बाघों के अवैध शिकार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: केंद्र और CBI से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने बाघों के अवैध शिकार पर केंद्र और CBI से जवाब मांगा।

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
बाघों के अवैध शिकार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: केंद्र और CBI से मांगा जवाब
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क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 17 सितंबर, 2025 को बाघों के अवैध शिकार से जुड़े एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट पर केंद्र सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में, जो भारत में बाघों का मुख्य घर हैं, उनकी जान को खतरा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश वकील गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया। इस रिपोर्ट में बाघों के शिकारियों और उनके अंगों तथा ट्रॉफी की तस्करी करने वाले अंतरराष्ट्रीय तस्करों के एक सुनियोजित नेटवर्क का खुलासा हुआ था। यह नेटवर्क वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का सीधा उल्लंघन करता है। याचिका में बताया गया कि भारत दुनिया की 70% से अधिक जंगली बाघों की आबादी का घर है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बाघों के लिए कई महत्वपूर्ण अभयारण्य और गलियारे (कॉरिडोर) मौजूद हैं। कोर्ट ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भी नोटिस जारी किया है।

बाघों का अवैध व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन

याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया गया है, जिसमें बताया गया था कि मध्य भारत में सक्रिय शिकारियों के गिरोह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, खासकर म्यांमार में अपने ग्राहकों को अवैध उत्पाद बेचते हैं। इनमें 'बोन ग्लू' (हड्डी से बना गोंद) भी शामिल है, जिसे बाघों की हड्डियों को प्रेशर कुकर में पकाकर बनाया जाता है। दक्षिण-पूर्व एशिया में इसे पारंपरिक औषधि के रूप में काफी महत्व दिया जाता है।

CBI जांच की मांग क्यों?

याचिकाकर्ता बंसल ने इस अंतर-राज्यीय अवैध शिकार रैकेट की CBI जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर वित्तीय लेनदेन, हवाला कारोबार और सीमा पार तस्करी शामिल है। यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों से भी जुड़ा है। याचिका में तर्क दिया गया है कि इस मामले की प्रकृति ऐसी है कि यह किसी एक राज्य या वन विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, और इसलिए पूरे अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का पर्दाफाश करने के लिए CBI जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी की भागीदारी आवश्यक है।

पहले भी दी गई थी चेतावनी

यह जानकारी भी सामने आई है कि फरवरी में केंद्र सरकार की एजेंसी वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) ने देश के सभी बाघ अभयारण्यों के फील्ड निदेशकों को एक "रेड अलर्ट" जारी किया था। इस अलर्ट में बड़े पैमाने पर गश्त तेज करने को कहा गया था, ताकि बाघों का अवैध शिकार रोका जा सके। यह चेतावनी कई बाघों की मौत के बाद जारी की गई थी, खासकर महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में राजुरा वन क्षेत्र में हुई मौतों के बाद।

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