Google को लगा बड़ा झटका: ऐप स्टोर एकाधिकार मामले में अपील हारी
गूगल को ऐप स्टोर एकाधिकार मामले में बड़ा झटका, अपील हारी।


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एक संघीय अपीलीय अदालत ने गूगल के एंड्रॉयड ऐप स्टोर को 'अवैध एकाधिकार' करार देने वाले जूरी के फैसले को बरकरार रखा है। इस फैसले के बाद अब उपभोक्ताओं को ऐप चुनने में और अधिक विकल्प मिल सकेंगे। यह गूगल के लिए एक बड़ी कानूनी हार मानी जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी एपिक गेम्स ने गूगल के खिलाफ दायर किया था। एपिक गेम्स ने करीब पांच साल पहले गूगल के प्ले स्टोर और एप्पल के आईफोन ऐप स्टोर के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की थी। एपिक का आरोप था कि दोनों कंपनियां इन-ऐप लेनदेन पर 15% से 30% तक का भारी कमीशन लेती हैं और वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों को रोककर अपने एकाधिकार का दुरुपयोग करती हैं।
अपील खारिज, जूरी का फैसला बरकरार
गुरुवार (31 जुलाई, 2025) को नौवीं सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स द्वारा सर्वसम्मति से दिया गया यह फैसला गूगल के लिए एक और कानूनी झटका है। दिसंबर 2023 में, एक नौ सदस्यीय जूरी ने लंबी सुनवाई के बाद यह निर्धारित किया था कि गूगल ने अपने सिस्टम में हेराफेरी की थी ताकि वैकल्पिक ऐप स्टोर उपभोक्ताओं और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को बेहतर सौदे पेश न कर सकें। इस फैसले के बाद, अमेरिकी जिला न्यायाधीश जेम्स डोनाटो ने गूगल को प्ले स्टोर को प्रतिस्पर्धा से बचाने वाली 'डिजिटल दीवारों' को तोड़ने का आदेश दिया था। गूगल ने इस फैसले को पलटने और न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने के लिए अपील दायर की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।
गूगल को क्यों लगा झटका?
हालांकि गूगल का सर्च इंजन या विज्ञापन सिस्टम जितना राजस्व प्ले स्टोर से नहीं आता, लेकिन एंड्रॉयड ऐप्स के लिए प्ले स्टोर लंबे समय से कंपनी के लिए 'सोने की खान' रहा है। यह इन-ऐप लेनदेन से 15% से 30% की कटौती करके सालाना अरबों डॉलर का राजस्व कमाता है। यह गूगल के लिए तीसरा बड़ा झटका है। इससे पहले, कंपनी को पिछले साल अपने सर्च इंजन के एकाधिकार और इस साल अपनी डिजिटल विज्ञापन तकनीक के एकाधिकार के खिलाफ भी फैसले का सामना करना पड़ा है।
कोर्ट का आदेश और गूगल की दलील
जब तक गूगल न्यायाधीश डोनाटो के अक्टूबर में जारी आदेश को लागू करने में देरी नहीं करवा पाता, तब तक कंपनी को एक बड़ा बदलाव शुरू करना होगा। इसमें प्ले स्टोर की 20 लाख से अधिक एंड्रॉयड ऐप्स की पूरी लाइब्रेरी को संभावित प्रतिद्वंद्वियों के लिए उपलब्ध कराना और वैकल्पिक विकल्पों को वितरित करने में मदद करना शामिल है। गूगल ने तर्क दिया है कि इन बदलावों से गोपनीयता और सुरक्षा जोखिम बढ़ेंगे, क्योंकि उपभोक्ता धोखेबाजों और हैकर्स के संपर्क में आ सकते हैं जो वैध ऐप स्टोर होने का ढोंग करेंगे। हालांकि, एपिक के वकीलों ने गूगल की इन चेतावनियों को 'डराने वाली रणनीति' बताकर खारिज कर दिया है, जिसका मकसद उसकी मूल कंपनी अल्फाबेट इंक. के राजस्व की रक्षा करना है।
आगे क्या? गूगल की और मुश्किलें
न्यायाधीश डोनाटो के आदेश के अलावा, गूगल को अभी और भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसके वित्त पर और भी बड़ा असर पड़ सकता है। सर्च में गूगल के अवैध एकाधिकार को खत्म करने के प्रयास के तहत, अमेरिकी न्याय विभाग ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें गूगल के क्रोम वेब ब्राउज़र की बिक्री और एप्पल जैसी कंपनियों के साथ अरबों डॉलर के उन सौदों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, जिनके तहत गूगल अपने सर्च इंजन को इंटरनेट का मुख्य द्वार बनाता है। गूगल को अपने विज्ञापन कारोबार में एकाधिकार के जवाबी उपायों के तहत अपनी विज्ञापन तकनीक को विभाजित करने के प्रस्ताव का भी सामना करना पड़ रहा है। इस प्रस्ताव पर सुनवाई सितंबर में शुरू होने वाली है।