राजीव शुक्ला की वापसी! BCCI की कुर्सी पर फिर से कब्जा?

राजीव शुक्ला के BCCI अध्यक्ष बनने की अटकलों से X पर मचा हंगामा

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
राजीव शुक्ला की वापसी! BCCI की कुर्सी पर फिर से कब्जा?
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राजीव शुक्ला: क्रिकेट की सत्ता में फिर वापसी?

नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इन दिनों एक ही नाम छाया हुआ है — राजीव शुक्ला। वजह? BCCI में एक बड़ा बदलाव! मौजूदा अध्यक्ष रोजर बिन्नी को उम्रसीमा पार करने के कारण हटाया जा सकता है, और इसके बाद BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला के अंतरिम अध्यक्ष बनने की पूरी संभावना जताई जा रही है।

उम्र की सीमा बनी बदलाव की वजह

BCCI के संविधान के अनुसार कोई भी पदाधिकारी 70 वर्ष की उम्र के बाद पद पर नहीं रह सकता। रोजर बिन्नी इसी साल 19 जुलाई 2025 को 70 के हो जाएंगे। ऐसे में नियमों के तहत उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है, जो आगामी चुनाव सितंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे।

राजनीति से क्रिकेट तक का सफर

राजीव शुक्ला सिर्फ एक क्रिकेट प्रशासक नहीं, बल्कि राजनीति में भी दखल रखते हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रहे शुक्ला पत्रकारिता से लेकर IPL चेयरमैन और अब BCCI के वरिष्ठ पदों तक पहुँच चुके हैं। उनके अनुभव और नेटवर्क ने उन्हें क्रिकेट की सत्ता में बार-बार वापसी दिलाई है।

X पर मची हलचल: समर्थन और व्यंग्य दोनों

X पर इस खबर के आते ही प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ ने इसे कांग्रेस की 'जीत' बताया तो कुछ ने व्यंग्य किया कि "शुक्ला जी तो हर जगह हैं — क्रिकेट, राजनीति, IPL, और अब पाकिस्तान तक!" कई यूज़र्स ने उन्हें 'क्रिकेट का नारद मुनि' तक कह डाला।

हाल की घटनाओं ने बढ़ाया प्रभाव

  • IPL 2025 के दौरान खिलाड़ियों के बीच विवाद में हस्तक्षेप कर सुलह करवाई।
  • पाकिस्तान यात्रा पर गए, जहाँ उन्होंने चुटीले अंदाज़ में पत्रकारों को जवाब दिया।
  • भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय मैचों पर रोक की सख्त बयानबाज़ी की।

एक चेहरा, कई कहानियाँ

राजीव शुक्ला का चेहरा क्रिकेट से जुड़े हर बड़े आयोजन में देखा जाता है। चाहे IPL हो या एशिया कप, या फिर मीडिया से भिड़ंत — वे हर मंच पर मौजूद रहते हैं। यही वजह है कि उनकी आलोचना भी होती है और प्रशंसा भी।

निष्कर्ष

राजीव शुक्ला का BCCI में वापसी सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि क्रिकेट और राजनीति की जटिल परतों का उदाहरण है। उनका नाम जहां एक ओर स्थिरता और अनुभव का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर सत्ता में टिके रहने की राजनीति का चेहरा भी बन चुका है। सोशल मीडिया पर उनकी मौजूदगी से यह साफ है — चाहे समर्थन हो या विरोध, राजीव शुक्ला खबरों में रहना जानते हैं।

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