चेन्नई में दुर्लभ 'स्ट्राइकिनिन' पेड़ को बचाने के लिए लगा चेतावनी बोर्ड

चेन्नई में दुर्लभ 'स्ट्राइकिनिन' पेड़ को बचाने के लिए चेतावनी बोर्ड

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
चेन्नई में दुर्लभ 'स्ट्राइकिनिन' पेड़ को बचाने के लिए लगा चेतावनी बोर्ड
Tarun
Tarun

tarun@chugal.com

मुख्य खबर

चेन्नई के इंजाम्बाक्कम में एक पुराने और बेहद दुर्लभ 'स्ट्राइकिनिन' (Strychnine) पेड़ की सुरक्षा के लिए अब एक चेतावनी बोर्ड लगाया गया है। इस खास पेड़ को ईस्ट कोस्ट रोड (ECR) चौड़ीकरण के दौरान काटे जाने से बचाया गया था। चेन्नई जिला ग्रीन कमेटी ने इस पेड़ को एक दुर्लभ प्रजाति का घोषित किया था। पेड़ संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन 'निझाल' ने यह बोर्ड पेड़ के ठीक बगल में लगाया है, ताकि आम लोग अनजाने में या जानबूझकर इसे कोई नुकसान न पहुँचाएँ। यह बोर्ड तब तक यहीं रहेगा, जब तक वन विभाग इस पेड़ के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हुई एक स्थायी पट्टिका नहीं लगा देता।

दुर्लभ है यह वृक्ष

चेन्नई जैसे बड़े शहर में 'स्ट्राइकिनिन' पेड़, जिसे तमिल में 'एटिमरम' के नाम से भी जाना जाता है, बहुत कम ही पाए जाते हैं। उपलब्ध जानकारियों के अनुसार, इसका वैज्ञानिक नाम 'स्ट्राइकनोस नक्स-वोमिका' (Strychnos nux-vomica) है और चेन्नई में इसकी मौजूदगी बहुत सीमित है। इंजाम्बाक्कम में पोन्नी अम्मन कोविल के पास ईस्ट कोस्ट रोड पर यह विशाल और पुराना 'स्ट्राइकिनिन' पेड़ मौजूद है। चेन्नई में इसका केवल एक और ज्ञात पेड़ है, जो आईसीएफ में है, लेकिन वह इंजाम्बाक्कम वाले पेड़ की तुलना में काफी नया है। चेन्नई के अधिकतर लोग इस दुर्लभ पेड़ को पहचान भी नहीं पाते।

सड़क चौड़ीकरण में बचा

अपनी इसी दुर्लभ पहचान के कारण, इंजाम्बाक्कम में स्थित यह पुराना 'स्ट्राइकिनिन' पेड़ ईसीआर चौड़ीकरण के दौरान भी सुरक्षित रहा। चेन्नई जिला ग्रीन कमेटी के एक अहम सदस्य और 'निझाल' संगठन के प्रमुख सदस्य टी.डी. बाबू के विशेष अनुरोध पर, राज्य राजमार्ग विभाग ने इस पेड़ को बचाने के लिए काफी कोशिशें कीं। जब सड़क चौड़ीकरण के लिए आसपास की ज्यादातर चीजों को हटा दिया गया था, तब भी इस पेड़ को अपनी जगह पर खड़ा रहने दिया गया। यहां तक कि एक बरसाती नाला भी पेड़ के चारों ओर से सावधानीपूर्वक बनाया गया।

सुरक्षा की चिंता और पहल

एक दिन टी.डी. बाबू अपनी गाड़ी से जा रहे थे, तभी उन्होंने इस पेड़ के पास एक जेसीबी मशीन खड़ी देखी। उन्हें तुरंत पेड़ की सुरक्षा को लेकर चिंता हुई। उन्होंने रुक कर पता किया कि पेड़ के पास बिजली केबल बिछाने का काम चल रहा था। हालांकि उन्हें पता था कि पेड़ को नुकसान पहुँचाने की कोई योजना नहीं थी, फिर भी उन्होंने काम कर रहे मजदूरों को इस पेड़ के महत्व के बारे में बताना उचित समझा। बाबू ने पास के एक ठेले वाले को अपना नंबर भी दिया और उससे कहा कि यदि पेड़ के खिलाफ कोई ऐसी गतिविधि दिखे जो उसके हित में न हो, तो तुरंत उन्हें सूचित करे। बाबू ने यह भी सुनिश्चित किया कि लोगों को पेड़ के महत्व और उसे नुकसान पहुँचाने वालों के लिए चेतावनी देने के लिए यह बोर्ड लगाया जाए।

चेतावनी बोर्ड पर संदेश

इस चेतावनी बोर्ड पर 'निझाल' के साथ-साथ ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और तमिलनाडु सरकार के लोगो भी लगे हुए हैं, जो इस पहल को आधिकारिक मान्यता देते हैं। बोर्ड पर तमिल भाषा में लिखा संदेश काफी प्रभावी है, जिसका मोटे तौर पर मतलब है कि "यदि आप इस पेड़ को नुकसान पहुँचाते हैं, तो आपको भी नुकसान होगा।" यह संदेश सीधे आदेश देने के बजाय एक गंभीर चेतावनी के रूप में दिया गया है।

भविष्य की योजना

टी.डी. बाबू बताते हैं कि 'निझाल' ने वन विभाग को चेन्नई और उसके आसपास के उन सभी पेड़ों की एक सूची सौंपी है जिनका ऐतिहासिक या पर्यावरणीय महत्व है और जिनकी हर कीमत पर सुरक्षा की जानी चाहिए। वन विभाग अब इन सभी पेड़ों के लिए विशेष पट्टिकाएँ तैयार कर रहा है, जो उनके महत्व और उनके "संरक्षित" दर्जे को बताएंगी। जब तक वन विभाग की ओर से वह स्थायी पट्टिका नहीं आ जाती, तब तक यह अस्थायी बोर्ड इस पुराने 'स्ट्राइकिनिन' पेड़ की सुरक्षा का काम बखूबी करता रहेगा।

Related News