रुपया धड़ाम: डॉलर के मुकाबले 52 पैसे लुढ़का, अमेरिकी टैरिफ की आशंका बनी वजह
रुपया डॉलर के मुकाबले 52 पैसे लुढ़का, अमेरिकी टैरिफ की आशंका से गिरावट।


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बुधवार (30 जुलाई, 2025) को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 52 पैसे कमजोर होकर 87.43 (अस्थायी आंकड़े) पर बंद हुआ। रुपये में यह गिरावट भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण देखी गई। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त, 2025 की समय सीमा से पहले 20-25% तक टैरिफ दरों का संकेत दिया है, जिससे भारतीय बाजारों में चिंता बढ़ गई है।
क्यों गिरा रुपया?
विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, रुपये पर मुख्य रूप से दोहरी मार पड़ी है। एक तो महीने के अंत में आयातकों की ओर से डॉलर की भारी मांग रही, वहीं विदेशी फंडों का लगातार भारतीय बाजारों से बाहर निकलना भी रुपये के लिए नकारात्मक साबित हुआ। मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को भी रुपया डॉलर के मुकाबले 21 पैसे कमजोर होकर 86.91 पर बंद हुआ था, जो चार महीने से भी अधिक का निचला स्तर था।
विशेषज्ञों की राय
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त की समय सीमा से पहले 20-25% टैरिफ दरों का संकेत देने के बाद भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता के कारण भारतीय रुपया तेजी से गिरा है।" चौधरी ने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण रुपया और कमजोर हो सकता है। बढ़ती वैश्विक तेल कीमतें और विदेशी फंडों का बाहर जाना भी रुपये पर दबाव बनाए रख सकता है।"
शेयर बाजार और विदेशी निवेश
घरेलू शेयर बाजार की बात करें तो, बुधवार को 30 शेयरों वाला BSE सेंसेक्स 143.91 अंक या 0.18% की बढ़त के साथ 81,481.86 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी भी 33.95 अंक या 0.14% बढ़कर 24,855.05 पर टिका। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को शुद्ध आधार पर 4,636.60 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे, जो रुपये पर दबाव का एक और कारण है।
व्यापार समझौते पर असमंजस
व्यापारियों का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच लंबित व्यापार समझौता रुपये पर लगातार दबाव बनाए रख सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि भारत के साथ व्यापार समझौता अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत लगभग किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक टैरिफ लगाता है। टैरिफ दरों के 20-25% होने की खबरों पर जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "मुझे ऐसा लगता है।"
निर्यातकों पर बढ़ सकता है दबाव
प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत का अगला दौर 25 अगस्त को होगा, जब अमेरिकी टीम भारत आएगी। हालांकि, दोनों पक्ष 1 अगस्त की समय सीमा से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते के लिए मतभेदों को सुलझाने में लगे हुए हैं, क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर लगाए गए शुल्कों के निलंबन की अवधि का अंत है। अगर यह चर्चा विफल रहती है या इसमें देरी होती है, तो भारतीय निर्यातकों को नए सिरे से दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे रुपये की चुनौतियां बढ़ेंगी। यदि 1 अगस्त की समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाता है या दोनों देशों के बीच कोई अंतरिम समझौता नहीं होता है, तो भारतीय निर्यातकों को मौजूदा 10% के अतिरिक्त 16% का शुल्क झेलना पड़ सकता है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, व्यापारी इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ जापान के मौद्रिक नीति निर्णयों के साथ-साथ अमेरिका से दूसरी तिमाही (Q2, 2025) के सकल घरेलू उत्पाद (GDP), एडीपी गैर-कृषि रोजगार और लंबित घर बिक्री के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं। यूएसडी-आईएनआर स्पॉट मूल्य 87-87.90 की सीमा में कारोबार करने की उम्मीद है।