सिंगापुर में नौकरी का झांसा देकर ठगी, भारतीय को हुई जेल
सिंगापुर में नौकरी का झांसा देकर भारतीय को जेल हुई।


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सिंगापुर की एक अदालत ने मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को एक भारतीय नागरिक चरणजीत सिंह को धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने के आरोप में 13 हफ़्ते की जेल की सज़ा सुनाई है। सज़ा सुनाते समय उस पर लगे तीन अन्य आरोपों पर भी विचार किया गया। 'द स्ट्रेट्स टाइम्स' अख़बार के अनुसार, 20 वर्षीय चरणजीत सिंह पर एक घरेलू सहायिका को नकली नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनसे 2,000 सिंगापुर डॉलर से अधिक की ठगी करने का आरोप है।
क्या है पूरा मामला?
अदालत को बताया गया कि चरणजीत सिंह ने अक्टूबर 2024 में 29 वर्षीय भारतीय घरेलू सहायिका से मुलाक़ात की। उसने दावा किया कि वह सहायिका के रिश्तेदारों के लिए सिंगापुर में नौकरी दिला सकता है। इसके लिए उसने प्रति आवेदक 2,50,000 रुपये (लगभग 3,700 सिंगापुर डॉलर) की माँग की।
कैसे हुई धोखाधड़ी?
17 नवंबर से 1 दिसंबर, 2024 के बीच, पीड़ित महिला ने सिंह को 2,135 सिंगापुर डॉलर हस्तांतरित किए। इसके बदले में, सिंह ने उसे श्रम मंत्रालय (MOM) के जाली दस्तावेज़ भेजे। इन दस्तावेज़ों में वर्क परमिट के लिए संशोधित सैद्धांतिक मंज़ूरी पत्र शामिल थे। ये दस्तावेज़ उसने एक पूर्व सह-किरायेदार के मूल दस्तावेज़ का अनधिकृत इस्तेमाल करके बनाए थे।
कैसे हुआ खुलासा?
धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ, जब पीड़ित महिला के नियोक्ता ने श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर आवेदन की स्थिति की पुष्टि करने में मदद की। वेबसाइट पर ऐसा कोई आवेदन मौजूद नहीं था। जब सिंह का सामना किया गया, तो उसने झूठा दावा किया कि मंज़ूरी केवल पूरा भुगतान होने के बाद ही दिखेगी। सिंगापुर के उप लोक अभियोजक मैक्सिमिलियन च्यू ने अदालत में बताया, "आरोपी ने पीड़ित को आश्वासन दिया था कि पूरा भुगतान होने के बाद वह उसे श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर जानकारी देखने के लिए एक पासवर्ड देगा।" पूरी राशि मिलने के बाद, सिंह लापता हो गया और उसका कोई अता-पता नहीं चला।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
इसके बाद पीड़ित महिला ने 26 दिसंबर, 2024 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। सिंगापुर के 'द स्ट्रेट्स टाइम्स' अख़बार के अनुसार, चरणजीत सिंह को 24 अप्रैल, 2025 को गिरफ़्तार कर लिया गया था।
अदालत का फैसला और आरोपी का बयान
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सिंह, जो अदालत में बिना वकील के पेश हुआ था, उसने एक दुभाषिए के माध्यम से कहा कि उसे अपने किए का पछतावा है और वह सज़ा स्वीकार करता है।