रूस ने यूक्रेन में यूरोपीय सेना और ज़ेलेंस्की-पुतिन की जल्द बैठक से किया इनकार

रूस ने यूक्रेन में यूरोपीय सेना और ज़ेलेंस्की-पुतिन की जल्द बैठक से किया इनकार।

Published · By Bhanu · Category: World News
रूस ने यूक्रेन में यूरोपीय सेना और ज़ेलेंस्की-पुतिन की जल्द बैठक से किया इनकार
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क्या हुआ

क्रेमलिन ने बुधवार (27 अगस्त, 2025) को स्पष्ट किया कि वह यूरोपीय देशों द्वारा यूक्रेन में शांति सेना भेजने के विचार के खिलाफ है। इसके साथ ही, रूस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके यूक्रेनी समकक्ष वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच जल्द मुलाकात की संभावना को भी खारिज कर दिया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान रूस का यह रुख सामने रखा।

यूक्रेन में यूरोपीय सेना पर रूस का रुख

रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए किसी भी संभावित समझौते के तहत यूरोपीय शांति सेना भेजने के सवाल पर पेसकोव ने कहा, "हम इस तरह की चर्चाओं को नकारात्मक रूप से देखते हैं।" उनके इस बयान से स्पष्ट होता है कि रूस यूक्रेन में किसी भी यूरोपीय शांति सेना की तैनाती का कड़ा विरोध करता है।

पुतिन-ज़ेलेंस्की मुलाकात पर क्रेमलिन

क्रेमलिन ने राष्ट्रपति पुतिन और उनके यूक्रेनी समकक्ष ज़ेलेंस्की के बीच जल्द शिखर सम्मेलन की संभावना को भी कम कर दिया। पेसकोव ने इस संबंध में कहा, "किसी भी उच्च-स्तरीय या शीर्ष-स्तरीय संपर्क को प्रभावी होने के लिए अच्छी तरह से तैयार किया जाना चाहिए।" उन्होंने संकेत दिया कि फिलहाल ऐसी कोई त्वरित मुलाकात संभव नहीं है क्योंकि तैयारी के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।

संघर्ष का मूल कारण और आगे की बातचीत

पेसकोव ने यह भी बताया कि नाटो देशों की यूक्रेन में सैन्य उपस्थिति को रोकना रूस के लिए उस संघर्ष के शुरुआती कारणों में से एक था, जिसे मॉस्को ने फरवरी 2022 में शुरू किया था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी बातचीत में "सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक" है, लेकिन मॉस्को इस बारे में सार्वजनिक रूप से कोई विशेष बात नहीं करेगा। पेसकोव ने यह भी जानकारी दी कि रूसी और यूक्रेनी वार्ता दलों के प्रमुख "आपस में संपर्क में" हैं, लेकिन भविष्य की वार्ताओं के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है।

यूक्रेन और रूस की मांगें

यूक्रेन किसी भी समझौते के हिस्से के रूप में पश्चिमी समर्थित सुरक्षा गारंटी पर जोर दे रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रूस दोबारा हमला न करे। वहीं, मॉस्को की मांग है कि कीव उसके पूर्वी हिस्से में और अधिक क्षेत्र सौंपे। इन दोनों देशों की अलग-अलग मांगें शांति वार्ता को और जटिल बना रही हैं।

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