ट्रंप ने क्यों माँगा इंटेल के CEO का इस्तीफा? जानिए पूरा मामला

ट्रंप ने इंटेल के CEO लिप-बू टैन के इस्तीफे की मांग की।

Published · By Tarun · Category: Technology & Innovation
ट्रंप ने क्यों माँगा इंटेल के CEO का इस्तीफा? जानिए पूरा मामला
Tarun
Tarun

tarun@chugal.com

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चिप बनाने वाली दिग्गज कंपनी इंटेल के CEO लिप-बू टैन से सार्वजनिक रूप से इस्तीफा देने की मांग की है। ट्रंप ने टैन पर चीनी कंपनियों में निवेश को लेकर हितों के टकराव का आरोप लगाया है। यह मामला अब पूरे अमेरिका में चर्चा का विषय बन गया है।

क्या है पूरा मामला?

7 अगस्त, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने सीधे तौर पर इंटेल के CEO लिप-बू टैन का नाम लेते हुए लिखा, "इंटेल के CEO बहुत ज़्यादा हितों के टकराव में हैं और उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। इस समस्या का और कोई समाधान नहीं है।" ट्रंप ने भले ही कोई खास जानकारी नहीं दी, लेकिन संकेत दिया कि टैन के चीनी निवेश ही इस विवाद की मुख्य वजह हैं।

कौन हैं इंटेल के CEO लिप-बू टैन?

मलेशिया में जन्मे और सिंगापुर में पले-बढ़े लिप-बू टैन एक अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने मार्च 2025 में इंटेल के CEO का पद संभाला था, जब पूर्व CEO पैट गेल्सिंगर ने अचानक कंपनी छोड़ दी थी। पिछले कुछ तिमाहियों से इंटेल चिप उद्योग में Nvidia जैसी कंपनियों से लगातार पिछड़ रही है।

विवाद की मुख्य वजह क्या है?

ट्रंप का आरोप लिप-बू टैन के चीनी निवेशों से जुड़ा है, जिनकी संख्या सैकड़ों में बताई जाती है। इसके अलावा, ट्रंप ने एक ऐसी कंपनी में टैन की पिछली नेतृत्व की स्थिति का भी जिक्र किया है जिसके कथित तौर पर चीनी सेना से संबंध थे। अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने 5 अगस्त को इंटेल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन फ्रैंक डी. इयरी को एक पत्र लिखकर अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं। कॉटन ने अपने पत्र में दावा किया कि "टैन कथित तौर पर दर्जनों चीनी कंपनियों को नियंत्रित करते हैं और सैकड़ों चीनी उन्नत-विनिर्माण और चिप फर्मों में हिस्सेदारी रखते हैं। इनमें से कम से कम आठ कंपनियों के कथित तौर पर चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध हैं।" सीनेटर कॉटन ने बोर्ड से यह भी पूछा कि क्या टैन ने हितों के टकराव वाली किसी भी स्थिति से खुद को अलग करने के लिए कोई कदम उठाया है।

चीनी कंपनियों से जुड़े निवेश

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, लिप-बू टैन ने कई चीनी कंपनियों में निवेश किया है। इनमें सेमिनकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉर्प (SMIC) में किया गया निवेश खास है। अमेरिकी संसद की हाउस सिलेक्ट कमेटी की एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, टैन की वेंचर कैपिटल फर्म वाल्डेन इंटरनेशनल ने जून 2013 और जनवरी 2021 में SMIC से अपना फंड निकाल लिया था। बता दें कि 2020 में अमेरिका ने SMIC पर चीनी सेना से संबंध होने के आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि टैन 2001 से 2018 तक SMIC के बोर्ड में भी रहे और इस दौरान उन्हें लाखों डॉलर का वेतन और स्टॉक विकल्प मिले। रॉयटर्स के अनुसार, वाल्डेन इंटरनेशनल अभी भी कुछ फंडों और कंपनियों में निवेशित है, जिनमें चीनी प्रशासन से जुड़े निकाय भी शामिल हैं।

सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं

टैन के निवेशों के अलावा, कैडेंस डिज़ाइन सिस्टम्स में उनके CEO के रूप में कार्यकाल (2008 से 2021 तक) को लेकर भी सुरक्षा चिंताएं हैं। कैडेंस, कैलिफोर्निया स्थित एक बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन ऑटोमेशन (EDA) प्रौद्योगिकी कंपनी है, जिसने चीन के एक सैन्य विश्वविद्यालय (नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी) को EDA हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन बौद्धिक संपदा प्रौद्योगिकी बेचकर निर्यात नियंत्रणों का उल्लंघन करने का आरोप स्वीकार किया था। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने 28 जुलाई को बताया कि कैडेंस ने अवैध निर्यात के आरोपों को सुलझाने के लिए लगभग 11.8 करोड़ डॉलर का आपराधिक जुर्माना और 9.5 करोड़ डॉलर से अधिक का नागरिक जुर्माना भरने पर सहमति व्यक्त की है। सीनेटर कॉटन ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि "अवैध गतिविधियां टैन के कार्यकाल में हुईं।" उन्होंने यह भी बताया कि इंटेल को CHIPS और साइंस एक्ट के तहत लगभग 8 अरब डॉलर का सबसे बड़ा अनुदान मिला है, और कंपनी को अमेरिकी करदाताओं के पैसे का जिम्मेदार संरक्षक होना चाहिए।

इंटेल का पक्ष

इंटेल ने 7 अगस्त, 2025 को एक बयान जारी कर कंपनी, उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और लिप-बू टैन की अमेरिकी राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट एजेंडा" के प्रति प्रतिबद्धता का बचाव किया। इंटेल ने अपने बयान में कहा, "इंटेल 56 वर्षों से अमेरिका में विनिर्माण कर रहा है। हम घरेलू सेमीकंडक्टर R&D और विनिर्माण में अरबों डॉलर का निवेश जारी रखे हुए हैं, जिसमें एरिजोना में हमारी नई फैक्ट्री भी शामिल है, जो देश में सबसे उन्नत विनिर्माण प्रक्रिया तकनीक चलाएगी।" कंपनी ने जोर देकर कहा कि वह अमेरिकी प्रशासन के साथ मिलकर काम करती रहेगी।

आगे क्या होगा?

इंटेल पहले से ही कई मुश्किलों का सामना कर रहा है, जैसे निवेशकों का धीमे विकास को लेकर दबाव और बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी से जनता का गुस्सा। अब ट्रंप के सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की मांग से इंटेल के शेयरों में भी गिरावट आई है, जिससे चिप निर्माता कंपनी के लिए अपनी प्रतिष्ठा बहाल करना और परिचालन चुनौतियों से निपटना और भी मुश्किल हो जाएगा।

Related News