कॉन्गो: पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला को देशद्रोह के आरोप में मौत की सज़ा
कॉन्गो के पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला को मौत की सज़ा सुनाई गई।


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कॉन्गो के एक सैन्य अदालत ने मंगलवार (30 सितंबर, 2025) को पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला को देशद्रोह और अन्य आरोपों में दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा सुनाई है। यह फैसला तब आया है जब जुलाई से ही कबीला पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चल रहा था और उनकी वर्तमान लोकेशन अज्ञात है।
जोसेफ कबीला पर लगे आरोप
पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला पर कई गंभीर आरोप लगे थे। इन आरोपों में देशद्रोह, एक विद्रोही आंदोलन में शामिल होना, साज़िश रचना और आतंकवाद का समर्थन करना शामिल है। अभियोजन पक्ष ने अदालत से कबीला के लिए मौत की सज़ा की मांग की थी।
सरकार के गंभीर दावे
कॉन्गो सरकार का दावा है कि जोसेफ कबीला ने रवांडा और एम23 विद्रोही समूह के साथ मिलकर काम किया था। एम23 समूह ने जनवरी में पूर्वी कॉन्गो के कई प्रमुख शहरों पर तेज़ी से कब्ज़ा कर लिया था और अभी भी उन पर नियंत्रण बनाए हुए है। हालांकि, कबीला इन आरोपों से लगातार इनकार करते रहे हैं।
कानूनी छूट हुई खत्म
मई में देश की सीनेट ने जोसेफ कबीला को मुकदमों से बचाने वाली कानूनी छूट (इम्युनिटी) को खत्म करने के लिए मतदान किया था। कबीला ने उस समय सीनेट के इस कदम को तानाशाही बताया था।
जोसेफ कबीला कहां हैं?
जोसेफ कबीला लंबे समय से कॉन्गो से बाहर आत्म-निर्वासित निर्वासन में रह रहे थे। हालांकि, अप्रैल में वह गोमा शहर लौट आए थे, जो उन शहरों में से एक है जिस पर विद्रोही समूह का कब्ज़ा है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह गोमा में ही रुके थे या नहीं। उनकी मौजूदा लोकेशन अभी भी अज्ञात है।