कपास आयात शुल्क माफी: किसानों के लिए 'मौत का फरमान'

कपास आयात शुल्क माफी किसानों के लिए 'मौत का फरमान' है।

Published · By Bhanu · Category: Politics & Government
कपास आयात शुल्क माफी: किसानों के लिए 'मौत का फरमान'
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क्या हुआ

केंद्र सरकार ने कच्चे कपास के आयात पर लगने वाले सभी कस्टम शुल्क हटा दिए हैं। सरकार का कहना है कि यह फैसला घरेलू कपास की कीमतों को स्थिर करेगा और कपड़ा उद्योग को सहारा देगा। हालांकि, किसान संगठनों के संयुक्त मंच, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस फैसले को किसानों के लिए 'मौत का फरमान' बताया है।

सरकार का फैसला और किसान संगठन का विरोध

केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने मंगलवार (19 अगस्त, 2025) को नई दिल्ली में बताया कि कच्चे कपास के आयात पर 30 सितंबर तक सभी कस्टम शुल्क से छूट देने का फैसला घरेलू कपास की कीमतों को स्थिर करने और कपड़ा उद्योग को मदद पहुंचाने के लिए लिया गया है। वहीं, कई किसान संगठनों के संयुक्त मंच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस कदम को कपास किसानों के लिए 'मौत का फरमान' करार दिया है।

किसान मोर्चा का आरोप

एसकेएम ने कपास पर आयात शुल्क हटाने की अधिसूचना का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि इसका सीधा असर घरेलू कपास की कीमतों पर पड़ेगा। एसकेएम ने चेतावनी दी, "कपास की कीमतें निश्चित रूप से गिरेंगी और किसानों को और अधिक संकट व कर्ज का सामना करना पड़ेगा।" एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'दोहरेपन और धोखे' का आरोप लगाते हुए उनसे यह समझाने को कहा कि कैसे किसान उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैं।

एसकेएम ने यह भी बताया कि पिछले 11 सालों में कपास किसानों को एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिला। उन्होंने कहा, "पूरा कपास उत्पादक क्षेत्र भारत में किसानों की आत्महत्या के लिए सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। कपास पर आयात शुल्क हटाने से लाखों कपास किसान परिवारों की आजीविका और भी खतरे में पड़ जाएगी।"

केंद्र सरकार का स्पष्टीकरण

इस बीच, कपड़ा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस छूट में 5% मूल सीमा शुल्क (Basic Customs Duty), 5% कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (Agriculture Infrastructure and Development Cess), और इन दोनों पर लगने वाला 10% सामाजिक कल्याण अधिभार (Social Welfare Surcharge) शामिल है। मंत्रालय ने बताया कि कुल मिलाकर यह कपास पर लगने वाले 11% आयात शुल्क को हटाता है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा अधिसूचित इस फैसले से धागे, कपड़े, परिधान और तैयार उत्पादों सहित पूरी कपड़ा मूल्य श्रृंखला में इनपुट लागत कम होने की उम्मीद है। इससे निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों को बहुत जरूरी राहत मिलेगी। मंत्रालय ने आगे कहा कि सरकार का लक्ष्य घरेलू बाजार में कच्चे कपास की उपलब्धता बढ़ाना, कपास की कीमतों को स्थिर करना और इस प्रकार तैयार कपड़ा उत्पादों पर मुद्रास्फीति के दबाव को कम करना है। साथ ही, उत्पादन लागत कम करके भारतीय कपड़ा उत्पादों की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता का समर्थन करना भी इसका उद्देश्य है। सरकार ने यह भी कहा कि इस कदम से कपड़ा क्षेत्र में छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) की रक्षा होगी, जो मूल्य उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

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