ईरान हिजबुल्लाह के निशस्त्रीकरण का करेगा विरोध: खामेनेई के सलाहकार
ईरान हिजबुल्लाह के निशस्त्रीकरण का विरोध करेगा: खामेनेई के सलाहकार


bhanu@chugal.com
तेहरान, ईरान: ईरान ने साफ कर दिया है कि वह लेबनान में सक्रिय तेहरान समर्थित सैन्य समूह हिजबुल्लाह को निशस्त्र किए जाने के किसी भी फैसले के खिलाफ है। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खामेनेई के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के वरिष्ठ सलाहकार अली अकबर वेलायती ने शनिवार (9 अगस्त, 2025) को यह बात कही।
ईरान का स्पष्ट रुख
तसनीम समाचार एजेंसी के अनुसार, वेलायती ने कहा, "ईरान का इस्लामिक गणराज्य निश्चित रूप से हिजबुल्लाह के निशस्त्रीकरण का विरोध करता है।" उन्होंने आगे कहा कि ईरान हमेशा से लेबनान के लोगों और उनके प्रतिरोध का समर्थन करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।
लेबनान सरकार का फैसला
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब लेबनानी कैबिनेट ने मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को सेना को एक योजना तैयार करने की अनुमति दी है। इस योजना का मकसद साल के अंत तक हथियारों पर पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण स्थापित करना है, जिसका सीधा मतलब हिजबुल्लाह को निशस्त्र करना होगा। यह फैसला इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हुए युद्ध के बाद लिया गया था, जिसमें हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत और राजनीतिक प्रभाव काफी कम हो गया था।
अमेरिकी और इजरायली हस्तक्षेप का आरोप
वेलायती ने इस निशस्त्रीकरण की कोशिश को अमेरिका और इजरायल के दखल का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, "यह पहली बार नहीं है कि लेबनान में कुछ लोगों ने ऐसे मुद्दे उठाए हैं।" उन्होंने विश्वास जताया कि पहले की "लेबनान-विरोधी योजनाएं" जिस तरह विफल रहीं, यह भी सफल नहीं होगी और प्रतिरोध इन "षड्यंत्रों" के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा। लेबनानी कैबिनेट पर अमेरिका और लेबनान की हिजबुल्लाह-विरोधी पार्टियों का दबाव था कि वे समूह को निशस्त्र करने की सार्वजनिक प्रतिबद्धता जताएं। उन्हें डर था कि यदि वे कार्रवाई नहीं करते तो इजरायल लेबनानी क्षेत्र पर हमले तेज कर सकता है।
ईरान के शीर्ष राजनयिक का बयान
बुधवार (6 अगस्त, 2025) को, ईरान के शीर्ष राजनयिक अब्बास अराघची ने कहा था कि निशस्त्रीकरण पर कोई भी फैसला हिजबुल्लाह को ही लेना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेहरान अपने सहयोगी का "दूर से समर्थन करता है, लेकिन हम हस्तक्षेप नहीं करते।"
हिजबुल्लाह की प्रतिक्रिया
अराघची की टिप्पणी हिजबुल्लाह द्वारा कैबिनेट के फैसले को "एक गंभीर पाप" बताए जाने के कुछ ही घंटों बाद आई थी। हिजबुल्लाह ने कहा था कि वह इस कदम को "जैसे उसका कोई अस्तित्व ही न हो" वैसे मानेगा।
सीजफायर से संबंध
लेबनानी सरकार ने निशस्त्रीकरण को नवंबर के संघर्ष-विराम समझौते के क्रियान्वयन का हिस्सा बताया है, जिसका उद्देश्य इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच लड़ाई को समाप्त करना था।
'प्रतिरोध की धुरी' का हिस्सा
हिजबुल्लाह ईरान की तथाकथित "प्रतिरोध की धुरी" का हिस्सा है। यह क्षेत्र में सशस्त्र समूहों का एक नेटवर्क है, जिसमें गाजा में हमास और यमन के हूती विद्रोही भी शामिल हैं, जो इजरायल के विरोध में एकजुट हैं। पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के नेतृत्व वाला सीरिया भी इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता था, लेकिन पिछले दिसंबर में असद को सत्ता से हटाए जाने के बाद क्षेत्रीय गतिशीलता बदल गई है।