सचिन पायलट ने गहलोत से मिलाया हाथ! राजस्थान की राजनीति में नया मोड़
सचिन पायलट के सियासी दांवों से राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज।


tarun@chugal.com
सचिन पायलट: सुलह, सवाल और सियासत
राजस्थान की राजनीति में फिर से हलचल मच गई है। लंबे समय से अशोक गहलोत के साथ तकरार झेल रहे सचिन पायलट ने हाल ही में अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर गहलोत को मंच पर बुलाकर सभी को चौंका दिया। यह कदम कांग्रेस में एकता का संदेश तो देता है, लेकिन इसके सियासी मायने बहुत गहरे हैं।
एक तरफ पायलट ने गहलोत के साथ रिश्तों को सहज बताया, वहीं दूसरी तरफ जाति जनगणना पर केंद्र सरकार को घेरकर उन्होंने अपने तेवर भी दिखा दिए। जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पायलट ने केंद्र पर जाति जनगणना में देरी का आरोप लगाया और कहा कि इससे गरीब तबके के हालात सामने आने में देरी हो रही है।
यही नहीं, किसानों के मुद्दे पर भी पायलट ने अपना पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने गंग नहर के पानी को लेकर सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए और किसानों के प्रदर्शन का खुलकर समर्थन किया।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सचिन पायलट अब एक संतुलित लेकिन मुखर रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ना ज्यादा आक्रामक, ना बिल्कुल चुप — यही उनकी नई पहचान बनती जा रही है। उनकी युवाओं में पकड़ और संगठन में बदलाव की पहल ने भी उनके पक्ष में माहौल बनाया है।
एक तरफ कांग्रेस के भीतर उन्हें फिर से बड़ा रोल मिलने की अटकलें हैं, तो दूसरी तरफ उनके समर्थक चाहते हैं कि वे राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ें। महाकुंभ में उनकी धार्मिक आस्था और बिना राजनीति किए वहां जाना भी उनके ‘क्लीन इमेज’ को और मजबूत करता है।
फिलहाल तो पायलट एक बार फिर सुर्खियों में हैं — सुलह की पहल हो या फिर किसानों की आवाज — सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस में नई कहानी लिखने की तैयारी में हैं।