नेशनल हेराल्ड केस: ईडी चार्जशीट पर कोर्ट का आदेश टला
नेशनल हेराल्ड केस में ईडी चार्जशीट पर कोर्ट का आदेश टला।


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क्या हुआ?
दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार्जशीट (आरोप-पत्र) पर संज्ञान लेने संबंधी अपना आदेश मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को टाल दिया है। इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम भी शामिल है।
कब और क्यों टला फैसला?
कोर्ट सूत्रों के मुताबिक, यह मामला अब 7 और 8 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया गया है, ताकि कुछ स्पष्टीकरण मांगे जा सकें। इससे पहले, विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 15 जुलाई को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। उन्होंने तब कहा था कि संज्ञान लेने से संबंधित सभी दलीलें पूरी हो चुकी हैं और 29 जुलाई को आदेश सुनाया जाएगा। अदालत 2 जुलाई से ईडी और आरोपियों द्वारा संज्ञान संबंधी दलीलों की रोजाना सुनवाई कर रही थी।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़ा है। ईडी ने 15 अप्रैल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और कुछ अन्य लोगों को कथित मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) के एक मामले में नामजद किया था।
ईडी के आरोप
ईडी का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी, दिवंगत पार्टी नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के साथ-साथ सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और एक निजी कंपनी 'यंग इंडियन' ने कथित तौर पर 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पने के लिए आपराधिक साजिश रची और मनी लॉन्ड्रिंग की। ये संपत्तियां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की थीं, जो नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करती थी।
एजेंसी का दावा है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन कंपनी में 76% बहुमत हिस्सेदारी है। आरोप है कि इसी कंपनी ने 90 करोड़ रुपये के ऋण के बदले एजेएल की संपत्तियों को धोखाधड़ी से हड़प लिया। ईडी की चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पित्रोदा, दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डॉटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं।
कांग्रेस का रुख
इस मामले को लेकर 16 अप्रैल को देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तरों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ इस मामले को "बेतुका, राजनीति से प्रेरित और मनगढ़ंत" बताया था। पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों को "कानून के शासन का मुखौटा पहनकर किया गया राज्य-प्रायोजित अपराध" करार दिया है।