भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़: रोमांचक ड्रॉ और कई नए हीरो

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ 2-2 से ड्रॉ, कई नए हीरो उभरे।

Published · By Bhanu · Category: Sports
भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़: रोमांचक ड्रॉ और कई नए हीरो
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भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई टेस्ट सीरीज़ 2-2 से बराबरी पर समाप्त हुई। यह एक बेहद रोमांचक सीरीज़ थी, जिसका अंत ओवल में भारत की शानदार जीत के साथ हुआ। पांच टेस्ट मैचों और 25 दिनों तक चली इस कड़ी प्रतिस्पर्धा में, अनुभव और युवा जोश का शानदार मुकाबला देखने को मिला। भारतीय टीम ने कई मुश्किल पलों से उबरते हुए अविश्वसनीय जुझारूपन का प्रदर्शन किया।

एक बराबरी की टक्कर

इस सीरीज़ को किसी भी आम श्रेणी में डालना मुश्किल है, क्योंकि यह एक क्लासिक मुकाबला था। अनुभवी इंग्लैंड की टीम के सामने एक युवा भारतीय टीम खड़ी थी, जिसकी कप्तानी भी पहली बार शुभमन गिल कर रहे थे। दोनों टीमों ने एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दी। इस सीरीज़ के बाद भारत और इंग्लैंड के बीच 'एंडर्सन-तेंदुलकर ट्रॉफी' की शुरुआत हुई, और भारतीय टीम इस ट्रॉफी को जीतने के बेहद करीब थी।

भारत के कई नायक

इस रोमांचक सीरीज़ में भारतीय टीम के लिए कई खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया और वे टीम के नायक बनकर उभरे:

  • शुभमन गिल की कप्तानी और रिकॉर्ड: कप्तान शुभमन गिल ने 754 रन बनाए, जो कप्तान के तौर पर उनकी पहली सीरीज़ में किसी भी भारतीय द्वारा बनाए गए सर्वाधिक रन हैं। यह सुनील गावस्कर (1971 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ 774 रन) के बाद किसी भी भारतीय द्वारा टेस्ट सीरीज़ में बनाए गए दूसरे सर्वाधिक रन हैं।
  • केएल राहुल का कमाल: केएल राहुल ने अपने 11 साल के टेस्ट करियर में पहली बार एक ही सीरीज़ में दो शतक लगाए।
  • रवींद्र जडेजा का ऑलराउंड प्रदर्शन: रवींद्र जडेजा '500 रन क्लब' में शामिल होने वाले तीसरे भारतीय बने। उन्होंने नौ पारियों में पांच अर्धशतक और एक शतक लगाकर अपनी निरंतरता को नए स्तर पर पहुंचाया।
  • ऋषभ पंत की जुझारू पारी: ऋषभ पंत ने दो शतक और तीन अर्धशतक लगाए, जिसमें मैनचेस्टर में चोटिल पैर से खेली गई उनकी आखिरी पारी भी शामिल है।
  • यशस्वी और सुंदर का योगदान: यशस्वी जायसवाल ने सीरीज़ की शुरुआत और अंत शतक के साथ किया। वॉशिंगटन सुंदर ने लॉर्ड्स में गेंद से और मैनचेस्टर में बल्ले से मैच बचाने वाला नाबाद शतक लगाकर हीरोईक प्रदर्शन किया। ओवल में भी उनके अर्धशतक ने इंग्लैंड के लक्ष्य को चुनौतीपूर्ण बनाया।
  • तेज गेंदबाजों का दम: जसप्रीत बुमराह ने केवल तीन टेस्ट में 14 विकेट लिए, वहीं प्रसिद्ध कृष्णा ने भी इतने ही मैचों में 14 विकेट चटकाए।

मोहम्मद सिराज: एक अनमोल रत्न

मोहम्मद सिराज इस सीरीज़ में भारत के लिए सबसे बड़े नायक बनकर उभरे। उन्होंने 23 विकेट लिए और सीरीज़ के सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। ऑस्ट्रेलिया में पिछली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भले ही उनके 20 विकेटों को कम आंका गया हो, लेकिन इंग्लैंड में उन्होंने अपनी क्षमता और धैर्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया। बुमराह की अनुपस्थिति में सिराज ने टीम के गेंदबाजी आक्रमण को संभाला, साथियों को प्रेरित किया और मैदान पर ऊर्जा बनाए रखी। विराट कोहली की गैर-मौजूदगी में उन्होंने दर्शकों को भी उत्साहित करने का काम किया। बर्मिंघम में 6 विकेट और ओवल में 5 विकेट लेकर उन्होंने दो बार भारत को जीत दिलाई, जो संयोग से तब हुआ जब बुमराह प्लेइंग इलेवन में नहीं थे। ओवल में उन्होंने दबाव में 4.1 ओवर में 9 रन देकर 3 विकेट लिए, जो मैच का निर्णायक पल साबित हुआ।

गिल की उभरती कप्तानी

शुभमन गिल की कप्तानी ने इस सीरीज़ में काफी परिपक्वता दिखाई। लीड्स में वे शुरुआती तौर पर थोड़े असमंजस में दिखे, लेकिन सीरीज़ आगे बढ़ने के साथ-साथ उनके बल्ले ने आग उगली और उनकी कप्तानी भी अधिक आत्मविश्वासपूर्ण दिखी। वह अभी भी सीख रहे हैं, लेकिन उप-कप्तान ऋषभ पंत और अनुभवी केएल राहुल से सलाह लेने में उन्हें कोई हिचकिचाहट नहीं होती। राहुल ने पहले भी तीनों फॉर्मेट में भारत की कप्तानी की है और वे टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

युवा बल्लेबाजों का जलवा

रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दिग्गजों की अनुपस्थिति में भारतीय बल्लेबाजी पर सवाल उठ रहे थे। यशस्वी जायसवाल, साई सुदर्शन, करुण नायर, वॉशिंगटन सुंदर, अभिमन्यु ईश्वरन और ध्रुव जुरेल जैसे कई युवा खिलाड़ियों ने इंग्लैंड की धरती पर पहली बार टेस्ट खेला। हालांकि, इंग्लैंड की 'बैज़बॉल' रणनीति के कारण तैयार की गई सपाट पिचों ने इन युवा बल्लेबाजों को शुरुआत से ही लय हासिल करने का मौका दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

आगे की चुनौतियाँ और चिंताएँ

इस सीरीज़ में कई सकारात्मक पहलू होने के बावजूद, भारतीय टीम के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं। जसप्रीत बुमराह की फिटनेस एक बड़ी चिंता है, और उन्हें किस तरह से मैनेज किया जाए, यह एक अहम सवाल है। साथ ही, कोहली और रवि शास्त्री के कार्यकाल में बनी मजबूत तेज गेंदबाजी इकाई को फिर से तैयार करने की जरूरत है, ताकि भारत उपमहाद्वीप से बाहर भी बराबरी से मुकाबला कर सके। आकाश दीप जैसे कुछ गेंदबाजों की फिटनेस भी एक मुद्दा बनकर उभरी, जो अंत तक अपनी पूरी क्षमता से गेंदबाजी नहीं कर पाए।

ऐतिहासिक जीत और तुलना

ओवल में 25वें दिन के आखिरी 56 मिनट ने इस सीरीज़ का सार समेट दिया। भारत के पास केवल 35 रनों का बचाव करना था और 4 विकेट लेने थे। शुभमन गिल की चतुराई और सिराज के शानदार प्रदर्शन ने यह असंभव सा लक्ष्य हासिल कर लिया। भारत ने टेस्ट इतिहास में रनों के लिहाज से अपनी सबसे कम अंतर की जीत दर्ज की। इस सीरीज़ की तुलना दो साल पहले इंग्लैंड में हुई एशेज़ सीरीज़ से की जा रही है, जो 2-2 से बराबरी पर समाप्त हुई थी। लेकिन यह भारतीय टीम के लिए एक ऐतिहासिक और यादगार सीरीज़ थी, जिसकी छाप लंबे समय तक रहेगी।

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