निजी शिक्षण संस्थानों में SC/ST/OBC आरक्षण पर कांग्रेस की बड़ी मांग

कांग्रेस ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिए कानून की मांग की।

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
निजी शिक्षण संस्थानों में SC/ST/OBC आरक्षण पर कांग्रेस की बड़ी मांग
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कांग्रेस ने शुक्रवार, 5 सितंबर, 2025 को केंद्र सरकार से मांग की है कि संसद के अगले सत्र (शीतकालीन सत्र) में अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए एक कानून लाया जाए। यह अनुच्छेद निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण से संबंधित है।

मांग की वजह और छात्रों का कम प्रतिनिधित्व

विपक्षी दल कांग्रेस ने अपनी इस मांग के समर्थन में एक संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि निजी विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के छात्रों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। कांग्रेस के एससी विभाग के प्रमुख राजेंद्र पाल गौतम ने आदिवासी कांग्रेस प्रमुख विक्रांत भूरिया और पार्टी के ओबीसी विभाग के प्रमुख अनिल जयहिंद के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि देश में निजी शिक्षण संस्थानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन वहां आरक्षण लागू न होने और पैसों की कमी के कारण एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के बच्चे उनमें प्रवेश नहीं ले पाते हैं।

पुराना कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसले

राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान एक कानून बनाया गया था, जिसमें निजी उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के लिए आरक्षण का प्रावधान था। हालांकि, कुछ लोगों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी। 2008 में, एक फैसले में आरक्षण के फैसले को सही ठहराया गया। इसके बाद, 2011 में एक और फैसले में भी कोर्ट ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के फैसले को सही माना। इतना ही नहीं, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कानून को वैध और कानूनी रूप से सही घोषित किया था।

संसदीय समिति की रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़े

राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि पिछले साल (2024) एक संसदीय समिति ने विभिन्न संस्थानों के साथ बातचीत की थी। इसके बाद यह सामने आया कि निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति के केवल 0.89%, अनुसूचित जनजाति के 0.53% और ओबीसी के 11.16% छात्र ही हैं।

'बीजेपी वोट और आरक्षण चुरा रही है': विक्रांत भूरिया

आदिवासी कांग्रेस प्रमुख विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाया कि बाबासाहेब अंबेडकर ने जोर देकर कहा था कि यदि सामाजिक समानता हासिल करनी है, तो वोट का अधिकार और आरक्षण दोनों होने चाहिए। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "बीजेपी के लोग वोट और आरक्षण दोनों चुरा रहे हैं। यह एक साजिश है, जिसके तहत पहले सरकारी शिक्षण संस्थानों को धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है और फिर पूरी शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए इस कानून पर मोदी सरकार ने 11 साल से कोई कदम नहीं उठाया है।

'ओबीसी समुदाय को नुकसान': अनिल जयहिंद

अनिल जयहिंद ने भी भूरिया के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने को लेकर कानून बनाया था और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे लागू करने के लिए कहा था। लेकिन मोदी सरकार 11 साल से इस पर 'बैठी' हुई है। उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी बताते हैं, लेकिन इन 11 सालों में ओबीसी समुदाय को पहले से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं, 2017 से नरेंद्र मोदी क्रीमी लेयर की समीक्षा भी नहीं कर पाए हैं।"

संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश और कांग्रेस का चुनावी वादा

कांग्रेस नेताओं ने याद दिलाया कि शिक्षा पर संसदीय स्थायी समिति ने 20 अगस्त, 2025 को संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें सर्वसम्मति से सरकार को संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए एक कानून पारित करने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के अपने 'न्याय पत्र' में कांग्रेस ने निजी शिक्षण संस्थानों में संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए कानून लाने का वादा किया था।

कांग्रेस ने एक बार फिर मांग की है कि मोदी सरकार संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश को स्वीकार करे और संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने वाला कानून पेश करे।

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