बिहार मतदाता सूची: चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट को भरोसा
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बिहार मतदाता सूची पर भरोसा दिलाया।


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चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि बिहार में मतदाता सूची से किसी भी वोटर का नाम बिना पूर्व सूचना और उन्हें अपनी बात कहने का मौका दिए बिना नहीं हटाया जाएगा। यह आश्वासन विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत 1 अगस्त को प्रकाशित बिहार के मसौदा मतदाता सूची में नाम हटाने को लेकर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) नामक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख नामों का व्यक्तिगत विवरण दे। चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया में सीधे तौर पर हटाए गए नामों का विवरण तो नहीं दिया, लेकिन मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया को लेकर महत्वपूर्ण आश्वासन दिए।
चुनाव आयोग का अहम आश्वासन
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 'प्राकृतिक न्याय' के सिद्धांतों का पालन करेगा। इसका मतलब है कि जिन मतदाताओं के नाम हटाने पर विचार किया जा रहा है, उन्हें अपनी बात रखने और संबंधित दस्तावेज जमा करने का 'उचित अवसर' दिया जाएगा। आयोग ने यह भी साफ किया कि नाम हटाने से पहले उन्हें कारण बताते हुए नोटिस दिया जाएगा। सक्षम अधिकारी द्वारा दिया गया बाद का आदेश 'तर्कपूर्ण और स्पष्ट' होगा।
अपील की सुविधा और पारदर्शिता
चुनाव आयोग ने आगे कहा कि किसी भी गलत कार्रवाई के खिलाफ मतदाताओं के पास पर्याप्त कानूनी सहारा सुनिश्चित करने के लिए 'दो-स्तरीय अपील प्रणाली' भी मौजूद है। यह व्यवस्था संबंधित नियमों के तहत पहले से ही निर्धारित है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक मसौदा सूची की पूरी जांच की सुविधा के लिए राजनीतिक दलों को इसकी मुद्रित और डिजिटल प्रतियां उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही, आम जनता के लिए ऑनलाइन सुविधा भी दी गई है ताकि वे अपनी जानकारी जांच सकें।
वोटरों की मदद के लिए अभियान
चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची से कोई भी योग्य वोटर न छूटे, यह सुनिश्चित करने के लिए ढाई लाख स्वयंसेवकों को काम पर लगाया गया है। इनमें अधिकतर बिहार सरकार के अधिकारी शामिल हैं। ये स्वयंसेवक योग्य मतदाताओं को विभिन्न राज्य विभागों से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं। आयोग ने कहा कि भले ही किसी कमजोर वर्ग के मतदाता के पास वर्तमान में कोई दस्तावेज न हो, उसे भी दस्तावेज प्राप्त करने की प्रक्रिया में सहायता की जाएगी।
पुनरीक्षण अभियान की प्रगति और जागरूकता
आयोग ने बताया कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है, जिसमें "पर्याप्त प्रगति" हुई है। बिहार में कोई भी मतदाता न छूटे, यह सुनिश्चित करने के लिए 77,895 बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) द्वारा घरों का बार-बार दौरा किया गया ताकि नामांकन फॉर्म एकत्र किए जा सकें। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त किए गए 1.6 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (BLAs) में से कोई भी एक दिन में 50 तक नामांकन फॉर्म जमा कर सकता है। चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार मतदाता सूची में योग्य मतदाताओं के नाम शामिल करने के लिए आवेदन जमा करने और दावा-आपत्ति अवधि में भाग लेने की समय-सीमा और तरीके को लेकर हिंदी में विज्ञापन भी जारी किए गए थे।
युवा मतदाताओं पर ध्यान
आयोग यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि 1 अक्टूबर तक पात्र होने वाले युवा मतदाताओं को भी सूची में शामिल किया जाए। दावा-आपत्ति अवधि के दौरान उनके नामांकन के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।