मणिपुर में 'एशियाई विशाल कछुए' का पहला कृत्रिम प्रजनन सफल
मणिपुर में एशियाई विशाल कछुए का कृत्रिम प्रजनन सफल रहा।


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क्या है मामला?
मणिपुर में एशियाई विशाल कछुए (Asian Giant Tortoise) के अंडों को कृत्रिम तरीके से सेने का पहला प्रयोग सफल रहा है। यह मुख्यभूमि एशिया का सबसे बड़ा कछुआ है। इस सफलता को संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। मणिपुर के इंफाल स्थित मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन और इंडिया टर्टल कंजर्वेशन प्रोग्राम (ITCP) के साझा प्रयासों से एक ही घोंसले से 28 नवजात कछुए (बच्चे) निकले हैं।
यह उपलब्धि कहाँ हासिल हुई?
यह महत्वपूर्ण सफलता मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन, इंफाल में मिली है। यह कछुआ प्रजाति, जिसका वैज्ञानिक नाम मैनौरिया एमीस फेरेई (Manouria emys phayrei) है, गंभीर रूप से संकटग्रस्त मानी जाती है। यह असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड समेत पूर्वोत्तर भारत के पांच राज्यों की मूल निवासी है।
संरक्षण की नई उम्मीद
इन नवजात कछुओं के जन्म के साथ मणिपुर में इस प्रजाति के लिए एक संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम (Conservation Breeding Programme) शुरू हो गया है। इसका अंतिम लक्ष्य इन कछुओं को उनके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ना है।
कर्मचारियों को मिला विशेष प्रशिक्षण
इस परियोजना के तहत 21 अगस्त (2025) को 25 चिड़ियाघर कर्मचारियों और वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को कछुओं और मीठे पानी के कछुओं के संरक्षण और प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षण भी इंडिया टर्टल कंजर्वेशन प्रोग्राम (ITCP) के सहयोग से आयोजित किया गया था।
चिड़ियाघर निदेशक का बयान
मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन के निदेशक, लैशराम बिरमंगल सिंह ने सोमवार (25 अगस्त, 2025) को कहा, "हमारा चिड़ियाघर संगाई या ब्रो-एंटलर्ड हिरण के प्रमुख प्रजनन के लिए जाना जाता है। अब एशियाई विशाल कछुए जैसी शानदार लेकिन कम ज्ञात सरीसृप प्रजाति के संरक्षण की शुरुआत ने हमारे कार्यक्रमों के महत्व को और बढ़ा दिया है।" उन्होंने आगे बताया कि, "प्रजातियों के सफल प्रजनन और चरणबद्ध तरीके से उन्हें जंगल में छोड़ने के लिए समर्पित सुविधाएं विकसित की जाएंगी।"
ITCP समन्वयक की योजना
इंडिया टर्टल कंजर्वेशन प्रोग्राम की परियोजना समन्वयक, सुष्मिता कर ने कहा, "हम इस प्रजाति के लिए उपयुक्त आवासों का मूल्यांकन करेंगे। साथ ही, मणिपुर के विभिन्न जिलों में इनके मूल वितरण क्षेत्रों के बारे में जानकारी इकट्ठा करेंगे ताकि इनकी जनसंख्या की स्थिति को समझा जा सके और इनकी विशिष्ट संरक्षण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।"
परियोजना के मुख्य सदस्य
इस कछुआ संरक्षण कार्यक्रम में मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन के प्रमुख सदस्यों में पशु चिकित्सक एल. शरत चंद्र, रेंज अधिकारी जॉर्जी युम्नाम और पशु परिचर दुर्गा चरण कर्माकर शामिल हैं।