अमेरिका ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' को आतंकी संगठन घोषित किया

अमेरिका ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' को आतंकी संगठन घोषित किया।

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अमेरिका ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' को आतंकी संगठन घोषित किया

अमेरिका ने 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को एक विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। यह आतंकी समूह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक सहयोगी संगठन है और इसे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार माना गया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार, 17 जुलाई 2025 को एक बयान जारी कर इस फैसले की जानकारी दी।

पहलगाम हमला और TRF का दावा

यह महत्वपूर्ण फैसला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी शुरुआत में TRF ने ली थी, लेकिन बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते वह अपने दावे से पीछे हट गया था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने TRF के प्रमुख शेख सज्जाद गुल को इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री का बयान

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अपने बयान में कहा कि यह कार्रवाई पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि TRF को 'विदेशी आतंकी संगठन' (FTO) और 'विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी' (SDGT) के रूप में नामित किया गया है। रुबियो ने स्पष्ट किया कि TRF और उससे जुड़े अन्य नामों को लश्कर-ए-तैयबा की मौजूदा FTO और SDGT सूची में जोड़ा गया है। उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला था, जिसे लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था। TRF ने हाल ही में 2024 में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है।

भारत की जवाबी कार्रवाई

पहलगाम हमले के जवाब में, भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संपर्क

मई महीने में, भारत के सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने वाशिंगटन सहित 33 देशों की राजधानियों का दौरा किया था। इन मुलाकातों का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के आतंकवाद से सीधे संबंधों के बारे में जानकारी देना और इस मुद्दे पर समर्थन हासिल करना था।

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