भारत का पहला गिद्ध संरक्षण पोर्टल असम में लॉन्च
असम में भारत का पहला गिद्ध संरक्षण पोर्टल लॉन्च किया गया।


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क्या हुआ?
असम में भारत का पहला गिद्ध संरक्षण पोर्टल लॉन्च किया गया है। यह पोर्टल बड़े शिकारी पक्षियों को बचाने में जुटे लोगों का एक नेटवर्क तैयार करने के लिए विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक जानकारी इकट्ठा करना, जागरूकता फैलाना और मुफ्त में डाउनलोड करने योग्य सामग्री उपलब्ध कराना है।
किसने किया लॉन्च और कब?
वी फाउंडेशन इंडिया नामक एक असम-आधारित संगठन ने गौहाटी विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के सहयोग से यह पोर्टल लॉन्च किया। यह लॉन्च मंगलवार, 2 सितंबर, 2025 को किया गया। इस कार्यक्रम में गिद्धों की स्थिति और उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा करने के लिए संरक्षणवादी, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, शिक्षाविद और छात्र एक साथ आए।
क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण?
वी फाउंडेशन इंडिया के निलुतपाल महंता ने बताया कि यह कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस से ठीक पहले आयोजित किया गया था। यह दिवस हर साल सितंबर के पहले शनिवार को गिद्धों के महत्व और उनके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। महंता ने गिद्धों के संकट और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर एक व्याख्यान भी दिया।
पोर्टल का मुख्य उद्देश्य
डॉ. महंता के अनुसार, इस पोर्टल का मुख्य ध्यान स्थानीय भाषाओं, जैसे कि असमिया में जानकारी प्रसारित करना है। ताकि जमीनी स्तर पर लोग यह समझ सकें कि गिद्धों का अस्तित्व उनके जीवन और स्थानीय अर्थव्यवस्था से कैसे जुड़ा हुआ है। 'द वल्चर नेटवर्क' नाम का यह पोर्टल क्लाउड-आधारित है और भारत के गिद्धों पर एक व्यापक ज्ञान व जागरूकता मंच के रूप में काम करेगा।
सहयोगी संगठन
'द वल्चर नेटवर्क' में वी फाउंडेशन के साझेदारों में असम बर्ड मॉनिटरिंग नेटवर्क, लासा फाउंडेशन, सुरक्षा समिति और व्यक्तिगत शोधकर्ता व संरक्षणवादी शामिल हैं।
गिद्धों के लिए प्रमुख खतरे
पोर्टल के लॉन्च के दौरान गिद्धों के सामने आने वाले मुख्य खतरों पर प्रकाश डाला गया। इनमें जानवरों के मृत शरीर में जहर मिलना, डाइक्लोफेनाक जैसी हानिकारक पशु चिकित्सा दवाएं और समाज में गिद्धों के प्रति नकारात्मक धारणाएं शामिल हैं। ये सभी कारण गिद्धों की आबादी में लगातार गिरावट का कारण बन रहे हैं।
किन प्रजातियों पर विशेष ध्यान?
विशेष रूप से स्लेंडर-बिल्ड गिद्ध पर जोर दिया गया है, जिनकी संख्या अब केवल 800 वयस्क गिद्धों तक ही सिमट गई है। भारत में गिद्धों की अन्य आठ प्रजातियों में सफेद-पीठ वाला गिद्ध, लाल सिर वाला गिद्ध, हिमालयन ग्रिफ़ॉन, भारतीय गिद्ध, सिनेरियस गिद्ध, यूरेशियन ग्रिफ़ॉन, मिस्र का गिद्ध और दाढ़ी वाला गिद्ध शामिल हैं।
कौन-कौन रहे मौजूद?
इस कार्यक्रम में उप वन संरक्षक रोहिणी बल्लव सैकिया, असम राज्य जैव विविधता बोर्ड की वैज्ञानिक अधिकारी ओइनम सुनंदा देवी और प्राणी विज्ञानी प्रशांत के. सैकिया, दंडधर शर्मा, नारायण शर्मा, मालांबिका के. सैकिया, कुलदीप शर्मा और संगीता दास सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। असम बर्ड मॉनिटरिंग नेटवर्क के रूपम भादुड़ी ने गिद्धों और अन्य गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में नागरिक विज्ञान को शामिल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।