दुनिया की समस्याओं का समाधान दे भारत, स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए बलिदान ज़रूरी: मोहन भागवत

मोहन भागवत: भारत को दुनिया की समस्याओं का समाधान देना चाहिए।

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
दुनिया की समस्याओं का समाधान दे भारत, स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए बलिदान ज़रूरी: मोहन भागवत
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने 15 अगस्त, 2025 को 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भुवनेश्वर में तिरंगा फहराते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारतीयों को स्वतंत्रता को जीवित रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी और देश को आत्मनिर्भर बनाकर एक वैश्विक नेता के रूप में उभरना होगा। उनके अनुसार, भारत को दुनिया की उन समस्याओं का समाधान देना चाहिए, जिनका सामना पूरी दुनिया कर रही है।

स्वतंत्रता का अर्थ और जिम्मेदारी

मोहन भागवत ने अपने पूर्वजों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए बलिदानों को याद करते हुए कहा कि हमें स्वतंत्रता मिल गई है, इस बात को लेकर हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। उन्होंने 'स्वतंत्र' शब्द का अर्थ समझाया, जो 'स्व' (अपना) और 'तंत्र' (शासन) से मिलकर बना है। भागवत ने कहा कि देश अब स्वतंत्र हो गया है और जनता खुद सरकार चला रही है।

कड़ी मेहनत है ज़रूरी

आरएसएस प्रमुख ने जोर देते हुए कहा, "हमारे पूर्वजों ने हमारी स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान दिए। हमें भी इस स्वतंत्रता को जीवित रखने और अपने देश को आत्मनिर्भर व वैश्विक नेता बनाने के लिए उतनी ही कड़ी मेहनत करनी होगी।"

विश्व शांति और समृद्धि में भारत का योगदान

भागवत ने आगे कहा कि स्वतंत्र भारत का पूरे विश्व के प्रति भी कर्तव्य है। उन्होंने बताया कि दुनिया पिछले 2,000 सालों से अनगिनत समस्याओं का सामना कर रही है और उनसे उबर नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व में शांति और खुशियाँ लानी चाहिए और अपने 'धर्म' (जीवन मूल्यों) को दूसरों के साथ साझा करना चाहिए। भागवत के अनुसार, "हमें स्वतंत्रता इसलिए मिली ताकि हमारे देश में हर कोई खुशी, साहस, सुरक्षा, शांति और सम्मान प्राप्त कर सके। हालांकि, दुनिया लड़खड़ा रही है। दुनिया को समाधान देना और हमारे धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित खुशी व शांति से भरी एक नई दुनिया बनाना हमारा कर्तव्य है।"

भारत बनेगा विश्व गुरु

भागवत ने पर्यावरणीय मुद्दों और दुनिया भर के झगड़ों का जिक्र करते हुए कहा, "ऐसी स्थिति में, दूसरों का मार्गदर्शन करना, समस्याओं को सुलझाना और दुनिया को एक 'विश्व गुरु' के रूप में शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाना भारत का कर्तव्य है।"

दत्तात्रेय होसबाले का भी बयान

इसी मौके पर, महाराष्ट्र के ठाणे में 79वें स्वतंत्रता दिवस को चिह्नित करने के लिए आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत को आज की चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए, अपनी क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए और वैश्विक समुदायों की सेवा के लिए एक 'विश्व गुरु' बनना चाहिए।

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