कांगो में नाव के दो हादसों से हाहाकार: 193 लोगों की मौत, सैकड़ों लापता
कांगो में नाव हादसों में 193 की मौत, सैकड़ों लापता; सरकार पर आरोप


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कांगो के उत्तर-पश्चिमी इलाके में इस हफ्ते नाव डूबने की दो अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 193 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों और सरकारी मीडिया ने शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को बताया कि इन हादसों के बाद सैकड़ों लोग अभी भी लापता हैं। ये दोनों हादसे बुधवार और गुरुवार को हुए, और इक्वाटूर प्रांत में करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थे।
पहला हादसा: कांगो नदी में डूबी व्हेल बोट
मानवीय मामलों के मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार (11 सितंबर, 2025) शाम को इक्वाटूर प्रांत के लुकोलेला क्षेत्र में कांगो नदी में एक व्हेल बोट में आग लग गई और वह पलट गई। इस नाव में लगभग 500 यात्री सवार थे। मलांगे गांव के पास हुए इस हादसे के बाद 209 लोगों को बचाया जा सका।
दूसरा हादसा: बासानकुसू में मोटर बोट पलटी
इससे एक दिन पहले, बुधवार (10 सितंबर, 2025) को इसी प्रांत के बासानकुसू क्षेत्र में एक मोटर बोट पलट गई थी। सरकारी मीडिया ने बताया कि इस हादसे में कम से कम 86 लोग मारे गए, जिनमें से ज़्यादातर छात्र थे। कई लोग लापता भी बताए गए हैं, लेकिन उनकी सही संख्या सामने नहीं आई है।
हादसों की वजह क्या?
यह तुरंत साफ नहीं हो पाया है कि दोनों हादसों की वजह क्या थी। शुक्रवार शाम (12 सितंबर, 2025) तक बचाव अभियान जारी था या नहीं, इसकी भी जानकारी नहीं मिल पाई। हालांकि, सरकारी मीडिया ने मौके से मिली रिपोर्टों का हवाला देते हुए बताया कि बुधवार के हादसे की वजह "अनुचित लोडिंग और रात में यात्रा" हो सकती है। घटनास्थल से मिली कुछ तस्वीरों में ग्रामीण शवों के आसपास इकट्ठे होकर शोक मनाते दिख रहे थे।
स्थानीय समूह ने सरकार को ठहराया दोषी
एक स्थानीय नागरिक समाज समूह ने बुधवार के हादसे के लिए सरकार को दोषी ठहराया और दावा किया कि मृतकों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज़्यादा है। इस संबंध में अधिकारियों से तुरंत टिप्पणी नहीं मिल पाई।
कांगो में बढ़ती दुर्घटनाएं
मध्य अफ्रीकी देश कांगो में नावों के पलटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि लोग सड़कों की खराब स्थिति के कारण सस्ते, लकड़ी के जहाजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये नावें अक्सर यात्रियों और उनके सामान के अत्यधिक भार के नीचे टूट जाती हैं। इन यात्राओं के दौरान लाइफ जैकेट मिलना मुश्किल होता है और नावें अक्सर क्षमता से अधिक भरी होती हैं। इसके अलावा, कई नावें रात में भी चलती हैं, जिससे दुर्घटना होने पर बचाव कार्य मुश्किल हो जाता है और कई शवों का पता भी नहीं चल पाता।