एआई स्टार्टअप पेरप्लेक्सिटी ने गूगल क्रोम को खरीदने की लगाई $34.5 अरब की बड़ी बोली
पेरप्लेक्सिटी ने गूगल क्रोम को खरीदने के लिए $34.5 अरब की बोली लगाई।


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क्या है खबर?
एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) स्टार्टअप पेरप्लेक्सिटी एआई ने गूगल के क्रोम ब्राउज़र को खरीदने के लिए एक बड़ा प्रस्ताव दिया है। कंपनी ने गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट को क्रोम के लिए 34.5 अरब डॉलर (लगभग 2.8 लाख करोड़ रुपये) की कैश डील की पेशकश की है। यह एक बिन मांगी गई पेशकश है और इसमें कोई इक्विटी शामिल नहीं है।
पेरप्लेक्सिटी का प्रस्ताव
पेरप्लेक्सिटी एआई ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने गूगल के क्रोम ब्राउज़र के लिए 34.5 अरब डॉलर का ऑल-कैश ऑफर दिया है। यह पेशकश पेरप्लेक्सिटी के मौजूदा मूल्यांकन से कहीं ज़्यादा है, जिससे इसके वित्तपोषण को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कंपनी ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह इस बड़ी रकम का इंतज़ाम कैसे करेगी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कई फंड्स ने इस डील के लिए पूरी फाइनेंसिंग देने की पेशकश की है। पेरप्लेक्सिटी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास हैं।
इस डील का मकसद
पेरप्लेक्सिटी का कहना है कि क्रोम को खरीदने से उसे एआई सर्च की दौड़ में बड़ी बढ़त मिलेगी। क्रोम के 3 अरब से ज़्यादा उपयोगकर्ता हैं, जिनका इस्तेमाल पेरप्लेक्सिटी अपने एआई-आधारित सर्च को मज़बूत करने के लिए कर सकती है। पेरप्लेक्सिटी के पास पहले से ही "कॉमेट" नाम का अपना एआई ब्राउज़र है, जो उपयोगकर्ताओं की ओर से कुछ काम कर सकता है। क्रोम का अधिग्रहण करने से पेरप्लेक्सिटी को ओपनएआई जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने की ताक़त मिलेगी।
गूगल का रुख और कानूनी पहलू
गूगल ने अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गूगल ने क्रोम को बेचने की कोई पेशकश नहीं की है और वह पिछले साल के अमेरिकी अदालत के उस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहा है, जिसमें कहा गया था कि गूगल का ऑनलाइन सर्च में अवैध एकाधिकार है। अमेरिकी न्याय विभाग ने इस मामले के निवारण के हिस्से के रूप में क्रोम को बेचने की मांग की थी। विश्लेषकों का मानना है कि गूगल क्रोम को बेचना नहीं चाहेगा क्योंकि यह कंपनी की एआई रणनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
फंडिंग और अन्य दावेदार
तीन साल पुरानी पेरप्लेक्सिटी कंपनी ने अब तक एनवीडिया और जापान के सॉफ्टबैंक जैसे निवेशकों से लगभग 1 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई है। इसका अंतिम मूल्यांकन 14 अरब डॉलर था। पेरप्लेक्सिटी के अलावा, चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने भी क्रोम खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है और वह अपने खुद के एआई ब्राउज़र पर काम कर रही है। याहू और प्राइवेट इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट ने भी क्रोम में रुचि व्यक्त की है।
क्रोम क्यों है इतना अहम?
उपयोगकर्ता अब जवाब पाने के लिए चैटजीपीटी और पेरप्लेक्सिटी जैसे चैटबॉट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसे में वेब ब्राउज़र सर्च ट्रैफिक और उपयोगकर्ता डेटा के लिए महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में अपनी अहमियत फिर से हासिल कर रहे हैं। यही वजह है कि ये बड़ी तकनीकी कंपनियों की एआई महत्वाकांक्षाओं के केंद्र में हैं। गूगल अपने सर्च बाज़ार हिस्सेदारी को बनाए रखने के लिए एआई-जनरेटेड सर्च समरी (ओवरव्यू) जैसी सुविधाएं पेश कर रहा है, जिसके लिए क्रोम बेहद ज़रूरी है।
आगे क्या होगा?
पेरप्लेक्सिटी की बोली में यह वादा किया गया है कि क्रोम का आधारभूत कोड (जिसे क्रोमियम कहा जाता है) ओपन-सोर्स रहेगा, अगले दो सालों में 3 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा, और क्रोम के डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह प्रस्ताव उपयोगकर्ता की पसंद को बनाए रखने और भविष्य की प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं को कम करने का दावा करता है। अमेरिकी संघीय न्यायाधीश से इस महीने गूगल सर्च एंटीट्रस्ट मामले में समाधान पर फैसला सुनाने की उम्मीद है।