भारत-म्यांमार सीमा विवाद: बाड़बंदी और FMR पर गृह मंत्रालय की बैठक बेनतीजा
भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी और FMR पर बैठक बेनतीजा रही।


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नई दिल्ली में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (FMR) को लेकर एक अहम बैठक बेनतीजा रही। मंगलवार (26 अगस्त, 2025) को हुई इस बैठक में मणिपुर के तीन नागा संगठनों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की थी।
क्या हुई थी बैठक?
यह बैठक मणिपुर के नागा प्रतिनिधिमंडल और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच हुई, जिसमें भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और फ्री मूवमेंट रेजिम (FMR) के भविष्य पर चर्चा की गई। हालांकि, दोनों पक्ष किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाए और बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
कौन थे प्रतिनिधिमंडल में?
केंद्र सरकार ने यूनाइटेड नागा काउंसिल (UNC), नागा महिला संघ और मणिपुर के अखिल नागा छात्र संघ के नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय के पूर्वोत्तर मामलों के सलाहकार ए.के. मिश्रा ने टीम का नेतृत्व किया।
नागा संगठनों की मांगें
नागा प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने बताया कि बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। उन्होंने FMR को बहाल करने और भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी का काम तुरंत रोकने की मांग की थी, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने अपने फैसलों को सही ठहराया। सदस्य ने आगे कहा कि वे अपने लोगों के पास वापस जाकर भविष्य की रणनीति तय करेंगे।
सीमा सुधार पर नागाओं का तर्क
बैठक के दौरान, मणिपुर के प्रतिनिधिमंडल ने यह बात उठाई कि सीमा पर बाड़ लगाने से पहले उसे ठीक किया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि नागा-बहुल क्षेत्रों की पारंपरिक सीमा म्यांमार में चिंदविन नदी तक फैली हुई है। सीमा के उस पार, खासकर म्यांमार के सागैंग डिवीजन में नागाओं की अच्छी-खासी आबादी रहती है।
पारिवारिक संबंधों पर असर
इससे पहले, UNC ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया था कि भारत-म्यांमार सीमा के दोनों ओर रहने वाले नागा समुदायों के बीच गहरे जातीय और पारिवारिक संबंध हैं। ये संबंध औपनिवेशिक काल से पहले से चले आ रहे हैं और उनकी पहचान, परंपराओं और जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि FMR को अचानक खत्म करने और शारीरिक बाड़बंदी करने से समुदायों और परिवारों के आपसी संबंधों पर बुरा असर पड़ा है।
सरकार का सुरक्षा तर्क और नागाओं की आपत्ति
नागा नेताओं के अनुसार, केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कहा कि सीमा पर बाड़ लगाना राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। इसके जवाब में नागा प्रतिनिधियों ने कहा कि FMR को खत्म करने और बाड़ लगाने का भारत सरकार का फैसला भारत-नागा शांति वार्ता की भावना के खिलाफ है।
क्या है फ्री मूवमेंट रेजिम (FMR)?
फ्री मूवमेंट रेजिम (FMR) को 1968 में लागू किया गया था। शुरुआत में, इसने सीमा रेखा के दोनों ओर 40 किलोमीटर के भीतर रहने वाले निवासियों को आवाजाही की अनुमति दी थी। 2004 में इसे घटाकर 16 किलोमीटर कर दिया गया था और एक दशक बाद अतिरिक्त नियम लागू किए गए। कुछ महीने पहले, इस क्षेत्रीय सीमा को और घटाकर 10 किलोमीटर कर दिया गया है।