जलवायु परिवर्तन से भारत के डेटा सेंटरों पर मंडरा रहा बड़ा खतरा: रिपोर्ट

जलवायु परिवर्तन से भारत के डेटा सेंटरों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
जलवायु परिवर्तन से भारत के डेटा सेंटरों पर मंडरा रहा बड़ा खतरा: रिपोर्ट
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एक नई वैश्विक रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि भारत में डेटा सेंटर, जो डिजिटल सेवाओं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती मांग को पूरा करते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर भौतिक जोखिम का सामना कर रहे हैं। 'क्रॉस डिपेंडेंसी इनिशिएटिव' (XDI) द्वारा जारी '2025 ग्लोबल डेटा सेंटर फिजिकल क्लाइमेट रिस्क एंड अडैप्टेशन रिपोर्ट' के अनुसार, भारत के पांच राज्य दुनिया के 100 सबसे अधिक जलवायु-जोखिम वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।

भारत के 5 राज्यों को सबसे ज़्यादा खतरा

रिपोर्ट बताती है कि भारत के पांच राज्य – उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना – उन शीर्ष 100 क्षेत्रों में हैं, जहां डेटा सेंटरों को जलवायु परिवर्तन से सबसे ज़्यादा खतरा है।

  • उत्तर प्रदेश: जोखिम सूचकांक में उत्तर प्रदेश वैश्विक स्तर पर दूसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक राज्य के 21 आकलन किए गए डेटा सेंटरों में से 61.9% को भौतिक जलवायु क्षति का उच्च जोखिम होगा। 2100 तक यह जोखिम 111% तक बढ़ने की आशंका है।
  • तमिलनाडु: चेन्नई क्षेत्र सहित तमिलनाडु भी इस सूची में प्रमुखता से शामिल है। राज्य के 10% से अधिक डेटा सेंटर पहले से ही उच्च जोखिम में माने जाते हैं, जबकि लगभग 70% मध्यम जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं। राज्य जलवायु जोखिम सूचकांक में वैश्विक स्तर पर 25वें स्थान पर है।
  • महाराष्ट्र: देश में सबसे ज़्यादा डेटा सेंटर महाराष्ट्र में हैं, जिनमें मुंबई और नवी मुंबई के बड़े केंद्र शामिल हैं। यह राज्य 48वें स्थान पर है। महाराष्ट्र की लगभग 5.71% सुविधाएं पहले से ही उच्च जोखिम वाली श्रेणी में हैं और 66% मध्यम जोखिम में हैं। राज्य में कुल जोखिम सदी के अंत तक 133% बढ़ने का अनुमान है।

वैश्विक जोखिम और परिभाषा

रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर 6.25% डेटा सेंटर वर्तमान में उच्च जोखिम में हैं। उच्च जोखिम का मतलब है कि संपत्ति के मूल्य के 1% से अधिक का अनुमानित नुकसान हो सकता है, जिससे उनका बीमा कराना मुश्किल या बहुत महंगा हो सकता है। यह आंकड़ा 2050 तक बढ़कर 7.13% होने की उम्मीद है। मध्यम जोखिम वाले डेटा सेंटर वर्तमान में विश्व स्तर पर 15.79% हैं और अगले 25 वर्षों में इनके बढ़कर 19.6% होने का अनुमान है। भारत के अलावा, चीन में जिआंगसु और शंघाई, जर्मनी में हैम्बर्ग, जापान में टोक्यो, थाईलैंड में बैंकॉक, हांगकांग और अमेरिका में न्यू जर्सी भी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।

XDI के संस्थापक डॉ. कार्ल मैलोन ने कहा, "डेटा सेंटर वैश्विक अर्थव्यवस्था के अदृश्य इंजन हैं। लेकिन जैसे-जैसे अत्यधिक मौसम की घटनाएं अधिक बार और गंभीर होती जा रही हैं, हमारे डिजिटल दुनिया को आधार देने वाली भौतिक संरचनाएं तेजी से असुरक्षित होती जा रही हैं।"

वित्तीय प्रभाव और बीमा

जलवायु-प्रेरित नुकसान का वैश्विक बीमा बाजार पर भी दबाव बढ़ रहा है। 2024 में, प्राकृतिक आपदाओं से बीमा कंपनियों को लगातार पांचवें साल 135 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ, जिससे बीमाकर्ताओं को अपने जोखिम मॉडल को संशोधित करने, प्रीमियम बढ़ाने और जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में कवरेज कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

समाधान: ढांचागत बदलाव

रिपोर्ट ने लचीलापन बढ़ाने के लिए ढांचागत अनुकूलन का सुझाव दिया है, जैसे बाढ़ रोधी बाधाएं, मजबूत सामग्री का उपयोग और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को ऊपर उठाना। विश्लेषण के अनुसार, ऐसे उपायों से 2050 तक उच्च जोखिम वाले डेटा सेंटरों की संख्या दो-तिहाई से अधिक कम हो सकती है, और मध्यम जोखिम वाली सुविधाओं में 70% से अधिक की कमी आ सकती है। इन उपायों से सालाना 8-11 बिलियन डॉलर का नुकसान टाला जा सकता है। 25 साल की अवधि में, टाले गए नुकसान का शुद्ध वर्तमान मूल्य 120 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

पूरी सुरक्षा के लिए और भी बहुत कुछ ज़रूरी

हालांकि, रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि केवल ढांचागत सुधार ही पर्याप्त नहीं हैं। डेटा सेंटर आस-पास के बुनियादी ढांचे जैसे बिजली ग्रिड, पानी की आपूर्ति प्रणाली, संचार लाइनों और सड़क नेटवर्क पर भी निर्भर करते हैं, जो समान रूप से जलवायु जोखिमों के प्रति संवेदनशील हैं। डॉ. मैलोन ने कहा, "जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को सीमित करने के लिए उत्सर्जन को कम करने में महत्वाकांश पूर्ण और निरंतर निवेश के बिना, कोई भी ढांचागत मजबूती इन महत्वपूर्ण संपत्तियों को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रख पाएगी।"

भारत के लिए चुनौती और अवसर

भारत खुद को एक वैश्विक डिजिटल हब के रूप में स्थापित कर रहा है और हाइपरस्केल डेटा सेंटरों का तेजी से विस्तार कर रहा है। मुंबई, नवी मुंबई, चेन्नई, नोएडा और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरी क्षेत्रों में क्लाउड कंप्यूटिंग, एआई और फिनटेक प्लेटफॉर्म में भारी निवेश देखा जा रहा है। XDI रिपोर्ट इस वृद्धि को लक्षित अनुकूलन और डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों के साथ पूरक करने की तात्कालिकता को रेखांकित करती है, ताकि बुनियादी ढांचे को सुरक्षित रखा जा सके, निवेशकों का विश्वास बना रहे और दीर्घकालिक व्यवहार्यता सुनिश्चित हो सके।

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