NISAR के बाद ISRO की एक और बड़ी तैयारी: अमेरिका के साथ मिलकर लॉन्च करेगा ब्लू बर्ड सैटेलाइट
ISRO अमेरिका के साथ मिलकर ब्लू बर्ड सैटेलाइट लॉन्च करेगा।


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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए तैयार है। ISRO, अमेरिका की एक कंपनी द्वारा विकसित 'ब्लू बर्ड कम्युनिकेशन सैटेलाइट' को अगले तीन से चार महीनों में लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह जानकारी ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने शुक्रवार (1 अगस्त 2025) को तिरुवनंतपुरम, केरल में दी।
कब और कहाँ से होगा लॉन्च?
ब्लू बर्ड सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ISRO के सबसे भारी लॉन्च व्हीकल LVM3 (जिसे पहले GSLV-Mk III के नाम से जाना जाता था) के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। नारायणन ने बताया कि यह सैटेलाइट सितंबर महीने में भारत पहुँचने की उम्मीद है। इसके लॉन्च व्हीकल पर भी काम तेज़ी से चल रहा है।
क्या हुई थी देरी?
ISRO अध्यक्ष ने बताया कि लगभग 6500 किलोग्राम वज़नी इस सैटेलाइट को तीन महीने पहले ही भारत आ जाना चाहिए था, लेकिन 'कुछ तकनीकी दिक्कतें' (developmental issues) आने के कारण इसमें देरी हुई है।
NISAR के बाद दूसरा बड़ा सहयोग
यह भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में दूसरा बड़ा सहयोग होगा। इससे पहले, ISRO ने 30 जुलाई को NASA-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। NISAR को GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया था।
अमेरिकी व्यापार नीतियों पर ISRO अध्यक्ष का बयान
जब नारायणन से पूछा गया कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियाँ विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग को प्रभावित करेंगी, तो उन्होंने विश्वास जताया कि "भारत ने जो भी प्रौद्योगिकी अनुबंध किए हैं, वे पूरे किए जाएंगे।"
गगनयान मिशन पर ताजा अपडेट
ISRO अध्यक्ष ने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन 'गगनयान' को लेकर भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2025 में गगनयान से पहले तीन बिना क्रू वाले (uncrewed) मिशनों में से पहला मिशन लॉन्च किया जाएगा। शेष दो बिना क्रू वाले मिशन 2026 में होने की उम्मीद है। ISRO ने पहले 2027 की पहली तिमाही में क्रू वाले मिशन की योजना की घोषणा की थी। नारायणन ने कहा कि बिना क्रू वाले मिशनों के प्रदर्शन का अध्ययन करने के बाद इस कार्यक्रम को निर्धारित किया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि लॉन्च व्हीकल का 'मानव-रेटिंग' (human-rating) पूरा हो चुका है। ऑर्बिटल मॉड्यूल का विकास 'उन्नत चरण' में है और क्रू एस्केप सिस्टम का विकास भी लगभग पूरा होने वाला है।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का लक्ष्य
नारायणन ने 2035 तक भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन, 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' के निर्माण को पूरा करने की ISRO की योजनाओं को भी दोहराया। 52 टन वज़न की इस सुविधा को पाँच मॉड्यूलों में विकसित किया जाएगा, जिसका पहला मॉड्यूल 2028 तक कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है।