सेबी का बड़ा प्रस्ताव: बड़े IPOs के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों में ढील की सिफारिश

सेबी ने बड़े IPOs के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों में ढील की सिफारिश की।

Published · By Bhanu · Category: Business & Economy
सेबी का बड़ा प्रस्ताव: बड़े IPOs के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों में ढील की सिफारिश
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने केंद्र सरकार से एक अहम सिफारिश की है। सेबी ने कहा है कि बड़ी कंपनियों के बड़े आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश) के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) के नियमों में ढील दी जाए। इसका मकसद है कि अच्छी गुणवत्ता वाली बड़ी कंपनियाँ आसानी से भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट हो सकें और खुदरा निवेशकों को इनमें निवेश करने का मौका मिले।

क्यों चाहिए नियमों में ढील?

सेबी के मौजूदा नियमों के मुताबिक, जिन कंपनियों का आईपीओ के बाद बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) ₹1,00,000 करोड़ से ज़्यादा होता है, उन्हें जनता के लिए ₹5,000 करोड़ और कम से कम 5% पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप की हिस्सेदारी जारी करनी होती है।

सेबी के चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने बताया कि इतनी बड़ी हिस्सेदारी को आईपीओ के जरिए कम करना कंपनियों के लिए मुश्किल हो सकता है। बाजार इतनी बड़ी मात्रा में शेयरों को एक साथ शायद न खरीद पाए, जिससे ऐसी कंपनियाँ भारत में लिस्ट होने से कतरा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लिस्टिंग के बाद लगातार शेयरों को कम करने से मौजूदा सार्वजनिक शेयरधारकों के हितों पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे शेयर की कीमत पर दबाव आ सकता है।

नए नियमों का क्या होगा प्रस्ताव?

सेबी ने बड़े आईपीओ के लिए कंपनियों के बाजार पूंजीकरण के आधार पर अलग-अलग नियम प्रस्तावित किए हैं:

  • ₹50,000 करोड़ से ₹1 लाख करोड़ तक की मार्केट कैप वाली कंपनियां:
    • कम से कम ₹1,000 करोड़ और पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप का 8% हिस्सा जनता के लिए लाना होगा।
    • लिस्टिंग के 5 साल के भीतर 25% एमपीएस हासिल करना होगा।
  • ₹1 लाख करोड़ से ₹5 लाख करोड़ तक की मार्केट कैप वाली कंपनियां:
    • कम से कम ₹6,250 करोड़ और पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप का 2.75% हिस्सा जनता के लिए लाना होगा।
    • अगर लिस्टिंग के दिन सार्वजनिक शेयरधारिता 15% से कम है, तो 5 साल में 15% और 10 साल में 25% एमपीएस हासिल करना होगा।
    • अगर लिस्टिंग के दिन सार्वजनिक शेयरधारिता 15% है, तो 5 साल में 25% एमपीएस हासिल करना होगा।
  • ₹5 लाख करोड़ से अधिक की मार्केट कैप वाली कंपनियां:
    • कम से कम ₹15,000 करोड़ और पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप का कम से कम 1% हिस्सा जनता के लिए लाना होगा (लेकिन यह कम से कम 2.5% होना चाहिए)।
    • अगर लिस्टिंग के दिन सार्वजनिक शेयरधारिता 15% या उससे ज़्यादा है, तो 5 साल में 25% एमपीएस हासिल करना होगा।

क्या होगा इसका फायदा?

सेबी चेयरमैन ने बताया कि इन बदले हुए नियमों से बड़े आईपीओ के लिए भी बाजार में पर्याप्त शेयर उपलब्ध होंगे, जिससे तरलता (लिक्विडिटी) बनी रहेगी। इससे खुदरा निवेशकों को भी फायदा होगा। लिस्टिंग के बाद, स्टॉक एक्सचेंज ऐसी कंपनियों पर अपनी निगरानी जारी रखेंगे ताकि शेयरों का कारोबार सुचारु रूप से चल सके।

सेबी के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि इन कदमों से कई अच्छी और बड़ी कंपनियाँ भारत में लिस्ट होने के लिए प्रोत्साहित होंगी। रिलायंस जियो और एलजी जैसी कुछ बड़ी कंपनियाँ फिलहाल आईपीओ लाने का इंतजार कर रही हैं।

विदेशी निवेशकों के लिए भी सुविधा

सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए व्यापार को आसान बनाने के लिए भी एक प्रस्ताव की घोषणा की है। इसके तहत विदेशी निवेशकों के लिए एक सिंगल ऑटोमेटिक विंडो शुरू की जाएगी। बोर्ड ने यह भी मंजूरी दी कि भारतीय प्रायोजकों या प्रबंधकों वाले आईएफएससी (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) में खुदरा योजनाएं एफपीआई के रूप में पंजीकरण कर सकेंगी।

जल्द आ सकता है NSE का IPO

एक सवाल के जवाब में सेबी चेयरमैन ने कहा कि एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) का आईपीओ जल्द ही आ सकता है। उन्होंने बताया कि एक्सचेंज ने लंबित मुद्दों को सुलझाने में काफी प्रगति की है और अब जब एक्सचेंज के पास एक अध्यक्ष भी है, तो यह प्रक्रिया और तेज़ होगी।

बढ़ रही है FPIs की संख्या

सेबी ने बताया कि हर महीने करीब 100 नए एफपीआई पंजीकरण के लिए आवेदन कर रहे हैं। देश में अब 12,000 से अधिक पंजीकृत एफपीआई हैं, जबकि एक साल पहले यह संख्या 10,000 थी।

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