ऑर्गेनिक कॉटन घोटाले पर कांग्रेस का सरकार पर हमला, CBI जांच की मांग
कांग्रेस ने ₹2.1 लाख करोड़ के "ऑर्गेनिक कॉटन घोटाले" पर CBI जांच की मांग की।


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कांग्रेस ने भारत में "ऑर्गेनिक कॉटन घोटाले" को लेकर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि यह ₹2.1 लाख करोड़ से ज़्यादा का फर्जीवाड़ा है, जिसमें किसानों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है और देश की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब हो रही है। कांग्रेस ने इस मामले में CBI के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने और किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।
क्या है आरोप?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार (26 जुलाई 2025) को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस "घोटाले" का खुलासा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ व्यापारी गैर-ऑर्गेनिक कपास को "ऑर्गेनिक" बताकर बेच रहे हैं और छह गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं, जो किसान वास्तव में ऑर्गेनिक खेती करते हैं, उन्हें अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिल पा रहा है। सिंह ने यह भी कहा कि इस फर्जीवाड़े में बड़े पैमाने पर टैक्स और GST की चोरी भी की गई है।
कैसे होता है ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन?
दिग्विजय सिंह ने समझाया कि साल 2001 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात को प्रमाणित और विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) शुरू किया था। इसे कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) लागू करता है। इस कार्यक्रम के तहत, NPOP उन प्रमाणन निकायों को मान्यता देता है जो आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों (ICS) का सत्यापन करते हैं। ICS सत्यापन के बाद, एक लेनदेन प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, जिससे उस समूह को ऑर्गेनिक घोषित किया जाता है।
ये ICS समूह 25 से 500 किसानों के क्लस्टर होते हैं जो ऑर्गेनिक कपास उगाते हैं। वर्तमान में लगभग 6,046 ICS समूह और 35 प्रमाणन एजेंसियां हैं। उन्होंने बताया कि इन किसान समूहों को ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तीन साल तक प्रति हेक्टेयर ₹5,000 दिए जाते हैं। प्रमाणन प्रक्रिया इस बात के लिए महत्वपूर्ण है कि यह उत्पाद के अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य को काफी बढ़ा देती है।
घोटाले का तरीका
सिंह ने आरोप लगाया कि ज़्यादातर किसान, जिनका नाम इन ICS समूहों में पंजीकृत दिखाया गया है, वे न तो ऑर्गेनिक कपास उगाते हैं और न ही उन्हें इस सिस्टम में शामिल होने की जानकारी है। उन्होंने कहा कि इन ICS समूहों ने जानबूझकर लेनदेन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए किसानों के नामों का दुरुपयोग किया है। मध्य प्रदेश में भी ऐसे फर्जी समूह बनाए गए, और किसानों को पता भी नहीं चला कि उन्हें सदस्य बना दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय साख पर असर
दिग्विजय सिंह ने बताया कि अमेरिकी कृषि विभाग, यूरोपीय संघ और ग्लोबल ऑर्गेनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड (GOTS) जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारतीय सर्टिफायर की मान्यता रद्द कर दी है। उनके मुताबिक, इस वजह से भारत को अब ऑर्गेनिक उत्पाद बाजार में धोखाधड़ी का केंद्र माना जा रहा है।
सरकार को थी जानकारी?
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सरकार को 2017 से ही प्रमाणन प्रक्रिया में अनियमितताओं और इस घोटाले की जानकारी थी, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अगस्त 2024 में प्रधान मंत्री को एक पत्र लिखकर मध्य प्रदेश में ऑर्गेनिक कपास धोखाधड़ी की ओर ध्यान दिलाया था। सिंह ने कहा कि उन्हें वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से जवाब मिला था जिसमें अनियमितताओं को स्वीकार किया गया था, लेकिन "कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई।"
कांग्रेस की आगे की मांग
दिग्विजय सिंह ने सभी 192 फर्जी ICS समूहों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने, इन समूहों की पूरी जांच करने और शोषण किए गए किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।