संसद का मॉनसून सत्र खत्म: स्पीकर बिरला और हरिवंश ने विपक्ष को घेरा

संसद का मॉनसून सत्र खत्म, विपक्ष पर कामकाज में बाधा डालने का आरोप।

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
संसद का मॉनसून सत्र खत्म: स्पीकर बिरला और हरिवंश ने विपक्ष को घेरा
Tarun
Tarun

tarun@chugal.com

मॉनसून सत्र का समापन और आलोचना

संसद का मॉनसून सत्र गुरुवार (21 अगस्त, 2025) को खत्म हो गया। सत्र के आखिरी दिन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बार-बार हुए हंगामे और सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया। दोनों नेताओं ने इस सत्र में कामकाज के बेहद कम समय पर गहरी चिंता व्यक्त की।

हंगामेदार रहा सत्र

यह सत्र काफी हंगामेदार रहा। सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से हुई थी। सत्र के आखिरी दिनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण संकल्प पेश किया, जिसमें प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के 31 दिनों तक हिरासत में रहने पर उनके पद से स्वतः हट जाने के संवैधानिक संशोधनों का अध्ययन करने के लिए एक संयुक्त चयन समिति बनाने की बात कही गई थी।

बेहद कम रहा कामकाज

पूरे सत्र के दौरान, लोकसभा सिर्फ 37 घंटे ही काम कर पाई, जबकि राज्यसभा में 41 घंटे 15 मिनट तक ही कामकाज हो सका। अपने समापन भाषण में, ओम बिरला और हरिवंश ने विपक्ष के सदस्यों के आचरण की कड़ी आलोचना की। राज्यसभा की उत्पादकता (प्रोडक्टिविटी) केवल 38.88% रही, जिसे उपसभापति ने गंभीर आत्मनिरीक्षण का विषय बताया।

विपक्ष के विरोध की वजह

विपक्ष ने पूरे सत्र के दौरान लगातार विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांगें थीं - मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन और लोकसभा तथा हालिया विधानसभा चुनावों में कथित 'वोट चोरी' के आरोपों पर संसद में चर्चा। इन मुद्दों पर स्थगन प्रस्तावों (adjournment motions) की मांग को अस्वीकार कर दिया गया, जिसके कारण दोनों सदनों में लगातार व्यवधान आए और कार्यवाही बाधित हुई।

उपसभापति हरिवंश ने जताई निराशा

उपसभापति हरिवंश ने कहा, "अध्यक्ष द्वारा सूचीबद्ध विषयों पर सार्थक और बिना रुकावट के चर्चा कराने के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, यह सत्र बार-बार के व्यवधानों से बाधित रहा, जिसके कारण सदन को कई बार स्थगित करना पड़ा। इससे न केवल संसद का कीमती समय बर्बाद हुआ, बल्कि हमें सार्वजनिक महत्व के कई मामलों पर विचार-विमर्श करने का अवसर भी नहीं मिला।" उन्होंने बताया कि सदस्यों को 285 प्रश्न, 285 शून्यकाल और 285 विशेष उल्लेख उठाने का अवसर था, लेकिन दुर्भाग्य से सिर्फ 14 प्रश्न, सात शून्यकाल और 61 विशेष उल्लेख ही उठाए जा सके।

स्पीकर ओम बिरला का संबोधन

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपने विदाई भाषण में कहा कि सत्र की शुरुआत में सभी सदस्यों ने मिलकर 120 घंटे चर्चा और संवाद का फैसला किया था। उन्होंने कहा, "लेकिन लगातार गतिरोध और सुनियोजित व्यवधानों के कारण, हम इस सत्र में मुश्किल से 37 घंटे ही काम कर पाए।" उन्होंने बताया कि 419 तारांकित प्रश्न एजेंडे में थे, लेकिन हंगामे के कारण केवल 55 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए जा सके।

सांसदों की जिम्मेदारी पर जोर

बिरला ने आगे कहा, "जनप्रतिनिधि के रूप में, पूरा देश हमारे आचरण और कामकाज को देखता है। जनता को हमसे बहुत उम्मीदें हैं कि हम उनकी समस्याओं और व्यापक जनहित के मुद्दों पर, महत्वपूर्ण विधेयकों पर, संसद की मर्यादा के अनुसार गंभीर और सार्थक चर्चा करें।" उन्होंने सभी सदस्यों से सदन में स्वस्थ परंपराएं बनाने में सहयोग करने, नारेबाजी और व्यवधान से बचने और गंभीर चर्चा को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सदन के भीतर और परिसर में हमारी भाषा हमेशा संयमित और शालीन होनी चाहिए।

सत्र में पारित हुए महत्वपूर्ण विधेयक

इस सत्र के दौरान, राज्यसभा ने 15 सरकारी विधेयकों को पारित किया या वापस भेजा। लोकसभा में 14 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 12 को पास कर दिया गया। दोनों सदनों में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा हुई और लोकसभा में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर भी बहस की गई।

आत्मचिंतन का आह्वान

ओम बिरला ने सभी सांसदों से अपील करते हुए कहा, "लोकतंत्र में सहमति और असहमति एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन हमारा सामूहिक प्रयास यह होना चाहिए कि सदन गरिमा, मर्यादा और शालीनता के साथ चले। हमें सोचना होगा कि देश की इस सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था के माध्यम से हम नागरिकों को क्या संदेश दे रहे हैं। मुझे विश्वास है कि सभी राजनीतिक दल और माननीय सदस्य इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचेंगे और आत्मचिंतन करेंगे।"

Related News