भारत में पक्षियों की संख्या में alarming गिरावट: रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

भारत में पक्षियों की संख्या में alarming गिरावट, संरक्षण की तत्काल आवश्यकता।

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
भारत में पक्षियों की संख्या में alarming गिरावट: रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
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हाल ही में हुए एक बड़े अध्ययन से पता चला है कि भारत में पक्षियों की कई प्रजातियों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। यह रिपोर्ट पक्षियों के संरक्षण के लिए तुरंत और लगातार कोशिशें करने की जरूरत को बताती है।

क्या कहती है 'स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स 2023' रिपोर्ट?

'स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स 2023' (The State of India’s Birds 2023) नाम की इस रिपोर्ट को कई बड़े शोध संस्थानों और संरक्षण संगठनों ने मिलकर तैयार किया है। इस रिपोर्ट में 942 पक्षी प्रजातियों की स्थिति का आकलन किया गया है। यह डेटा हजारों पक्षी प्रेमियों द्वारा 'ईबर्ड' (eBird) नामक नागरिक विज्ञान प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराई गई जानकारी से लिया गया है।

मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 204 पक्षी प्रजातियों की संख्या में लंबे समय से गिरावट देखी जा रही है, जबकि 142 प्रजातियां ऐसी हैं जिनकी संख्या अभी भी घट रही है। इस अध्ययन में पक्षियों को संरक्षण प्राथमिकता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है:

  • उच्च संरक्षण प्राथमिकता (High Conservation Priority): 178 प्रजातियां
  • मध्यम प्राथमिकता (Moderate Priority): 323 प्रजातियां
  • कम प्राथमिकता (Low Priority): 441 प्रजातियां

किन पक्षियों पर सबसे ज्यादा असर?

अध्ययन में पाया गया कि विशेष आहार वाले पक्षी, जैसे जो रीढ़ वाले शिकार, मृत पशु या कीड़े-मकोड़े खाते हैं, उनकी संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। इनकी आबादी में 25% से अधिक की दीर्घकालिक कमी देखी गई है। इसके विपरीत, जो पक्षी फल या फूलों के रस पर निर्भर करते हैं, उनकी संख्या या तो स्थिर रही है या बढ़ी है।

इसके अलावा, घास के मैदानों, झाड़ियों और आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) में रहने वाले पक्षियों की संख्या में भी सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई है। भारत में सर्दियों के मौसम में आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी स्थानीय पक्षियों की तुलना में अधिक गिरावट आई है, जो चिंता का विषय है।

विशेषज्ञों की राय

एनसीबीएस (NCBS) में वन्यजीव जीवविज्ञान और संरक्षण कार्यक्रम के फेलो और इस अध्ययन के लेखक विवेक रामचंद्रन ने कहा, "हमारे निष्कर्ष एक गंभीर सच्चाई को उजागर करते हैं - भारत की विभिन्न पक्षी आबादी में महत्वपूर्ण गिरावट आ रही है, जो ठोस संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है।"

डेटा संग्रह और विश्लेषण

यह रिपोर्ट 'ग्लोबल साउथ' (Global South) में सबसे बड़े जैव विविधता निगरानी प्रयासों में से एक है। अध्ययन में 'ईबर्ड' डेटा का उपयोग किया गया और डेटा में मौजूद त्रुटियों को दूर करने के लिए एक मजबूत कार्यप्रणाली विकसित की गई। टीम ने चिड़ियों को देखने की अवधि या दूरी को मानकीकृत करने के बजाय प्रति चेकलिस्ट में रिपोर्ट की गई प्रजातियों की संख्या के आधार पर विश्लेषण को मानकीकृत किया, जिससे डेटा की तुलना करना आसान हो गया।

रामचंद्रन ने बताया कि इस परियोजना के लिए विकसित सभी सॉफ्टवेयर और विश्लेषण के तरीके ओपन-सोर्स हैं, जिससे दुनिया भर के शोधकर्ता उनका उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह ढांचा पहले के मुकाबले कहीं अधिक पक्षी प्रजातियों का आकलन करने में मदद करता है और सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।

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