भारत में मतदाता भागीदारी के लिए USAID को $2.1 करोड़ का फंड नहीं मिला: अमेरिकी दूतावास ने MEA को बताया
USAID को भारत में मतदाता भागीदारी के लिए फंड नहीं मिला।


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भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) को वित्तीय वर्ष 2014 से 2024 तक 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का फंड न तो मिला और न ही उसने प्रदान किया। अमेरिकी दूतावास ने विदेश मंत्रालय (MEA) को यह जानकारी दी है, जिसे केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला CPI(M) सांसद जॉन ब्रिट्टास द्वारा उठाए गए सवाल से जुड़ा है। उन्होंने USAID के फंड का उपयोग भारतीय चुनावों में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए किए जाने की खबरों पर सरकार से कार्रवाई की स्थिति पूछी थी। इसके जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा को यह जानकारी दी।
MEA ने मांगी थी विस्तृत जानकारी
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि 28 फरवरी को विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से पिछले दस वर्षों में भारत में USAID द्वारा सहायता प्राप्त या वित्त पोषित सभी परियोजनाओं पर किए गए खर्च का "तत्काल विवरण" मांगा था। इसमें वे परियोजनाएं शामिल नहीं थीं, जो भारत सरकार के साथ सात साझेदारी समझौतों के तहत चल रही थीं। MEA ने उन गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) या कार्यान्वयन भागीदारों की सूची भी मांगी थी, जिनके माध्यम से ऐसी पहल की गई थीं।
अमेरिकी दूतावास का जवाब
2 जुलाई को अमेरिकी दूतावास ने डेटा साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि यह 2014 से 2024 तक भारत में USAID की फंडिंग को कवर करता है। इसमें कार्यान्वयन भागीदारों, उद्देश्यों और प्रत्येक गतिविधि की मुख्य उपलब्धियों का विवरण शामिल था। अमेरिकी दूतावास ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "USAID/इंडिया को वित्तीय वर्ष 2014 से 2024 तक भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का फंड न तो मिला और न ही उसने प्रदान किया है, और न ही उसने भारत में मतदाता भागीदारी से संबंधित कोई गतिविधि लागू की है।"
USAID का भारत में कामकाज बंद
मंत्री ने आगे बताया कि 29 जुलाई को अमेरिकी दूतावास ने MEA को सूचित किया कि वह 15 अगस्त, 2025 तक USAID के सभी ऑपरेशनों को बंद करने की योजना बना रहा है। 11 अगस्त को अमेरिकी दूतावास ने आर्थिक मामलों के विभाग को एक पत्र में बताया कि भारत सरकार के साथ हस्ताक्षरित सभी सात साझेदारी समझौते 15 अगस्त, 2025 से बंद हो जाएंगे।
अमेरिकी विभाग ने रद्द किया था फंड
कीर्ति वर्धन सिंह ने यह भी बताया कि 16 फरवरी, 2025 को अमेरिकी सरकार दक्षता विभाग (DOGE) ने 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में दुनिया भर में कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) परियोजनाओं के लिए USAID की 48.6 करोड़ डॉलर की फंडिंग को रद्द करने की घोषणा की थी, जिसमें भारत में "मतदाता भागीदारी बढ़ाने" के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का आवंटन भी शामिल था।
USAID का आधिकारिक समापन
1 जुलाई से USAID का संचालन आधिकारिक तौर पर बंद हो गया। इसके लगभग 83% कार्यक्रम समाप्त कर दिए गए और 94% कर्मचारियों को हटा दिया गया। विदेश विभाग ने USAID के शेष 17% ऑपरेशनों और विदेशी सहायता प्रशासन की जिम्मेदारी संभाली है। मंत्री ने कहा कि USAID का पूर्ण समापन 2 सितंबर, 2025 तक पूरा होने का अनुमान है।
सांसद के सवाल और आंकड़ों का खुलासा
जॉन ब्रिट्टास ने यह भी पूछा था कि क्या सरकार को अमेरिकी दूतावास के माध्यम से पिछले तीन वर्षों में भारत में सभी USAID परियोजनाओं पर हुए खर्च का विवरण प्राप्त हुआ है। सिंह ने अपने जवाब में कहा कि "सांसद द्वारा मांगे गए 2022, 2023 और 2024 के तीन वर्षों के लिए USAID आवंटन का लाभार्थी-वार विवरण एक अनुलग्नक (Annexure-A) में प्रस्तुत किया गया है।" ब्रिट्टास ने इसी साल मार्च में भी USAID से संबंधित एक ऐसा ही सवाल राज्यसभा में पूछा था।