नेपाल भारत के 'इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस' में हुआ शामिल, वन्यजीव संरक्षण को मिलेगी मजबूती

नेपाल भारत के 'इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस' में शामिल हुआ।

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
नेपाल भारत के 'इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस' में हुआ शामिल, वन्यजीव संरक्षण को मिलेगी मजबूती
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नेपाल अब आधिकारिक तौर पर 'इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस' (IBCA) का हिस्सा बन गया है। यह भारत के नेतृत्व वाली एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में बड़ी बिल्लियों की सात प्रजातियों को बचाना है।

क्या है इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस?

IBCA एक बहु-देशीय और बहु-एजेंसी गठबंधन है, जिसमें 90 से अधिक ऐसे देश शामिल हैं जहाँ बड़ी बिल्लियाँ पाई जाती हैं, या वे देश जिनकी वन्यजीव संरक्षण में विशेष रुचि है। इसका मुख्य लक्ष्य इन शानदार जीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों को बनाए रखना है।

नेपाल के शामिल होने का महत्व

IBCA ने शनिवार (24 अगस्त, 2025) को घोषणा की कि नेपाल ने 'फ्रेमवर्क एग्रीमेंट' पर हस्ताक्षर करके औपचारिक रूप से इस गठबंधन में शामिल हो गया है। IBCA ने बताया कि नेपाल में हिम तेंदुआ, बाघ और सामान्य तेंदुआ जैसे महत्वपूर्ण बड़ी बिल्ली प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ऐसे में नेपाल के इस गठबंधन में शामिल होने से बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग और मजबूत होगा। IBCA ने नेपाल सरकार को "पारिस्थितिक सुरक्षा की दिशा में इस महत्वपूर्ण कदम" के लिए बधाई भी दी है।

नेपाल का बाघ संरक्षण में सफल रिकॉर्ड

नेपाल ने बाघों के संरक्षण में सराहनीय सफलता हासिल की है। साल 2009 में जहाँ नेपाल में केवल 121 बाघ थे, वहीं 2022 की जनगणना (जो अब तक की नवीनतम है) के अनुसार यह संख्या लगभग तीन गुना बढ़कर 355 हो गई है। यह उपलब्धि वन्यजीव संरक्षण के प्रति नेपाल की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

कब हुई थी IBCA की शुरुआत?

इस 'इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस' की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल, 2023 को कर्नाटक के मैसूरु में की थी। इस पहल का मकसद बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा जैसी सात बड़ी बिल्लियों का वैश्विक स्तर पर संरक्षण करना है। भारत के पास बाघों के संरक्षण का एक लंबा अनुभव है और उसने शेर, हिम तेंदुआ और तेंदुए जैसी अन्य बड़ी बिल्लियों के लिए भी अनुकरणीय संरक्षण मॉडल स्थापित किए हैं।

गठबंधन का मुख्य उद्देश्य

यह मंच ऐसे देशों को एक साथ लाता है जहाँ बड़ी बिल्लियाँ पाई जाती हैं, ताकि वे अपने अनुभव साझा कर सकें और संसाधनों को जुटा सकें। इसका लक्ष्य बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए प्रभावी समाधान खोजना और उन्हें विश्व स्तर पर लागू करना है।

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