महिला एथलीटों के लिए वर्ल्ड एथलेटिक्स का बड़ा फैसला

वर्ल्ड एथलेटिक्स ने महिला एथलीटों के लिए नया नियम लागू किया।

Published · By Bhanu · Category: Sports
महिला एथलीटों के लिए वर्ल्ड एथलेटिक्स का बड़ा फैसला
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वर्ल्ड एथलेटिक्स ने महिला वर्ग की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए एक नया नियम लागू किया है। इसके तहत, अब एथलीटों को अपनी जैविक पहचान (बायोलॉजिकल सेक्स) एक जीन टेस्ट के जरिए साबित करनी होगी। यह फैसला महिला खेलों की अखंडता (ईमानदारी) को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

क्या है नया नियम?

वर्ल्ड एथलेटिक्स ने बुधवार (30 जुलाई, 2025) को घोषणा की कि विश्व चैंपियनशिप जैसी विश्व रैंकिंग प्रतियोगिताओं में महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने के लिए खिलाड़ियों को एक बार का जीन टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा। यह टेस्ट महिला खेलों की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा।

कौन सा टेस्ट होगा?

यह जीवन में एक बार होने वाला SRY जीन टेस्ट होगा, जो जैविक लिंग (बायोलॉजिकल सेक्स) को निर्धारित करने में मदद करता है। यह टेस्ट गाल से स्वैब लेकर (एक तरह का सैंपल) या खून का नमूना लेकर किया जा सकता है। SRY जीन वाई क्रोमोसोम (Y chromosome) की उपस्थिति को दर्शाता है, जो जैविक लिंग का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

कब से लागू होंगे नियम?

ये नए नियम 1 सितंबर, 2025 से लागू होंगे। इसके बाद जापान के टोक्यो में 13 से 21 सितंबर तक होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने वाले खिलाड़ियों पर यह लागू होगा। इस टेस्टिंग प्रोटोकॉल की देखरेख सदस्य संघ (मेंबर फेडरेशन्स) करेंगे।

वर्ल्ड एथलेटिक्स अध्यक्ष का बयान

वर्ल्ड एथलेटिक्स के अध्यक्ष सेबेस्टियन कोए ने एक बयान में कहा, "यह खेल लगातार अधिक महिलाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है, और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे इस विश्वास के साथ खेल में आएं कि उनके लिए कोई जैविक सीमा (बायोलॉजिकल ग्लास सीलिंग) नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा, "जैविक लिंग की पुष्टि करने वाला टेस्ट यह सुनिश्चित करने में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है। हम कह रहे हैं कि एलीट स्तर पर, महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने के लिए, आपको जैविक रूप से महिला होना होगा।" कोए ने यह भी स्पष्ट किया, "यह मेरे और वर्ल्ड एथलेटिक्स काउंसिल के लिए हमेशा स्पष्ट था कि लिंग (जेंडर) जीव विज्ञान (बायोलॉजी) पर हावी नहीं हो सकता।"

नियमों पर लंबे समय से चल रही थी बहस

एथलेटिक्स में महिला स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए पात्रता मानदंडों पर सालों से बहस चल रही है। इसमें ट्रांसजेंडर एथलीटों और ‘सेक्स डेवलपमेंट में अंतर’ (DSD) वाले खिलाड़ियों को मिलने वाले जैविक फायदों पर अक्सर सवाल उठाए जाते रहे हैं। वर्तमान में, वर्ल्ड एथलेटिक्स उन ट्रांसजेंडर महिलाओं पर प्रतिबंध लगाता है जिन्होंने पुरुष यौवन (प्यूबर्टी) से गुजरने के बाद लिंग परिवर्तन कराया है। वहीं, DSD महिला एथलीटों को, जिनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होता है, उन्हें प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए इसे चिकित्सकीय रूप से कम करना पड़ता है।

वर्किंग ग्रुप की सिफारिशें

इस साल की शुरुआत में एक वर्किंग ग्रुप ने पाया था कि मौजूदा नियम पर्याप्त सख्त नहीं थे। इस ग्रुप ने संशोधित नियमों के लिए कई सिफारिशें की थीं, जिनमें SRY जीन के लिए एक प्री-क्लीयरेंस टेस्ट भी शामिल था।

अन्य खेलों में भी ऐसे नियम

एथलेटिक्स के अलावा, मई में वर्ल्ड बॉक्सिंग ने भी सभी मुक्केबाजों के लिए अनिवार्य लिंग परीक्षण (मेंडेटरी सेक्स टेस्टिंग) लागू किया था और इस टेस्ट को मंजूरी दी थी।

कैस्टर सेमेन्या का मामला

इस महीने की शुरुआत में, यूरोपीय न्यायालय ने 2023 के एक फैसले को बरकरार रखा। यह फैसला डबल 800 मीटर ओलंपिक चैंपियन कैस्टर सेमेन्या की स्विस फेडरल ट्रिब्यूनल में दायर अपील से जुड़ा था, जिसमें कहा गया था कि उनकी बात ठीक से नहीं सुनी गई। सेमेन्या वर्ल्ड एथलेटिक्स के उन नियमों के खिलाफ अपील कर रही थीं, जिनमें DSD वाली महिला एथलीटों को अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को चिकित्सकीय रूप से कम करने की आवश्यकता होती है।

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