ऑपरेशन सिंदूर पर बहस से पीछे हटा विपक्ष: किरेन रिजिजू
किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर 'ऑपरेशन सिंदूर' बहस से भागने का आरोप लगाया।


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संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार (28 जुलाई, 2025) को विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले पर लोकसभा में होने वाली निर्धारित बहस से पीछे हट गया है, और यह देश के साथ धोखा है। रिजिजू ने जोर देकर कहा कि संसद नियमों के अनुसार चलती है।
सरकार का आरोप: विपक्ष ने रखी शर्त
किरेन रिजिजू ने पत्रकारों को बताया कि लोकसभा में बहस शुरू होने से कुछ ही मिनट पहले, विपक्ष ने सरकार के सामने एक शर्त रख दी। विपक्ष चाहता था कि सरकार इस बात का आश्वासन दे कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा खत्म होने के बाद बिहार में मतदाता सूची के 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (SIR) पर भी बहस की अनुमति दी जाएगी। रिजिजू ने आरोप लगाया कि विपक्ष पहले तो 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के लिए सहमत हो गया था, लेकिन अब पूर्व-शर्तें रख रहा है और इससे भाग रहा है।
किरेन रिजिजू का X पोस्ट: रावण-लक्ष्मण रेखा का जिक्र
इससे पहले, लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा शुरू करते हुए किरेन रिजिजू ने X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट भी किया था। उन्होंने लिखा था, "जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की, तो लंका जल गई। जब पाकिस्तान ने भारत द्वारा खींची गई 'रेड लाइन' (लाल रेखा) को पार किया, तो आतंकी शिविरों को आग का सामना करना पड़ा।" उनका यह बयान पाकिस्तान को भारत के कड़े जवाब की ओर इशारा कर रहा था।
इस 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करने वाले थे। यह चर्चा पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के मजबूत, सफल और निर्णायक 'ऑपरेशन सिंदूर' पर आधारित है।
विपक्ष की रणनीति: ट्रंप के दावों पर घेराबंदी
इस सत्र में आक्रामक विपक्ष की योजना सरकार को घेरने की थी। विपक्ष अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर सवाल उठा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध टालने और 'संघर्ष विराम' कराने में मध्यस्थता की थी।
भारत का रुख: संघर्ष विराम पर सफाई
हालांकि, इस मामले पर भारत ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य गतिविधियों और गोलीबारी को 'संघर्ष विराम' इसलिए दिया गया था क्योंकि इस्लामाबाद के अनुरोध पर दोनों देशों के सैन्य अभियानों के महानिदेशक (DGMOs) के बीच "सीधा संपर्क" स्थापित हुआ था।