उत्तरकाशी में कनेक्टिविटी बहाल करने को बेली ब्रिज का काम अंतिम चरण में
उत्तरकाशी में बेली ब्रिज का काम अंतिम चरण में, कनेक्टिविटी बहाल होगी।


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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बाढ़ प्रभावित इलाकों में कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए बनाए जा रहे बेली ब्रिज का काम अंतिम चरण में है। अधिकारियों ने रविवार (10 अगस्त, 2025) को यह जानकारी दी। इसके साथ ही, बाढ़ से प्रभावित धारली में लापता लोगों की तलाश भी लगातार जारी है।
क्या है बेली ब्रिज?
बेली ब्रिज एक खास तरह का मॉड्यूलर पुल होता है, जिसे पहले से तैयार पुर्जों का इस्तेमाल करके बहुत कम समय में जोड़ा जा सकता है। आपातकालीन स्थितियों में यह पुल बेहद उपयोगी साबित होते हैं।
पुल का महत्व और स्थिति
अधिकारियों के अनुसार, गंगोत्री नेशनल हाईवे पर लिमचीगाड़ में गंगनानी और धारली के बीच बन रहा यह बेली ब्रिज रविवार (10 अगस्त, 2025) शाम तक तैयार होने की संभावना है। यह पुल आपदा प्रभावित उत्तरकाशी के इलाकों को फिर से जोड़ेगा और प्रभावित लोगों तक खाद्य आपूर्ति को सुचारू करने में मदद करेगा। दरअसल, धारली में अचानक आई बाढ़ में लिमचीगाड़ पुल बह गया था, जिसके बाद उसकी जगह पर यह नया बेली ब्रिज युद्धस्तर पर बनाया जा रहा है।
सरकारी निर्देश और आपूर्ति
राज्य के गृह सचिव शैलेश बगौली ने अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि धारली में हर दिन 2,000 लीटर डीजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और प्रभावित लोगों तक एलपीजी सिलेंडर भी पहुंचाए जाएं। बगौली ने यह भी निर्देशित किया है कि जब तक सड़कें पूरी तरह से ठीक होकर चालू नहीं हो जातीं, तब तक आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई के लिए घोड़ों और खच्चरों का इस्तेमाल किया जाए।
सड़कें खोलने का काम जारी
अधिकारियों ने बताया कि सोंगड़, डबरानी, हरसिल और धारली जैसे इलाकों में नेशनल हाईवे पर हुए अवरोधों को भी युद्धस्तर पर साफ किया जा रहा है ताकि यातायात जल्द से जल्द बहाल हो सके।
रेस्क्यू ऑपरेशन और लापता लोगों की तलाश
शनिवार (9 अगस्त, 2025) तक 1,000 से अधिक लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से सुरक्षित निकाला जा चुका था। हालांकि, रविवार सुबह हुई बारिश के कारण हेलीकॉप्टरों से फंसे हुए लोगों को निकालने का काम थोड़ा प्रभावित हुआ है।
बाढ़ प्रभावित धारली में लापता लोगों की तलाश एसडीआरएफ (SDRF) के खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों जैसे विक्टिम लोकेटिंग और थर्मल इमेजिंग कैमरों की मदद से लगातार जारी है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि एसडीआरएफ अपने गोताखोरों को भी नावों (राफ्ट) के साथ तलाशी अभियान में शामिल करने की तैयारी कर रहा है ताकि बचाव कार्यों को और गति मिल सके।