डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का किया अनुरोध
ट्रंप ने टैरिफ मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया।


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क्या है मामला?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन एक बार फिर टैरिफ (आयात शुल्क) के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय से यह अनुरोध किया है कि राष्ट्रपति को संघीय कानून के तहत व्यापक आयात शुल्क लगाने का अधिकार है और इस पर जल्द से जल्द फैसला सुनाया जाए। ट्रंप प्रशासन ने अपील अदालत के उस फैसले को पलटने की मांग की है, जिसमें उनके कई टैरिफ को अवैध बताया गया था।
अपील अदालत का फैसला
अमेरिकी संघीय सर्किट की अपील अदालत ने हाल ही में अपने एक फैसले में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ को 'आपातकालीन शक्तियों के कानून का अवैध उपयोग' बताया था। हालांकि, अदालत ने इन शुल्कों को फिलहाल लागू रहने दिया था। यह फैसला उन छोटे व्यवसायों और कंपनियों के लिए एक बड़ी जीत थी जो इन शुल्कों से प्रभावित हो रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध
ट्रंप प्रशासन ने बुधवार (3 सितंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। इसमें न्यायाधीशों से इस मामले को तुरंत उठाने और नवंबर की शुरुआत में इस पर सुनवाई करने का अनुरोध किया गया है। सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने अपनी याचिका में लिखा है कि अपील अदालत का यह फैसला "जारी विदेशी वार्ताओं पर अनिश्चितता का बादल" डालता है और पहले से हुए समझौतों के साथ-साथ चल रही वार्ताओं को भी खतरे में डालता है। उन्होंने इस मामले को "अत्यंत महत्वपूर्ण" बताया है।
छोटे व्यवसायों पर प्रभाव
लिबर्टी जस्टिस सेंटर के वरिष्ठ वकील और मुकदमेबाजी निदेशक जेफरी श्वाब ने कहा कि ये अवैध टैरिफ छोटे व्यवसायों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं और उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मामले का जल्द से जल्द समाधान होगा। ये व्यवसाय पहले दो बार जीत हासिल कर चुके हैं - एक बार संघीय व्यापार अदालत में और फिर अपील अदालत में।
टैरिफ का उद्देश्य और राजस्व
डोनाल्ड ट्रंप ने इन शुल्कों का उपयोग यूरोपीय संघ, जापान और अन्य देशों पर नए व्यापार समझौते स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए किया है। अगस्त के अंत तक, इन टैरिफ से कुल $159 बिलियन का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से दोगुने से भी अधिक है।
कानूनी तर्क
अपील अदालत के अधिकांश न्यायाधीशों ने माना कि 1977 का अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) राष्ट्रपति को कांग्रेस की टैरिफ निर्धारित करने की शक्ति पर हावी होने की अनुमति नहीं देता। हालांकि, कुछ असहमति जताने वाले न्यायाधीशों का तर्क था कि यह कानून राष्ट्रपति को आपात स्थिति के दौरान बिना किसी स्पष्ट सीमा के आयात को विनियमित करने की अनुमति देता है। अमेरिकी संविधान कांग्रेस को कर (टैरिफ सहित) लगाने की शक्ति देता है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में सांसदों ने यह अधिकार राष्ट्रपति को दिया है, और ट्रंप ने इस शक्ति का भरपूर उपयोग किया है।
किन टैरिफ पर है फैसला?
यह न्यायिक फैसला दो प्रकार के आयात शुल्कों से संबंधित है, जिन्हें ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करके उचित ठहराया था: अप्रैल में घोषित टैरिफ और फरवरी में कनाडा, चीन और मेक्सिको से आयात पर लगाए गए टैरिफ। हालांकि, विदेशी स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोबाइल पर लगाए गए कुछ टैरिफ इस अपील अदालत के फैसले के दायरे में नहीं आते। इसके अलावा, ट्रंप द्वारा अपने पहले कार्यकाल में चीन पर लगाए गए टैरिफ, जिन्हें वर्तमान राष्ट्रपति जो बिडेन ने भी बरकरार रखा है, वे भी इस फैसले में शामिल नहीं हैं।
सरकार की चिंता
अमेरिकी सरकार का तर्क है कि यदि इन टैरिफ को रद्द कर दिया जाता है, तो उसे पहले से एकत्र किए गए कुछ आयात करों को वापस करना पड़ सकता है। इससे अमेरिकी खजाने को एक बड़ा वित्तीय झटका लग सकता है।