तेल अवीव बना युद्ध का मैदान, आसमान में धुएं और धमाकों का मंजर
ईरान ने तेल अवीव पर बरसाईं मिसाइलें, इज़राइल में मचा हड़कंप


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ईरान का भयानक प्रहार: तेल अवीव बना युद्ध का मैदान
14 जून, 2025 — सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर इन दिनों 'Tel Aviv' ज़बरदस्त ट्रेंड कर रहा है। वजह है ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ता तनाव, जिसने अब एक नए स्तर पर आग पकड़ ली है। 13 जून को ईरान ने इज़राइल पर भीषण मिसाइल और ड्रोन हमला किया, जिसमें तेल अवीव सबसे बड़ा निशाना बना।
हमला क्यों हुआ?
इस हमले की चिंगारी तब भड़की जब इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य कमांडरों को निशाना बनाते हुए एक बड़ा हमला किया, जिसमें 78 लोगों की मौत हुई। इसके जवाब में ईरान ने 'ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट' लॉन्च किया और सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन दागे।
तेल अवीव में क्या हुआ?
तेल अवीव और उसके आसपास जोरदार धमाकों की आवाज़ें गूंजीं। Iron Dome ने कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया, लेकिन कुछ इमारतें चपेट में आ गईं। रमत गन के एक अपार्टमेंट में धमाका हुआ, जिससे 7 लोग घायल हुए। इचिलोव मेडिकल सेंटर में घायलों का इलाज चल रहा है।
सोशल मीडिया पर हड़कंप
X पर वीडियो और तस्वीरें वायरल हो गईं, जिसमें मिसाइलों की इंटरसेप्शन और धुएं के गुबार देखे जा सकते हैं। कई यूज़र्स ने दावा किया कि ईरान ने इज़राइली डिफेंस हेडक्वार्टर्स को टारगेट किया, वहीं इज़राइल का दावा है कि रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया गया।
लोगों की प्रतिक्रिया और डर
हमले के दौरान पूरे देश में सायरन बजे और नागरिकों को बंकरों में जाने की सलाह दी गई। हालांकि बाद में खतरा कम होने पर उन्हें बाहर आने की अनुमति दी गई। फिर भी पूरे तेल अवीव में डर और बेचैनी का माहौल है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ईरानी विदेश मंत्री ने यूएन में इसे आत्मरक्षा बताया, जबकि इज़राइल अभी तक आधिकारिक बयान देने से बच रहा है। एयर इंडिया ने 25 मई तक की सभी उड़ानें स्थगित कर दी हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
इतिहास खुद दोहराया जा रहा है?
तेल अवीव पर पहले भी हमले हो चुके हैं — 2024 में हूती विद्रोहियों द्वारा मिसाइल और ड्रोन हमलों में लोग घायल हुए थे। अब एक बार फिर वही शहर संघर्ष का केंद्र बन गया है।
निष्कर्ष:
Tel Aviv इस समय सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि मध्य-पूर्व की राजनीति का उबलता केंद्र बन चुका है। X पर इसकी चर्चा केवल रॉकेट और ड्रोन तक सीमित नहीं, बल्कि इसके पीछे की भू-राजनीति और मानवीय संकट को उजागर कर रही है। आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है या शायद शांति की कोई नई पहल सामने आए — लेकिन फ़िलहाल, दुनिया की नज़रें तेल अवीव पर टिकी हैं।