वेनिस फिल्म फेस्टिवल 2025: अनुपर्णा रॉय ने रचा इतिहास, 'सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़' के लिए जीता बेस्ट डायरेक्टर ओरिजोंटी अवॉर्ड
अनुपर्णा रॉय ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड जीता।


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भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का क्षण
इटली के वेनिस में आयोजित 82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्म निर्माता अनुपर्णा रॉय ने इतिहास रच दिया है। उन्हें अपनी फिल्म 'सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़' (Songs of Forgotten Trees) के लिए प्रतिष्ठित ओरिजोंटी (Orizzonti) बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। अनुपर्णा यह अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं, जो भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।
अनुपर्णा रॉय की ऐतिहासिक जीत
यह अनुपर्णा रॉय की डेब्यू फिल्म है, और अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने वेनिस जैसे बड़े मंच पर यह कमाल किया है। उनकी फिल्म 'सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़' को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता वर्ग ओरिजोंटी में प्रदर्शित किया गया था। यह सेक्शन उन फिल्मों को सम्मान देता है जो अपनी कहानी कहने के अनोखे तरीके और बोल्ड विचारों के लिए जानी जाती हैं। इस फिल्म को प्रसिद्ध फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने प्रस्तुत किया था।
सफेद साड़ी में मंच पर, भावुक भाषण
अवॉर्ड की घोषणा जूरी अध्यक्ष जूलिया डुकोर्नो (Julia Ducournau) ने की। अनुपर्णा रॉय एक सफेद साड़ी में मंच पर पहुंचीं और उन्हें वहां मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर सम्मान दिया (स्टैंडिंग ओवेशन)। अपने भावुक भाषण में उन्होंने इस पल को 'अविश्वसनीय' (surreal) बताया। उन्होंने अपनी टीम, कलाकारों और अनुराग कश्यप का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने एक ऐसी कहानी पर भरोसा किया जो पारंपरिक ढर्रे से हटकर थी। अनुपर्णा ने यह सम्मान अपने गृह नगर और देश को समर्पित किया। साथ ही, उन्होंने फिलिस्तीन में चल रहे संकट की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा, "हर बच्चे को शांति, स्वतंत्रता और मुक्ति का अधिकार है, और फिलिस्तीन इसका अपवाद नहीं है।"
क्या है 'सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़' की कहानी?
अनुपर्णा रॉय की फिल्म 'सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़' मुंबई में रहने वाली एक प्रवासी और अभिनेत्री बनने की ख्वाहिश रखने वाली 'थूया' की कहानी है। थूया की मुलाकात एक कॉर्पोरेट पेशेवर 'श्वेता' से होती है। यह मुलाकात मुंबई जैसे व्यस्त शहर में जिंदगी, अकेलेपन और रिश्तों के एक गहरे सफर की शुरुआत करती है। फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में नाज़ शेख (Naaz Shaikh) और सुमी बघेल (Sumi Baghel) हैं। इस फिल्म का सह-निर्माण बिभांशु राय (Bibhanshu Rai), रोमिल मोदी (Romil Modi) और रंजन सिंह (Ranjan Singh) ने किया है।
संघर्ष भरा रहा फिल्म बनाने का सफर
इस फिल्म को बनाना बिल्कुल भी आसान नहीं था। सह-निर्माता बिभांशु राय ने बताया, "हमें कई मुश्किलों, कठिन दिनों और शंका के क्षणों से गुजरना पड़ा। लेकिन अनुपर्णा ने कभी हार नहीं मानी—उनकी लगन ने हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।" सह-निर्माता रोमिल मोदी ने कहा कि अनुपर्णा जैसी महिला फिल्म निर्माताओं को बढ़ावा देना "सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है।" उन्होंने कहा कि ऐसी कहानियों में दुर्लभ ईमानदारी और शक्ति होती है।
अनुराग कश्यप और टीम का विश्वास
अनुराग कश्यप, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को प्रस्तुतकर्ता के तौर पर समर्थन दिया, उन्होंने अनुपर्णा रॉय के दृढ़ विश्वास की तारीफ की। रंजन सिंह ने भी उनकी बात दोहराते हुए कहा, "वह अपनी पहली सोच पर टिकी रहीं।" उन्होंने आगे कहा, "यह जीत इस बात का सबूत है कि जब आप उन कहानियों को बताते हैं जिन पर आपको सच में विश्वास होता है, तो वे हर जगह लोगों को छू जाती हैं।"
ओरिजोंटी सेक्शन का महत्व
ओरिजोंटी सेक्शन साहसिक और नई सिनेमाई आवाजों को सामने लाने के लिए जाना जाता है। इससे पहले भी इस सेक्शन ने चैतन्य ताम्हाणे की 'कोर्ट' (Court) और करण तेजपाल की 'स्टोलन' (Stolen) जैसी प्रशंसित भारतीय फिल्मों को पहचान दी है। इस सम्मान के साथ, अनुपर्णा रॉय भी इस सूची में शामिल हो गई हैं और उन्होंने खुद को एक ऐसी फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित कर लिया है जिन पर भविष्य में सबकी निगाहें रहेंगी।