काजीरंगा में बाघों का शानदार इजाफा, देश में तीसरी सबसे ज्यादा घनत्व

काजीरंगा टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि।

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
काजीरंगा में बाघों का शानदार इजाफा, देश में तीसरी सबसे ज्यादा घनत्व
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क्या है खबर?

असम के काजीरंगा टाइगर रिजर्व (केटीआर) ने भारत में बाघों के घनत्व के मामले में तीसरा स्थान हासिल किया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, काजीरंगा में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 18.65 बाघ पाए गए हैं। यह घनत्व कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व और उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क के बाद सबसे अधिक है। काजीरंगा को आमतौर पर एक सींग वाले गैंडों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह बाघों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

बाघों की संख्या में बढ़ोतरी

मंगलवार को वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ऑनलाइन इस रिपोर्ट को जारी किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में केटीआर के 1,307.49 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कुल 148 बाघ दर्ज किए गए हैं। 2022 में बाघों की संख्या 104 थी, जिसमें अब 'उल्लेखनीय' वृद्धि देखी गई है। इस बढ़ोतरी का श्रेय बिस्वनाथ वन्यजीव प्रभाग में पहली बार की गई गणना को दिया गया है, जहां 27 बाघ पाए गए। कोर पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग में बाघों की संख्या 2022 के 104 से बढ़कर 2024 में 115 हो गई है, जबकि नगांव वन्यजीव प्रभाग में छह बाघों की संख्या बनी हुई है।

मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मौके पर कहा, "काजीरंगा से मानस तक, असम केवल बाघों की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बाघों के प्राकृतिक आवास को बहाल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दुनिया में तीसरे सबसे अधिक बाघ घनत्व, घने वन क्षेत्र और अतिक्रमण के खिलाफ उठाए गए कड़े कदमों के साथ, असम के जंगलों का यह खजाना बाघ आज गर्व और बहादुरी के साथ घूम रहा है।"

घनत्व के आंकड़े

रिपोर्ट में दिए गए तुलनात्मक आंकड़ों के अनुसार, केटीआर में प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 18.65 बाघ हैं। यह कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व (1,456 वर्ग किलोमीटर में 19.83 बाघ) और उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क (1,288 वर्ग किलोमीटर में 19.56 बाघ) के बाद आता है।

गणना का तरीका

केटीआर अधिकारियों ने बताया कि यह सर्वेक्षण दिसंबर 2023 से अप्रैल 2024 के बीच कैमरा ट्रैप का उपयोग करके किया गया था। यह गणना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए की गई। बाघों की संख्या निर्धारित करने के लिए 'स्पेशियली एक्सप्लिसिट कैप्चर-रिकैप्चर' विधि का उपयोग किया गया, जो पारंपरिक अनुमान विधियों की तुलना में अधिक सटीक और पारिस्थितिक रूप से प्रासंगिक मानी जाती है।

बाघों की पहचान

103 दिनों के इस कैमरा ट्रैपिंग सर्वेक्षण के दौरान, 13,157 ट्रैप रातों में 242 स्थानों पर बाघों की 4,011 तस्वीरें मिलीं। इन तस्वीरों के माध्यम से 148 वयस्क बाघों की पहचान की गई। इनमें 83 मादा, 55 नर और 10 ऐसे बाघ थे जिनका लिंग निर्धारित नहीं किया जा सका। बाघों की पहचान उनके दाहिने हिस्से पर बने धारीदार पैटर्न (स्ट्राइप पैटर्न) के आधार पर की गई।

बढ़ोतरी के मुख्य कारण

अधिकारियों ने बाघों की संख्या में वृद्धि के पीछे आवास का विस्तार और बेहतर सुरक्षा को मुख्य कारक बताया। हाल के वर्षों में, नगांव वन्यजीव प्रभाग के तहत बुर्हाचपोरी-लाओखोवा अभयारण्यों में 200 वर्ग किलोमीटर (जिसमें 12.82 वर्ग किलोमीटर अतिक्रमण-मुक्त भूमि शामिल है) का क्षेत्र जोड़ा गया है। अधिकारियों के अनुसार, "इस रणनीतिक विस्तार ने बाघों के लिए उपलब्ध परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दिया है, जिससे विभिन्न प्रभागों में उनके आवागमन, प्रजनन और फैलाव के अवसर बढ़े हैं।"

पिछली गणनाओं के आंकड़े

काजीरंगा में पहली बाघ गणना 1997 में हुई थी, तब 80 बाघ दर्ज किए गए थे। 2019 की गणना में यह संख्या बढ़कर 121 हो गई थी, लेकिन 2022 में यह थोड़ी घटकर 104 रह गई थी। मौजूदा आंकड़े इस क्षेत्र में बाघों के संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं।

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