प्रयासों के लिए एक बड़ी उम्मीद जगाता है। अधिकारियों ने रविवार (28 सितंबर, 2025) को बताया कि यह चीता अब भारत में चीतों की आबादी बढ़ाने में योगदान देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत में जन्मा पहला चीता 'मुखी'

प्रोजेक्ट चीता के निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि नामीबियाई चीता 'ज्वाला' से 29 मार्च, 2023 को पैदा हुई मादा शावक 'मुखी' सोमवार (29 सितंबर, 2025) को वयस्क हो जाएगी। इस दिन वह 915 दिन या 30 महीने की हो जाएगी। शर्मा ने कहा, "मुखी भारत में चीता आबादी बढ़ाने के लिए तैयार है।" उन्होंने यह भी बताया कि 'ज्वाला' ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से तीन अत्यधिक गर्मी के कारण मर गए थे, लेकिन 'मुखी' बच गई और अच्छी तरह से बड़ी हुई है। शर्मा ने कहा, "आज हमारे प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।"

'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत

भारत में चीतों को फिर से बसाने की महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत 17 सितंबर, 2022 को हुई थी। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क के एक विशेष बाड़े में छोड़ा था। यह दुनिया में किसी बड़े जंगली मांसाहारी प्रजाति का पहला अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण था।

भारत में चीतों की वर्तमान स्थिति

फरवरी 2023 में, भारत ने दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते आयात किए। उत्तम कुमार शर्मा के अनुसार, वर्तमान में भारत में कुल 27 चीते हैं। इनमें से 16 चीते भारत में ही पैदा हुए हैं। कुल चीतों में से 24 कूनो नेशनल पार्क में और तीन गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में मौजूद हैं।

मृत्यु और जन्म दर के आंकड़े

शर्मा ने बताया कि जब से यह परियोजना शुरू हुई है, तब से विभिन्न कारणों से 19 चीतों की मौत हुई है। इनमें नौ आयातित वयस्क चीते और भारत में पैदा हुए 10 शावक शामिल हैं। वहीं, कूनो नेशनल पार्क में अब तक कुल 26 शावकों का जन्म हुआ है। अफ्रीकी देशों से 20 चीतों के आयात के तीन साल बाद, भारत के पास अब शुरुआती संख्या की तुलना में सात चीतों का शुद्ध लाभ है।

परियोजना की सफलता का दावा

'प्रोजेक्ट चीता' से जुड़े अधिकारियों ने दावा किया है कि भारत में चीतों को फिर से बसाने का यह महत्वाकांक्षी कदम "एक बड़ी सफलता" रहा है। उनका कहना है कि इस कार्यक्रम ने बड़े मांसाहारी जानवरों के दुनिया के पहले अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण की शुरुआती चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। सूत्रों ने बताया कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों ने भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढाल लिया है, जिसका प्रमाण उनके द्वारा कई बार किए गए प्रजनन से मिलता है। अधिकारियों के अनुसार, कूनो में चीता शावकों के जीवित रहने की दर 61% से अधिक है, जबकि वैश्विक आंकड़ा 40% है।

भविष्य की योजनाएं

भारत कुछ अफ्रीकी देशों के साथ चीतों के नए बैच लाने के लिए बातचीत कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इस दिसंबर तक बोत्सवाना से 8-10 चीतों का एक समूह आने की संभावना है। नए चीतों के संभावित स्रोत के रूप में नामीबिया पर भी विचार किया जा रहा है, जिसने पहले भी चीते उपलब्ध कराए हैं।

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